कबाड़ी का काम करने वाले राजकुमार की बिटिया ने भारतीय तीरंदाजी टीम में बनाई जगह

महामारी और तूफान की दोहरी मार झेल रहा जायसवाल परिवार की बेटी अदिति ने इन सारी दिक्कतों के बीच भी अपने हौसलों को कम नहीं होने दिया।

Update: 2023-02-22 13:33 GMT

अदिति जायसवाल अपने कोच राहुल बनर्जी के साथ 

आपने वो कहावत तो सुनी ही होगी कि 'मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है'। इसी कहावत को सच किया है 20 वर्षीय तीरंदाज खिलाड़ी अदिति ने। कोरोना महामारी के समय पूरे विश्व की तरह ही कबाड़ का काम करने वाले राजकुमार जायसवाल के परिवार के ऊपर मुश्किलों का पहाड़ टूट पड़ा था। राजकुमार जायसवाल का परिवार दिन में केवल एक समय का भोजन कर पा रहा था। उनकी दुकान बंद थी और जल्द ही उनका घर भी पानी में डूब गया क्योंकि चक्रवाती तूफान अम्फान ने बंगाल में तबाही मचा दी थी।

महामारी और तूफान की दोहरी मार झेल रहा जायसवाल परिवार की बेटी अदिति ने इन सारी दिक्कतों के बीच भी अपने हौसलों को कम नहीं होने दिया। और यही वजह है कि अब अदिति ने विश्व कप, विश्व चैंपियनशिप और एशियाई खेलों के लिए भारतीय तीरंदाजी टीम में अपनी जगह बनाई हैं। खास बात है कि अदिति को राष्ट्रमंडल खेलों के पूर्व स्वर्ण पदक विजेता राहुल बनर्जी का साथ भी मिला जो कि अब पूर्णकालिक कोच हैं।

बता दें बागुईआटी में कबाड़ी का काम करने वाले की बेटी अदिति मेधावी छात्रा रही है और उन्होंने आईएससी परीक्षा में 97 प्रतिशत अंक हासिल किए जिससे उन्हें सेंट जेवियर कॉलेज में अर्थशास्त्र ऑनर्स में प्रवेश मिल गया। पढ़ाई में अच्छी होने के कारण उनके पिता राजकुमार और मां उमा चाहती थी कि अदिति भी इंजीनियरिंग कर रहे अपने बड़े भाई आदर्श की तरह पढ़ाई पर ध्यान दें। लेकिन कोच बनर्जी के समझाने पर माता पिता मान गए कि अदिति इससे भी बड़ी उपलब्धि हासिल करने के लिए पैदा हुई है।

सोनीपत में तीरंदाजी ट्रायल्स में भाग लेने के बाद वापस लौटी अदिति ने पीटीआई भाषा से कहा, ‘‘एक समय था जबकि लॉकडाउन के दौरान मेरे पिताजी की दुकान लगभग दो साल तक बंद रही और हम किसी तरह से एक वक्त का भोजन ही जुटा पा रहे थे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘अम्फान के कारण हमारे घर में बाढ़ आ गई और हमें कई दिनों तक बिना बिजली के रहना पड़ा। किसी तरह से हम संघर्ष के इन दिनों से बाहर निकले और अब लगता है कि अच्छे दिन वापस आ गए हैं।’’

माता पिता को विश्वास दिलाने को लेकर अदिति ने कहा, "मेरे माता-पिता को अब विश्वास हो गया है कि तीरंदाजी में भी भविष्य है। उम्मीद है कि मैं अपने खेल में सुधार जारी रखूंगी। प्रत्येक खिलाड़ी का सपना होता है कि वह ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करे और पदक जीते लेकिन इसके लिए अभी मुझे लंबा रास्ता तय करना है।’’

अदिति की सबसे बड़ी परीक्षा दो चरण के ट्रायल्स थे जिनमें वह शीर्ष चार खिलाड़ियों में जगह बना कर भारतीय टीम में अपना स्थान पक्का करने में सफल रही।

गौरतलब है कि यह पहला मौका है जब अदिति ने भारत की पहली पसंद की टीम में जगह बनाई। इससे पहले पिछले साल जम्मू में सीनियर राष्ट्रीय चैंपियनशिप में स्वर्ण और रजत पदक जीतने के कारण उन्हें कोलंबिया के मेडलिन में विश्वकप के चौथे चरण के लिए दूसरी पसंद की भारतीय टीम में चुना गया था।

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