भारतीय हॉकी टीम को यूरोपीय टीमों के सामने अपने प्रदर्शन को सुधारना होगा- गुरबक्श सिंह

Update: 2019-11-18 09:27 GMT

भारतीय हॉकी टीम ने टोक्यो ओलंपिक 2020 के लिए क्वालीफाई कर लिया है। रूस के खिलाप भारतीय टीम ने पहले मैच में जरूर लचीला खेल दिखाया लेकिन जिस तरह से भारतीय टीम दूसरे मैच में खेली वह काबिल-ए-तारीफ है। ग्राहम रीड की कोचिंग में टीम इंडिया का सपना ओलंपिक में पोडियम फिनिश करने का होगा। हालांकि मनप्रीत की कप्तानी वाली टीम के लिए यह आसान नहीं है। टीम में अभी भी कई खामियां है जिन्हें समय रहते नहीं सुधारा गया तो यह परेशानी खड़ी कर सकती है। द ब्रिज की टीम ने पूर्व भारतीय हॉकी कप्तान और ओलंपियन गुरबक्श सिंह से खास बातचीत की जिसमें उन्होंने मौजूदा टीम के ताकत और कमजोरी के बारे में बताया। इसके साथ ही गुरबक्श सिंह ने बताया कि हमारी भारतीय टीम एशियाई टीमों के सामने तो अच्छा प्रदर्शन करती है। लेकिन यूरोपीय टीमों के सामने भारत को अभी भी अपने खेल में सुधार करना होगा।

द ब्रिज- ओलंपिक क्वालीफाइर्स में भारतीय टीम के प्रदर्शन के बारे में आप क्या कहना चाहेंगे?

गुरबक्श सिंह: भारतीय टीम ने ओलंपिक क्वालीफाइर्स में काफी संतुलित हॅाकी खेली । इस टीम को यही लय आगे तक बरकरार रखनी होगी। पिछले कुछ सालों से भारतीय टीम के प्रदर्शन में काफी निखार आया है। मैं आशा करता हूं ओलंपिक जैसे बड़े प्रतियोगिता में ये टीम अच्छा करेगी।

द ब्रिज- ओलंपिक के बारे मे आपने बात की भारतीय पुरूष टीम को आप कहां पर देख रहे हैं?

गुरबक्श सिंह: अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। ओलंपिक ज्यादा दूर नहीं है टीम को एकजुट होकर जितना ज्यादा से ज्यादा अभ्यास मैच हो सके वो खेलने होंगे साथ ही कोच ग्राहम रीड को एक पुल के खिलाड़ियों पर विशेष ध्यान देना होगा ना कि 30-32 खिलाड़ी को आने वाले प्रतियोगिता में उपयोग करना। अगर हम कुल 15 से 20 खिलाड़ी पर ध्यान देंगे हमें बेहतर परिणाम देखने को मिल सकते हैं। मैं इस टीम को सेमीफाइनल खेलते हुए देख रहा हूं। एक बात मैं और कहना चाहूंगा कि टीम को मेडल के रंग से ज्यादा हर एक मुकाबले पर अलग रणनीति अपनानी होगा तब हमें बेहतर परिणाम मिलेंगे।

द ब्रिज- आपका का कोई फेवरेट खिलाड़ी जिसने आपको काफी प्रभावित किया हो?

गुरबक्श सिंह: पहले की हॅाकी में वन मैन शो होती थी। आज के समय में हर एक खिलाड़ी को काफी ध्यान से खेलना पड़ता है। ध्यानचंद,मोहम्मद शाहिद जैसे खिलाड़ी 11 के बराबर होते थे लेकिन आज के हॅाकी में बहुत कुछ बदल गया है। अगर छाप छोड़ने की बात करें तो मनप्रीत और सरदार सिंह जैसे खिलाड़ी इसमें आगे हैं।

द ब्रिज- आपको लगचा है कप्तानी में बदलाव भारतीय टीम के अच्छे प्रदर्शन का सूत्र है?

गुरबक्श सिंह: हां कह सकते हैं क्योंकि गोलकीपर आपको एक लिमिट तक ही ग्रउंड में गाइड कर सकता है । वहीं किसी अन्य पोजिशन पर खेल रहा खिलाड़ी टीम को बेहतर समझेगा और लगातार एक-एक चीजों के बारे में बारीकी से बताता रहेगा। मनप्रीत को कप्तानी सौंपने के बाद टीम एक अलग ही लय में दिख रही है।

द ब्रिज- ग्राहम रीड के अब तक के कार्यकाल के बारे में आप क्या कहना चाहेंगे?

गुरबक्श सिंह: अच्छा काम कर रहे हैं ग्राहम रीड । उन्हें अभी समय देने की जरूरत है । उनके आने से भारतीय टीम के फिटनेस लेवल पर काफी सुधार देखने को मिला है। अभी उनपर किसी भी प्रकार का जजमेंट सुनाना जल्दबाजी होगा। एशियाई प्रतियोगिता में टीम का प्रदर्शन अच्छा रहा है लेकिन टीम अब भी यूरोपीय देशों के खिलाफ जूझती दिख रही है। रीड को इसपर ध्यान देना होगा। उनके लिए ओलंपिक अग्नि परीक्षा साबित होने वाली है।

द ब्रिज- ध्यानचंद जैसे महान खिलाड़ी को भारत रत्न ना दिए जानें को लेकर आप क्या कहना चाहेंगे?

गुरबक्श सिंह: मुझे काफी दुख लगता है जब ध्यानचंद जैसा दिग्गज खिलाड़ी जिसने अपना सब कुछ हॅाकी को दे दिया लेकिन आज भी देश की सर्वोधिक उपाधियों में से एक भारत रत्न से आज तक नहीं नवाजा गया । सचिन तेंदुलकर से मुझे कोई शिकायत नहीं है लेकिन उनकी उपलब्धि ज्यादा पुरानी नहीं। बावजूद उनको ये पुरस्कार दिया गया और वो शख्स जिसका नाम से आज पूरे देश में हॅाकी खेली जा रही है उसे अभी तक इस उपाधि से नहीं नवाजा गया । इससे ज्यादा भारत के लिए और क्या दुखदायक होगा ।

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