National Games 2022: पिता के निधन के बाद आसान नहीं था शौर्यजीत का यहां तक का सफर, जानें 10 साल के मलखंब उस्ताद की कहानी

शौर्य ने बेहतरीन प्रदर्शन को प्रधानमंत्री मोदी भी नजरंदाज नहीं कर सके। पीएम मोदी ने भी शौर्य का वीडियो शेयर करते हुए उन्हें स्टार बताया।

Update: 2022-10-10 07:24 GMT

गुजरात में आयोजित राष्ट्रीय खेलों में अपने शानदार प्रदर्शन से सबको चौंका देने वाले सिर्फ 10 साल के मलखंब उस्ताद शौर्यजीत की कहानी भी उनकी खेल की तरह ही चौंका देने वाली हैं। 

राष्ट्रीय खेलों में अपने पिता के सपने को पूरा करने आए शौर्य के लिए आसान नहीं था कि वह कुछ दिन पहले हुई पिता की मृत्यु के बाद वापस आकर खेल पाए, पर मां और कोच के हिम्मत देने पर शौर्य मलखंब में उतरे और कमाल कर गए। शौर्य ने बेहतरीन प्रदर्शन को प्रधानमंत्री मोदी भी नजरंदाज नहीं कर सके। पीएम मोदी ने भी शौर्य का वीडियो शेयर करते हुए उन्हें स्टार बताया।

दरअसल, बीते 30 सितंबर को शौर्य राष्ट्रीय खेलों के लिए अपनी तैयारियों में लगे हुए थे उसी वक्त उनके पिता का निधन हो गया। ऐसी स्थिति में 10 साल के शौर्य के पास दो विकल्प थे या तो इन खेलों में हिस्सा लेने से पीछे हट जाते या पिता का सपना पूरा करने के लिए 36वें राष्ट्रीय खेलों में हिस्सा लेते। जिसके लिए उनकी मां और कोच ने हौसला बढ़ाया। जिसके बाद शौर्य सबकी मन में छा गए।

लोगों ने जिस तरह शौर्य का हौसला बढ़ाया उसपर उन्होंने कहा,"जिस तरह लोगों ने मेरा हौसला बढ़ाया, वो देखकर काफी गर्व महसूस हुआ। यह मेरे पिता का सपना था कि मैं नेशनल गेम्स में हिस्सा लूं और स्वर्ण पदक जीतूं, मैं इसे जरूर पूरा करूंगा।"

शौर्य ने बताया, "मेरे पिता (रंजीत कुमार) ने मुझे मलखंभ से जोड़ा। मैं पिछले 6 साल से ट्रेनिंग कर रहा हूं। मुझे शुरू में यह बहुत मुश्किल लगा लेकिन धीरे-धीरे मैं इस खेल से प्यार करने लगा।"

वहीं शौर्य के कोच जीत सपकाल ने कहा, "शौर्यजीत को राष्ट्रीय खेलों में हिस्सा लेने के लिए मनाना बहुत मुश्किल था। उसकी मां ने उसे समझाया कि वह अपने पिता की इच्छा को पूरी करने का मौका चूक जाएगा। यह शौर्यजीत की मानसिक मजबूती ही है कि वो न सिर्फ इन खेलों में हिस्सा लेने आया, बल्कि अच्छा प्रदर्शन भी किया।"

बता दें शौर्य ने राष्ट्रीय चैंपियनशिप में दो कांस्य पदक जीते है। गौरतलब है कि शौर्यजीत के मलखंब इवेंट में स्वर्ण पदक का फैसला दो और राउंड के बाद होगा। ऐसे में शनिवार को छुट्टी के दिन वह अपने पिता का अंतिम संस्कार करने के लिए वड़ोदरा लौटा और रविवार को होने वाले अगले राउंड के लिए कुछ घंटों बाद ही वापस अहमदाबाद लौट आया।

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