Hockey World Cup: उम्मीद है कि हम शीर्ष पर रहेंगे - पीआर श्रीजेश

हॉकी विश्व कप के 52 साल के इतिहास में भारतीय टीम अब तक महज एक बार हॉकी विश्व कप जीत पाई है

Update: 2023-01-11 08:42 GMT

पीआर श्रीजेश

अपने चौथे और घरेलू सरजमीं पर तीसरे एफआईएच पुरुष हॉकी विश्व कप में खेलने की तैयारी कर रहे भारत के अनुभवी गोलकीपर पीआर श्रीजेश को लगता है कि उनकी टीम पिछले टूर्नामेंट के क्वार्टर फाइनल में जगह बनाने से बेहतर प्रदर्शन कर सकती है और यहां तक कि इस बार पोडियम के शीर्ष पर जगह बना सकती है। प्रतिष्ठित हॉकी विश्व कप शुक्रवार से भुबनेश्वर -राउरकेला में शुरू होगा।

बता दें कि हॉकी विश्व कप के 52 साल के इतिहास में भारतीय टीम अब तक महज एक बार हॉकी विश्व कप जीत पाई है। 1975 में भारतीय हॉकी टीम चैंपियन बनी थी।

श्रीजेश का जन्म 8 मई 1988 को केरल के एर्नाकुलम जिले के किजक्कंबलम गांव में एक किसान परिवार में हुआ था। एक बच्चे के रूप में, लंबी कूद और वॉलीबॉल में जाने से पहले, उन्होंने एक स्प्रिंटर के रूप में प्रशिक्षण लिया। 12 साल की उम्र में, उन्होंने तिरुवनंतपुरम में जीवी राजा स्पोर्ट्स स्कूल में प्रवेश लिया। यहीं पर उनके कोच ने सुझाव दिया कि उन्हें गोलकीपिंग करनी चाहिए। स्कूल में हॉकी कोच जयकुमार द्वारा चुने जाने के बाद वह प्रोफेशनल हॉकी खिलाड़ी बने। उनके लिए इस मुकाम को हासिल कर पाना आसान नहीं रहा।

भारत 2018 के टूर्नामेंट में दो मैच जीतकर और एक ड्रॉ करने के बाद अपने पूल में शीर्ष पर था लेकिन क्वार्टर फाइनल में तब उप विजेता रहे नीदरलैंड से 2-1 से हार गया था। तब टूर्नामेंट भुवनेश्वर के कलिंगा स्टेडियम में खेला गया था जो इस बार भी दो आयोजन स्थलों में से एक है। स्पेन के खिलाफ शुक्रवार को ग्रुप डी के भारत के पहले मैच से पूर्व श्रीजेश ने कहा, "अपने देश के लिए चौथा विश्व कप खेलना मेरे लिए बहुत सम्मान की बात है और खास बात यह है कि घरेलू सरजमीं पर यह मेरा तीसरा विश्व कप है। मुझे नहीं लगता कि किसी खिलाड़ी को घरेलू मैदान पर तीन विश्व कप खेलने का सौभाग्य मिला है।"

उन्होंने कहा, "2018 में हम सेमीफाइनल में नहीं पहुंच सके थे। अब हमारे पास इस प्रतिष्ठित प्रतियोगिता में अपनी किस्मत बदलने का एक और मौका है। उम्मीद है कि हम अपने पिछले प्रदर्शन में सुधार कर पाएंगे और शीर्ष पर जगह बना पाएंगे।" अजीत पाल सिंह की कप्तानी में कुआलालंपुर में 1975 के टूर्नामेंट में स्वर्ण जीतने के बाद से भारत 48 वर्षों में पोडियम पर जगह नहीं बना पाया है। मनप्रीत सिंह के बाद टीम में शामिल सबसे अनुभवी खिलाड़ी 34 वर्षीय श्रीजेश ने कहा कि आप कितनी बार विश्व कप में खेले इससे अधिक नतीजा मायने रखता है।

टोक्यो ओलंपिक में भारत के कांस्य पदक जीतने में अहम भूमिका निभाने वाले श्रीजेश ने कहा, ''मैंने हमेशा महसूस किया है कि यह मायने नहीं रखता है कि आपने कितनी बार एक टूर्नामेंट खेला है बल्कि यह ज्यादा महत्वपूर्ण है कि आपने इसे जीता है या नहीं। इस बार भी मेरे लिए महत्वूपर्ण है कि मैं अपना शत प्रतिशत दूं और टूर्नामेंट से वांछित परिणाम हासिल करूं।" एफआईएच के साल के सर्वश्रेष्ठ गोलकीपर चुने गए श्रीजेश ने याद किया जब पहली बार विश्व कप में खेलते हुए उन्हें 2010 में नयी दिल्ली में मुख्य कोच ने चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान के खिलाफ गोलकीपर की जिम्मेदारी सौंपी।

श्रीजेश ने पुरानी यादों को याद करते हुए कहा, "विश्व कप में मेरा पहला मैच पाकिस्तान के खिलाफ था। मुझे अभी भी याद है, टीम मीटिंग के दौरान, हमारे कोच ने कहा था कि पाकिस्तान गोलकीपर एड्रियन (डिसूजा) के लिए पूरी तरह से तैयार होकर आएगा, इसलिए उन्होंने मुझे उनके खिलाफ मैच में रखने का फैसला किया। जब उन्होंने मुझे पैड अप करने के लिए कहा, तो वह पल मेरे लिए अविश्वसनीय थे।"

उन्होंने कहा, "पाकिस्तान के खिलाफ एक खचाखच भरे घरेलू मैदान के सामने अपना पहला विश्व कप मैच खेलना एक सपने जैसा था। मैं अभी भी माहौल को महसूस कर सकता हूं, स्टेडियम कैसा था। लोगों ने कैसी प्रतिक्रिया दी और हमने उस मैच को कैसे जीता। यह मेरे लिए सबसे अच्छा पल था।"

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