देखिए: जिस मुस्कान ने मां के सोने बेचकर भारत को दिलाया पदक, आज सरकारी तंत्र ही बन रहा है उसके आंसू की वजह

Update: 2019-09-24 07:13 GMT

भारत में खेल प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है, ये हम और आप बख़ूबी जानते हैं लेकिन उसी प्रतिभा को जब प्रोत्साहन मिलने की जगह कुचल दिया जाता है तो दर्द हर खेल प्रेमियों के सीने में उठता है। एक ऐसी ही तस्वीर हम आपको दिखाने जा रहे हैं, जो इलाहाबाद यानी प्रयागराज की एक मुस्कान की है, लेकिन इस मुस्कान के चेहरे पर से मुस्कान छीन ली गई है। मुस्कान अब हंस नहीं रही है बल्कि अपने आंसू छलकाते हुए सभी से मदद की गुहार लगा रही है, और ये मदद भी वह अपने लिए नहीं देश के लिए मांग रही है।

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दरअसल, पिछले कुछ दिनों से सॉफ़्टबॉल टेनिस खिलाड़ी मुस्कान का एक वीडियो सोशल मीडिया पर बहुत वायरल हो रहा है, जिसमें वह रो रही हैं और अपने बारे में बता रही हैं कि किस तरह उन्होंने भारत के लिए मां के गहने बेचकर पदक जिताया था। मुस्कान के मुताबिक़ पिछली बार कोरिया में चैंपियनशिप में हिस्सा लेने के लिए की भी सरकार की तरफ़ से कोई मदद नहीं की गई थी और तब उन्हें अपनी मां के ज़ेवर बेचने पड़े थे। और वह कह रही हैं कि उनका चयन चीन में होने वाली चैंपियनशिप में भी हुआ है और वह जाने को तैयार हैं लेकिन इस बार परिवार के पास कोई साधन नहीं है। घर में बेचने के लिए कुछ नहीं बचा है, मुस्कान इसके लिए सरकारी मदद की गुहार लगा रही हैं।

देखिए मुस्कान के छलकते आंसू और मदद की गुहार

सोशल मीडिया पर वायरल मुस्कान का वीडियो

देश के लिए खेलने की है आरज़ू लेकिन गैरेज में बहा रहे हैं पसीने

द ब्रिज को जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक़ मुस्कान के परिवार में दो भाई व चार बहने हैं, जिनमें मुस्कान सबसे छोटी हैं। परिवार में कुल 9 लोग हैं और परिवार का ख़र्च एक मिठाई के दुकान के सहारे चलता है। मुस्कान ये भी बता रही हैं कि उन्होंने अब तक राष्ट्रीय स्तर पर 25 से भी ज़्यादा सॉफ़्टबॉल टेनिस टूर्नामेंट खेल चुकी हैं।

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मुस्कान के छलकते आंसू और देश के लिए एक बार फिर पदक लाने की ललक में अगर ज़रा भी सच्चाई है तो द ब्रिज सरकारी महकमों में बैठे नुमाइंदों और उस सरकार से एक छोटी सी अपील करता है जो खेल को बढ़ावा देने के लिए हमेशा तत्पर रहती।आइए आगे और इस प्रतिभा को खोने से बचाइए, क्योंकि ये सवाल इलाहाबाद की इस मुस्कान का नहीं है बल्कि देश की मुस्कान का है, क्योंकि एक जीत या एक पदक देश के सवा सौ करोड़ लोगों के चेहरे पर मुस्कान ला देती है।



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