भारतीय पहलवान साइ केंद्र में कर रहे हैं तपती गर्मी में अभ्यास, मेस में भी भोजन का स्तर घटिया

एनसीआर में कई दिनों से तापमान 45 डिग्री सेल्सियस के पार है जिससे भीषण गर्मी पड़ रही है ऐसे माहौल में यह हॉल ट्रेनिंग के लिए फिट नहीं है

Update: 2022-06-16 10:06 GMT

भारतीय खेल प्राधिकरण का सोनीपत में स्थित कुश्ती हॉल 

भारतीय एलीट पहलवान और कोच भारतीय खेल प्राधिकरण (साइ) के सोनीपत में स्थित कुश्ती हॉल के मरम्मत में हो रही देरी के कारण तेज गर्मी में ट्रेनिंग करने के लिए मजबूर है।

जिससे खिलाडियों और कोच के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा और उन्हें चोट लगने का भी खतरा बना हुआ है। इस हॉल में लगभग 70 पुरूष पहलवान पसीना बहा रहे हैं जिसमें देश के शीर्ष फ्री-स्टाइल और ग्रीको रोमन पहलवान भी शामिल हैं। आपको बता दें की एनसीआर में कई दिनों से तापमान 45 डिग्री सेल्सियस के पार है जिससे भीषण गर्मी पड़ रही है ऐसे माहौल में यह हॉल ट्रेनिंग के लिए फिट नहीं है।

एक कोच ने बताया कि कभी ऐसा होता है जब 'मल्टीपर्पज' हॉल के अंदर का तापमान ट्रेनिंग के दौरान 39 डिग्री तक पहुंच जाता है। कोच ने कहा, 'ट्रेनिंग के लिए सही तापमान 23 से 24 डिग्री होना चाहिए लेकिन हम अपने पहलवानों को इस भीषण गर्मी में ट्रेनिंग करवाकर चोटिल करने की ओर ढकेल रहे हैं। जब राष्ट्रमंडल खेल करीब हैं तो यह ठीक स्थिति नहीं है।'

वही दुसरे एक कोच ने कहा, 'ऐसा लगता है कि जैसे हम 'सोना बाथ' (भाप स्नान) ले रहे हैं। यहां इतनी गर्मी होती है। पहले यहां पहलवान सुशील कुमार और योगेश्वर दत्त हॉल में ट्रेनिंग किया करते थे। लेकिन अभी इसमें मरम्मत का काम चल रहा है तो पहलवान 'मल्टीपर्पज हॉल' में ट्रेनिंग कर रहे हैं, इस हॉल की ऊंचाई लगभग 12.5 मीटर है जिससे यहां एयर कंडीशनर भी असरदार नही है। ओलंपिक कांस्य पदक विजेता बजरंग पूनिया, हाल में रैंकिंग सीरीज टूर्नामेंट में 57 किग्रा के स्वर्ण पदक विजेता अमन सहरावत और राष्ट्रमंडल खेलों के लिए टीम में शामिल मोहित ग्रेवाल (125 किग्रा) सभी इस केंद्र पर ट्रेनिंग कर रहे हैं।

टोक्यो ओलंपिक के रजत पदक विजेता रवि दहिया, जितेंदर किन्हा और दीपक पूनिया भी सोनीपत में ही ट्रेनिंग करते हैं। दहिया आमतौर पर छत्रसाल स्टेडियम में अभ्यास करते हैं।

वहीं साइ की कार्यकारी निदेशक ललिता शर्मा ने बताया कि हॉल के अंदर अब कुछ कूलर लगवा दिए हैं। उन्होंने कहा, 'हमने आज ही छह कूलर का इंतजाम किया है। हम पहलवानों की मदद करने की कोशिश कर रहे हैं। उम्मीद है कि एक महीने के अंदर मरम्मत का काम पूरा हो जाएगा।' ललिता ने बताया, 'मरम्मत का काम कोविड-19 शुरू होने से पहले ही आरंभ हुआ था लेकिन महामारी के कारण इसे रोकना पड़ा। तब पूरा ढांचा गिरा दिया गया था इसलिये पहलवान अब उस हॉल में ट्रेनिंग कर रहे हैं जो बैडमिंटन और वालीबॉल ट्रेनिंग के लिये इस्तेमाल किया जाता है।'

पहलवानों ने ख़राब खाने की भी शिकायत की

पहलवानों द्वारा खाने की शिकायतें भी आई हैं। खिलाड़ी और कोच केंद्र की 'मेस' में मिलने वाले खाने से बेहद नाराज हैं। एक पहलवान ने कहा, 'खाने में विविधता है लेकिन गुणवत्ता नहीं। हमें रोज जूस और नारियल पानी भी नहीं मिलता है। वे हमें तरबूज का जूस देते हैं और वो भी शाम में।' उन्होंने पूछा, 'क्या पहलवानों को यह लेना चाहिए? हमें मौसमी और अनार के जूस की जरूरत है जिससे ट्रेनिंग के बाद उबरने में मदद मिलती है।' इसी दौरान वहां यह भी पता चला है कि बजरंग पूनिया और कई अन्य पहलवान साइ की मेस का खाना छोड़कर अपने घर का खाना खाते हैं।

नाम न बताने की शर्त पर एक पहलवान कहा, 'मेस में उचित बर्तन और चम्मच भी नहीं हैं। एक कोच अपना स्टील का ग्लास ला रहा था क्योंकि यहां ज्यादा ग्लास नहीं हैं। कभी-कभी तो यहां कोच प्लेट से दूध पीते हैं।' उन्होंने कहा, 'जब तक एक 'प्राइवेट कांट्रेक्टर' काम कर रहा था तब यह ठीक था लेकिन जब से यह नया 'कांट्रेक्टर' आया है, चीजें खराब ही हुई हैं। मेस का खाना तो पूरी तरह घटिया है।' उन्होंने कहा, 'पहले अगर हमारा ट्रेनिंग सत्र लंबा खींच जाता था तो भी हमें खाना मिल जाता था लेकिन अब ऐसा नहीं होता। कभी-कभी यहां खाना इसलिए नहीं मिलता क्योंकि वे एक निर्धारित समय तक ही खाना देते हैं।'

हालाकि इसका विरोध करते हुए साइ कार्यकारी निदेशक ने कहा कि, वे वही खाना देते हैं जिसका सुझाव पोषण विशेषज्ञ करते हैं। उन्होंने कहा, 'हम स्वाद वाला खाना नहीं देते बल्कि वो देते हैं जिसकी सलाह पोषण विशेषज्ञ देता है। पहलवानों को अनुकूलित होने में थोड़ा समय लगेगा। हम सर्वश्रेष्ठ तरीके से पहलवानों को ट्रेनिंग में मदद करने की कोशिश कर रहे हैं।'

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