सुमित नागल के यूएस ओपन के प्रदर्शन ने भारतीय टेनिस के सुनहरे भविष्य की ओर किया इशारा !

Update: 2019-08-30 05:23 GMT

हाल ही में सुमित नागल ने यूएस ओपन में शानदार प्रदर्शन करते हुए टेनिस के महान खिलाड़ी, रोजर फ़ेडरर को एक सेट में हरा कर देश भर से खूब वाहवाही लूटी| भले ही मैच फ़ेडरर ने जीता हो पर यह कहना गलत नहीं होगा की दिल तो नागल ने ही जीता|

पर इस बीच कई सोशल मीडिया साइट्स पर नागल का केवल एक सेट जीतना इशारे की तरह पेश किया जाने लगा| एक ऐसा इशारा जो भारत में ग्रैंड स्लैम लाने की ओर था| तो क्या यह सचमें एक इशारा था? इसका जवाब देने से पहले भारत में टेनिस की हालत ज़रूर देख लीजिये|

टेनिस को अमीरों का खेल माना जाता है| ऐसा नहीं है कि गरीब खेल नहीं सकते पर ऐसे लोग जो आर्थिक रूप से कमज़ोर हैं, उनको किसी न किसी संस्थान की सहायता लेनी पड़ती हैं ओर ऐसे में वह कई चीज़ों से चूक जाते हैं| खिलाड़ियों को ट्रेनिंग की ज़रूरत होती है, फिजिकली भी फिट होना पड़ता हैं ओर मानसिक तौर पर भी तंदरूस्त रहना ज़रूरी है| अपने दिमाग को इस तरीके से ट्रेन करना होता है कि सामने चाहे जो खिलाड़ी हो, हमे अपना बेस्ट खेलना है| ओर शायद इसलिए नागल पहला सेट जीतने में कामयाब रहे| क्योंकि उनके पास कुछ खोने को नहीं था, पर फ़ेडरर, इतने बड़े खिलाड़ी हो कर, उनके लिए नागल से हारना ज़्यादा शर्मनाक होता फिर चाहे नागल कितना अच्छा क्यों ना खेलें|

भारत के खिलाड़ियों में से मौजूदा वक़्त में प्रजनेश गुन्नेस्वरन को छोड़ कर कोई भी ATP रैंकिंग में 100 के अंदर नहीं हैं| बल्कि 22 वर्षीय नागल 190 रैंक के खिलाड़ी हैं| ऐसे में कुछ ऐसे टूर्नामेंट्स जो देश में होते हैं उनसे इनकी रैंकिंग में सुधार आने के बहुत चान्सेस हैं पर अभी तक 2019 की शुरुआत से केवल एक चैलेंजर इवेंट को आयोजित किया गया है ओर आने वाले महीने में एक ओर होगा| जहाँ पहले 3 होते थे अब वहीं 2 होंगे| जो चीज़ें बढ़नी चाहिए वही अगर कम होती जाएगी तो अंतरष्ट्रीय लेवल के खिलाड़ी कैसे तैयार होंगे ? रैंकिंग इसलिए भी काफी महत्वपूर्ण हो जाती हैं क्योंकि बेहतर रैंकिंग होने से कॉन्फिडेंस पर काफी फर्क पड़ता हैं| ऐसे में कोशिश यह होनी चाहिए कि ज़्यादा से ज़्यादा टूर्नामेंट्स हों पर यहाँ तो उसका ठीक उल्टा हो रहा है|

कुछ खिलाड़ी जैसे सानिया मिर्ज़ा, लिएंडर पेस, महेश भूपती, सोमदेव देववर्मन के आलावा पिछले 10 से 15 सालों में शायद ही किसी खिलाड़ी ने नाम कमाया हो| सबसे आश्चर्य करने वाली बात तो यह है कि इन सारे खिलाड़ियों ने शुरआत तो सिंगल्स खेलने के साथ की थी पर अपना रुख बदल कर युगल की ओर कर लिया| ओर प्रयाप्त माहौल नहीं होने की वजह से अकसर चोट लगने पर सही वक्त पर सही ट्रीटमेंट नहीं मिलती जिसके कारण बहुत बार इन खिलड़ियों को टाइम से पहले रिटायर होना पड़ता है|

नागल को अंडर 200 आने के लिए यूरोपियन टूर्नामेंट्स में भाग लेना पड़ा जिसकी वजह से उन्होंने वहां प्रैक्टिस करना शुरू कर दिया पर हर कोई इतना खर्च नहीं कर पाता| और महेश भूपती ने भी नागल का भरपूर साथ दिया था, हर किसी की क़िस्मत एक जैसी हो जरुरी नहीं है| अगर भारत को टेनिस के लिए कुछ करना है तो इन प्लेयर्स को आर्थिक सहायता दे कर शुरुआत करनी होगी अन्यथा ग्रैंड स्लैम सिर्फ एक ख्वाब भर रह जाएगा|

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