Hyderabad ePrix: जश्न के लिए शैंपेन की जगह 'कॉन्फेटी कैनन' का होगा इस्तेमाल

‘कॉन्फेटी कैनन’ से रंग-बिरंगे कागज या चमकीले पॉलीथीन के टुकड़े बाहर निकलते है

Update: 2023-02-10 14:21 GMT

भारत में शनिवार को फॉर्मूला ई रेसिंग के पहले आयोजन में शीर्ष तीन स्थान पर रहने वाले चालक जीत के जश्न को शैंपेन की जगह 'कॉन्फेटी कैनन' से मनायेंगे।

'कॉन्फेटी कैनन' से रंग-बिरंगे कागज या चमकीले पॉलीथीन के टुकड़े बाहर निकलते है। 

मोटर स्पोर्ट्स में जीत के जश्न को शैंपेन की बोतल को खोलकर मनाने की दशकों पुरानी परंपरा रही है। पोडियम पर शैम्पेन का उपयोग 1950 और 1960 के दशक से है। पांच बार के फॉर्मूला 1 चैंपियन जुआन मैनुअल फांगियो को 1950 के फ्रेंच ग्रैंड प्रिक्स में मोएट एंड चंदन की एक बोतल से सम्मानित किया गया और उन्होंने इसे पोडियम पर खोला। हालांकि, 1966 में पहली बार शैंपेन का छिड़काव किया गया था जब जो सिफर्ट प्रतिष्ठित 24 आवर्स ऑफ ले मैंस में अपनी जीत का जश्न मनाने के लिए "गलती से" भीड़ पर बोतल का ढक्कन खोल बैठे थे। बाकी सब इतिहास है। 

सेबेस्टियन वेट्टेल ने चार विश्व खिताबों में से आखिरी को ग्रेटर नोएडा में 2013 फॉर्मूला 1 इंडियन ग्रां प्री में जीता था और न केवल उन्होंने पोडियम पर शैंपेन के साथ जश्न मनाया, बल्कि उन्होंने पारंपरिक मीडिया बातचीत के दौरान भी  बड़ी बोतल अपने साथ रखी।

'स्थानीय रीति-रिवाजों' को ध्यान में रखते हुए हैदराबाद रेस के सभी हितधारक प्रमोटर ग्रीनको, तेलंगाना सरकार, फॉर्मूला ई और इसके शैंपेन प्रयोजक 'मोएट एंड चंदन' ने पोडियम पर इस पेय पदार्थ का इस्तेमाल नहीं करने का फैसला किया है।

शैंपेन में आम तौर पर शराब का मिश्रण होता है और इस्लाम मानने वाले देशों में इस जश्न को ऐसे पेय पदार्थ के साथ मनाया जाता है जिसमें शराब न हो।

भारत में शराब के विज्ञापन पर प्रतिबंध है लेकिन कुछ राज्यों को छोड़कर यह देश भर में भारी मात्रा में बेचा जाता है। 2020 में पांच दक्षिण भारतीय राज्यों - आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल - ने भारत की कुल शराब खपत का आधा उपभोग किया। देश में मादक पेय पदार्थों की कुल खपत 5 बिलियन लीटर थी।

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