'गूंगा पहलवान' के नाम से मशहूर वीरेंद्र सिंह ने एक बार फिर की सर्वोच्च खेल सम्मान की मांग

गूंगा पहलवान के नाम से मशहूर वीरेंद्र सिंह ने हैरत जताते हुए इस पुरस्कार की मांग की है

Update: 2022-10-31 15:48 GMT

भारतीय पहलवान वीरेंद्र सिंह ने भारत के सर्वोच्च खेल सम्मान 'मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार' की फिर एक बार मांग की हैं। गूंगा पहलवान के नाम से मशहूर वीरेंद्र सिंह ने हैरत जताते हुए सवाल किया है कि बोल और सुन नहीं पाने वाले खिलाड़ियों के ओलंपिक खेलों यानी डेफलंपिक्स में देश के लिए पांच मेडल समेत अलग-अलग प्रतिष्ठित स्पर्धाएं जीतने के बावजूद उन्हें अब तक इस पुरस्कार के काबिल नहीं समझा गया है।

वीरेंदर सिंह ने एक साक्षात्कार के दौरान इशारों की जुबान में कहा, ''मैं गुजरे बरसों के दौरान डेफलंपिक्स में भारत के लिए पांच मेडल जीत चुका हूं, जिनमें तीन गोल्ड मेडल भी शामिल हैं। मैंने मूक-बधिर पहलवानों की विश्व चैम्पियनशिप में एक गोल्ड मेडल समेत तीन मेडल जीते हैं, लेकिन मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि मुझे अब तक खेल रत्न पुरस्कार क्यों नहीं दिया गया है।"

36 वर्षीय भारतीय पहलवान ने बताया कि इस खेल में उनका सफर कतई आसान नहीं रहा है और उन्होंने तमाम सामाजिक भेदभावों को पीछे छोड़कर अपना मुकाम बनाया है। वीरेंदर सिंह ने बताया कि उन्होंने कुश्ती में अपने करियर की शुरुआत सामान्य यानी बोल और सुन सकने वाले खिलाड़ियों के साथ की थी, लेकिन एक बार सीटी की आवाज नहीं सुन पाने के कारण उन्हें चयन ट्रायल से बाहर कर दिया गया और इसके बाद से वह मूक-बधिर पहलवानों के साथ कुश्ती खेलने लगे।

बता दे वीरेंद्र सिंह को 'अर्जुन अवॉर्ड' और 'पद्मश्री' से सम्मानित किया जा चुका है और अब उनकी निगाहें 'मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार' पर टिकी हैं।

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