Year 2022: भारतीय बैडमिंटन के लिए यह साल रहा बेहद खास, खिलाड़ियों ने रचे कई इतिहास

राष्ट्रमंडल खेल में भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ियों ने कुल छह पदक जीते जिसमें तीन स्वर्ण, एक रजत और दो कांस्य पदक शामिल हैं।

Update: 2022-12-25 13:38 GMT

थॉमस कप चैम्पियन भारतीय टीम 

भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ियों के लिए यह साल बेहद खास रहा। थॉमस कप और राष्ट्रमंडल खेलों में मिली सफलता के चलते भारत ने बैडमिंटन के क्षेत्र में इस साल कई उपलब्धियां हासिल की। खिलाड़ियों के शानदार प्रदर्शन की वजह से बीडब्ल्यूएफ (विश्व बैडमिंटन महासंघ) टूर में छह व्यक्तिगत खिताब देश की झोली में आए।

स्टार शटलर और ओलंपिक पदक विजेता पीवी सिंधु ने अपने जीत के सफर को जारी रखते हुए इस साल तीन अहम खिताब हासिल किए, जिसमें सैयद मोदी इंटरनेशनल, स्विस ओपन सुपर 300 टूर्नामेंट और सिंगापुर ओपन सुपर 500 टूर्नामेंट शामिल है। इसके अलावा बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में भी सिंधु ने स्वर्ण जीतकर देश का मान बढ़ाया। हालाकि अपनी चोट के कारण सिंधु कई टूर्नामेंट में हिस्सा नहीं ले पाई।

सिंधु के साथ ही युवा खिलाई लक्ष्य सेन भी अपने करियर को ऊंचाई पर ले गए और अपना पहला सुपर 500 खिताब अपने नाम किया। लक्ष्य ने भी सिंधु की तरह राष्ट्रमंडल खेलों की एकल स्पर्धा में स्वर्ण हासिल किया।

एकल खिलाड़ियों के अलावा युगल जोड़ियों ने भी कमाल कर दिखाया। जिसमें स्टार पुरुष युगल जोड़ी सात्विकसाईराज और चिराग शेट्टी ने इंडियन ओपन सुपर 500 टूर्नामेंट में खिताब से शुरुआत करते हुए विश्व टूर में दो खिताब के अलावा राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक और विश्व चैंपियनशिप में पहली बार कांस्य पदक जीतकर न सिर्फ अपना बल्कि देश का नाम रौशन किया। युगल जोड़ी के यह साल खास रहा। सात्विक-चिराग की जोड़ी ने विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रचा। वह इस प्रतियोगिता में पदक जीतने वाली पहली भारतीय पुरुष जोड़ी बनी। इन दोनों ने इसके बाद पेरिस में भी अपना जलवा दिखाया तथा फ्रेंच ओपन के रूप में अपना पहला सुपर 750 खिताब जीता।

भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ियों ने राष्ट्रमंडल खेल में छह पदक जीते जिसने तीन स्वर्ण, एक रजत और दो कांस्य पदक शामिल हैं। वहीं अल्मोड़ा के रहने वाले सेन पुलेला गोपीचंद के बाद ऑल इंग्लैंड चैंपियनशिप के फाइनल में जगह बनाने वाले पहले भारतीय बने।

भारत के लिए सबसे खास पल मई के महीने में था, जब थॉमस कप में एचएस प्रणय और किदांबी श्रीकांत की अगुवाई में भारत ने पहली बार इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट को जीता। जहां सभी पुरुष खिलाड़ियों ने बेहतरीन प्रदर्शन दिखाया। अनुभवी खिलाड़ी एच एस प्रणय के लिए भी यह साल अच्छा रहा और उन्होंने निरंतर अच्छा प्रदर्शन किया। प्रणय इस वर्ष विभिन्न टूर्नामेंट में सात बार क्वार्टर फाइनल, दो बार सेमीफाइनल और एक बार फाइनल में पहुंचे।

सीनियर खिलाड़ियों के साथ ही जूनियर खिलाड़ियों और पैरा खिलाड़ियों ने भी इस साल अपना दम दिखाया। एक ओर जहां शंकर मुथुस्वामी ने विश्व जूनियर चैंपियनशिप में रजत पदक जीतकर सुर्खियां बटोरी और लड़कों के एकल में विश्व के नंबर एक खिलाड़ी भी बने। तो वहीं तस्नीम मीर भी लड़कियों के वर्ग में नंबर एक पर पहुंचने में सफल रही। उन्नति हुड्डा ने जनवरी में 14 साल की उम्र में ओडिसा ओपन के रूप में अपना पहला बीडब्ल्यूएफ खिताब जीता। जबकि पैरालंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाले प्रमोद भगत ने विश्व चैंपियनशिप में एकल में अपना चौथा स्वर्ण पदक हासिल किया। महिला वर्ग में मनीषा रामदास ने स्वर्ण पदक जीता।

बीता साल भारतीय बैडमिंटन के लिए कई खुशियां लेकर आया, लेकिन आने वाला साल बेहद महत्वपूर्ण होने वाला हैं। वर्ष 2023 में ओलंपिक क्वालीफिकेशन शुरू हो जाएंगे और ऐसे में भारतीय खिलाड़ी पेरिस ओलंपिक में अपनी जगह बनाने में कोई कमी नहीं छोड़ना चाहेंगे।

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