ओपिनियन: आदतन एमएस धोनी अपने करियर को भी अंत तक खींच कर ले जा रहे हैं

Update: 2020-03-25 11:15 GMT

आईसीसी विश्व कप में न भारत का सफर सेमीफाइनल तक का रहा। विश्व कप में हार के बाद एमएस धोनी के संन्यास की अटकलें तेज हो गयी। हालाँकि, धोनी ने इन अटकलों में पूर्ण विराम लगा दिया और खुद को अगले वेस्टइंडीज दौरे से अलग कर लिया। उन्होंने कुछ समय सेना के साथ बिताया, जिसके लिए उन्होंने खुद को कैरिबियाई दौरे से अलग कर लिया था। इसके बाद दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ अगली टी20 सीरीज में भी धोनी को नहीं चुना गया। विश्व कप के सेमीफाइनल मुकाबले के बाद से अब तक धोनी टीम से बाहर चल रहे हैं।

बोर्ड ने इस साल की शुरुआत में ही उन्हें सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट लिस्ट से भी बाहर कर दिया था। इसके बाद से ही उनके संन्यास को लेकर अटकलें फिर से तेज हो गईं थीं। हालांकि, धोनी ने अपने संन्यास को लेकर कुछ नहीं कहा है। ऐसा माना जा रहा था कि धोनी आईपीएल से टीम में दोबारा से वापसी करेंगे लेकिन कोविड-19 महामारी के चलते आईपीएल पहले ही 15 अप्रैल तक टाले जा चुके हैं। ऐसे में अगर आईपीएल का आयोजन सम्भव नहीं हो पाता तो धोनी की सीधे टीम में वापसी पर संदेह है क्योंकी नए चीफ सिलेक्टर सुनील जोशी पहले ही साफ कर चुके हैं कि आईपीएल में अच्छे प्रदर्शन के बाद ही धोनी के नाम पर विचार होगा। फिलहाल केएल राहुल, बल्लेबाजी के साथ ही विकेटकीपिंग में अच्छा कर रहे हैं। ऐसे में धोनी के लिए यह राह और कठिन रहने वाली है।

बतौर बल्लेबाज शानदार हैं रिकॉर्ड:

जीते जी किंवदंती बन चुके महेंद्र सिंह धोनी ने उपलब्धियों का आकाश अपनी भुजाओं में समेट के रखा है। वह खेल में जिस ऊचाइंयों में पहुंच चुके हैं वहां से अन्य खिलाड़ियों का कद बौना नजर आता है। उनके आंकड़े उनकी प्रतिभा की कहानी बयां करते हैं। धोनी ने 350 एकदिवसीय मैच खेले और 50.58 की शानदार औसत से 10773 रन बनाये हैं। इस दौरान उन्होंने 10 शतक और 73 अर्द्धशतक भी अपने नाम किये हैं। इसके अलावा उन्होंने 90 टेस्ट में 4876 रन बनाये हैं।

कप्तानी ने परिपक्व बना दिया :

जब धोनी ने अपना अंतरराष्ट्रीय पर्दापण किया, तब वह आक्रामक शैली में बल्लेबाजी करते थे। उस दौर में अधिकतर मैचों को धोनी चौके या छक्के से खत्म करते थे। जब से उन पर कप्तानी की जिम्मेदारी दे दी गयी, तब से उनके खेल में परिपक्वता नजर आने लगी। कप्तानी की जिम्मेदारी ने धोनी का करियर सवंर गया। उनकी बल्लेबाजी में निरंतरता आ गयी। धोनी ने बतौर कप्तान अपने एकदिवसीय करियर में 53.56 की औसत से 6641 रन बनाये हैं। इन सब खूबियों की वजह से वह विश्व के श्रेष्ठ खिलाड़ियों की सूचि में आ गए।

कप्तानी में बेमिसाल रहे हैं धोनी :

जब-जब भारत के सफल कप्तानों का जिक्र होगा, तब धोनी का नाम सबसे पहले लिया जायेगा। उनकी कप्तानी में भारत ने टी-20 विश्व कप, एकदिवसीय विश्व कप और आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी जैसे बड़े ख़िताब जीते हैं। वह ऐसा कारनामा करने वाले इकलौते भारतीय कप्तान हैं। एक दौर था जब भारतीय टीम उपमहाद्वीप में ही जीत पाती थी लेकिन धोनी ने इस मानसिकता को काफी हद्द तक बदला। उनकी कप्तानी में भारत ने ऑस्ट्रेलिया में 'कॉमनवेल्थ बैंक सीरीज' पर कब्जा किया। धोनी ने 200 एकदिवसीय मैचों में भारत की कप्तानी की, जिनमें से 110 मैचों में टीम को जीत मिली जबकि 74 मैचों में टीम को हार का सामना करना पड़ा।

आदतन धोनी अपने करियर को भी अंत तक खींच कर ले जा रहे हैं....

महेंद्र सिंह धोनी ने अपने दौर में जो चाहा उसे हासिल किया। तमाम बड़े रिकॉर्ड उनके नाम दर्ज हैं, तमाम बड़े ख़िताब उन्होंने अपनी कप्तानी में भारत की झोली में डाले हैं। 38 साल की उम्र में धोनी अपने करियर की ढलान पर हैं, उन्हें अब खेल के इस मोह से खुद को अलग कर लेना चाहिए। सब कुछ तो है, जो हासिल किया जा चुका है।

धोनी एक अच्छे मैच फिनिशर हैं, खेल को अंतिम ओवरों तक खींचकर ले जाते हैं और मैच जीतकर खत्म करते हैं। आदतन धोनी अपने करियर को भी अंत तक खींच कर ले जा रहे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि एक सफल मैच फिनिशर अपनी करियर का अंत कब करेंगे।

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