National Games 2022: तीरंदाज अतानु दास ने टोक्यो ओलंपिक की निराशा को पीछे छोड़ते हुए जीता स्वर्ण पदक

पश्चिम बंगाल के अतानु दास ने सर्विसेज के गुरचरण बेसरा को हराकर पुरुषों की व्यक्तिगत रिकर्व स्पर्धा में स्वर्ण पदक हासिल कर लिया

Update: 2022-10-06 14:03 GMT

अतानु दस 

टोक्यो ओलंपिक में पदक जीतने में विफल रहने के बाद रियो और टोक्यो ओलंपियन तीरंदाज अतानु दास दो महीने से अधिक समय के लिए छुट्टियों पर चले गए। इसके बाद उन्होंने अपनी पत्नी दीपिका कुमारी से परिवार शुरू करने के बारे में बातचीत की ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उनके लिए खेलों के अलावा जीवन में और भी बहुत कुछ है।

अतानु ने फिर ट्रेनिंग के दौरान अपना नजरिया बदला और यहां तक कि अपने लय में लौटने के लिए उन्होंने विभिन्न जगहों का दौरा भी किया। गुरुवार की देर शाम, अहमदाबाद के पास संस्कारदम स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में, पश्चिम बंगाल के इस तीरंदाज ने 36वें राष्ट्रीय खेलों में सर्विसेज के गुरचरण बेसरा को हराकर पुरुषों की व्यक्तिगत रिकर्व स्पर्धा में स्वर्ण पदक हासिल कर लिया।

इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि खिताब जीतने के बाद वह एक बच्चे की तरह खिलखिलाकर अपनी जीत का जश्न मना रहा था। उन्होंने कहा, ''आगे आने वाले साल मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यह स्वर्ण पदक मुझे आश्वस्त कर रहा है कि मेरी तैयारी सही रास्ते पर है। आप कह सकते हैं कि मैं खुद का एक अपडेटेड वर्जन हूं। मैंने थोड़ा चिल्लाना कम कर दिया हूं। लेकिन जब मैं कुछ बड़ा करता हूं, तो आप मुझे खुशी से चिल्लाते हुए देखेंगे।"

अतानु दास, पिछले साल टोक्यो ओलंपिक में जापान के ताकाहारू फुरुकावा से हार गए थे। वह तब से भारतीय टीम में जगह नहीं बना पाए हैं। इसके अलावा उन्हें टारगेट पोडियम स्कीम (टॉप्स) से भी हटा दिया गया था। हालांकि टोक्यो खेलों के बाद जो चीजें हुईं उससे 30 वर्षीय यह खिलाड़ी निराश हैं। उन्होंने कहा कि उनके निजी जीवन में आए बदलावों ने भी उन्हें काफी शांत कर दिया है। अतानु दास और दीपिका कुमारी इस साल दिसंबर में अपने पहले बच्चे की उम्मीद कर रहे हैं और वह जीवन के इस नए चरण को शुरू करने के लिए निश्चित रूप से उत्साहित हैं।

भारतीय तीरंदाज अतानु दास ने कहा कि अपने जीवन में वह शांत रहने और किसी भी चीज को अपने ऊपर हावी नहीं होने देने के महत्व को समझ गए हैं। उन्होंने कहा, ''जापान में हुए टाेक्यो ओलंपिक में हारने के बाद मेरे ऊपर बहुत अधिक दबाव था। आप अपने पूरे जीवन को उस एक पल के लिए तैयार करते हैं। और फिर जब आप हार का अनुभव करते हैं, विशेष रूप से यह जानते हुए कि आप पदक जीतने के लिए पर्याप्त हैं, तो यह बहुत अधिक दर्दनाक हो जाता है।''

अतानु दास ने कहा, "दीपिका और मैंने अपने निजी जीवन पर ध्यान देकर इसे बेअसर करने की कोशिश की। पहले मैं उन बातों से प्रभावित होता था जो लोग कहते थे। लेकिन अब उतना नहीं।''

ट्रेनिंग पर लौटने के बाद से, अतानु दास शिलांग से पुणे और जबलपुर होते हुए विभिन्न परिस्थितियों में ट्रेनिंग करने के लिए कोलकाता चले गए और उन्होंने धैर्य और मजबूती पर भी ध्यान केंद्रित किया है। उन्होंने इसे अधिक जटिल बनाने से बचने और नॉक आउट मैचों के लिए तैयार रहने के लिए अपने ट्रेनिंग शेड्यूल में बहुत अधिक विविधता भी शामिल की है।

सेना के गुरचरण बेसरा के खिलाफ 4-4 से मुकाबले में बराबरी पर रहने के बाद अतानु दास ने जोरदार वापसी करते हुए मुकाबला अपने नाम कर लिया। उन्होंने कहा, '' जब आप मैच के दौरान उस शूटिंग लाइन पर खड़े होते हैं तो यह काफी अलग होता है। चीजें हमेशा योजना के अनुसार नहीं होती हैं।'' वह लगातार दो बार 10 अंक लेने के बाद तीसरे प्रयास में नौ अंक के साथ खिताब जीतने में सफल रहे।

हरियाणा ने पुरुष और महिला टीम, महिला व्यक्तिगत और मिश्रित युगल में रिकर्व स्पर्धाओं का स्वर्ण पदक अपने नाम किया। महिला टीम ने शूटआउट में झारखंड को शिकस्त दी जबकि पुरुष टीम को फाइनल में सेना के खिलाफ वाकओवर मिल गया।

इससे पहले संगीता ने व्यक्तिगत फाइनल में झारखंड की अनिष्का कुमारी सिंह को हराकर रिकर्व स्पर्धाओं में अपना पहला स्वर्ण पदक जीता। आकाश और भजन कौर की मिश्रित युगल जोड़ी ने महाराष्ट्र के गौरव लांबे और चारुता कमलापुर को शूट-आउट में हराकर स्वर्ण पदक पर कब्जा जमाया।

परिणाम:

पुरुष:

टीम: हरियाणा ने सर्विसेज को हराया, कांस्य: महाराष्ट्र

व्यक्तिगत: अतानु दास (पश्चिम बंगाल) ने गुरचरण बेसरा (सेना) को 6-4 से हराया, कांस्य: तरुणदीप राय (सेना)

महिला:

टीम: हरियाणा ने झारखंड 4(28)-4(27) को हराया, कांस्य: गुजरात

व्यक्तिगत: संगीता (हरियाणा) ने अंशिका कुमारी सिंह (झारखंड) को 6-2 से हराया, कांस्य: सिमरनजीत कौर (पंजाब)

 संगीता

मिश्रित

टीम: आकाश/भजन कौर (हरियाणा) ने गौरव लांबे/चारुता कमलापुर (महाराष्ट्र) को 4(19)-4(16) से हराया, कांस्य: जयंत तालुकर/कोमालिका बारी (झारखंड)

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