स्टिंग ऑपरेशन में आरोप लगने से लेकर फॉरवर्ड में खेलने तक की ललित उपाध्याय की कहानी

ललित उपाध्याय की अग्रिम पंक्ति में कहीं भी खेलने की क्षमता भारतीय हॉकी टीम के कोच ग्राहम रीड की आक्रमण शैली के लिए एक लाभदायक विशेषता है

Update: 2023-01-17 11:05 GMT

ललित उपाध्याय

ललित उपाध्याय की प्रतिभा बहुत छोटी उम्र से झलकती थी। उन्होंने अपने बड़े भाई को हॉकी खेलते हुए देखने के बाद 11 साल की उम्र में इस खेल को चुना।

ललित के खेल में सुधार तेजी से हुआ था और वह चार साल बाद अंडर-21 भारतीय टीम के साथ ट्रेनिंग में भी जुड़ गया। आने वाले समय में कुछ अच्छा होने ही वाला था, लेकिन उसे बिना किसी गलती के दोषी घोषित करार कर दिया गया, और साथ ही साथ उसके सीनियर टीम में खेलने के महत्वाकांक्षाओं को भी धूल में मिला दिया।

2008 में, एक समाचार चैनल के पत्रकारों ने स्वयं को एजेंट के रूप में पेश किया और आईएचएफ के तत्कालीन सचिव के जोथिकुमारन को उत्तर प्रदेश के एक खिलाड़ी को राष्ट्रीय टीम में चुने जाने पर एक स्पोंसरशिप डील (प्रायोजन सौदे) की पेशकश की। जब ज्योतिकुमारन ने पूछा कि खिलाड़ी कौन है, तो ललित उपाध्याय का नाम सामने रखा गया।

इस मामले के बाद ज्योतिकुमारन को बर्खास्त कर दिया गया, लेकिन स्टिंग ऑपरेशन ललित उपाध्याय के लिया बहुत बुरा साबित हुआ। युवा खिलाड़ी इस तरह के किसी भी 'सौदे' से अनजान था, लेकिन उसका नाम भारतीय हॉकी जगत में तेजी से चारों और फ़ैल गया जो की बेहद चिंताजनक था।

ललित पर टीम में अपनी जगह खरीदने का आरोप लगाया गया, जिसने चयनकर्ताओं को उनको टीम में शामिल न करने के लिए विवश किया। जिस खेल से वह प्यार करता था और जिसमें करियर बनाने की उम्मीद करता था, उसका इकोसिस्टम उसे सिरे से खारिज कर रहा था "मैं खेल को छोड़ने के कगार पर था," ललित उपाध्याय ने स्क्रोल से बातचीत में कहा।

पूर्व कप्तान बने ललित के मसीहा !!!

...ऐसी स्थिति का सामना करने वाले के लिए ऐसी प्रतिक्रिया स्वाभाविक थी, लेकिन उनके परिवार ने पूरी तरह से उनका समर्थन किया। "उन्होंने कहा कि अगर आपने खेलना छोड़ दिया, तो लोग सोचेंगे कि आपने पैसे दिए थे क्योंकि बहुत से लोग उस समय हॉकी को देखते नही थे।"

उन्होंने खेल पर ध्यान दिया और वाराणसी में भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) के प्रशिक्षण केंद्र में तैयारी जारी रखी। यहीं पर उन्हें भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान धनराज पिल्ले ने नया जीवन दिया।

कप्तान, ललित उपाध्याय से प्रभावित हुए और उन्हें एयर इंडिया के लिए खेलने का प्रस्ताव रखा, उन्होंने खुशी-खुशी स्वीकार किया और प्रयासों को बढ़ा दिया और अपने कौशल को विकसित किया, अंततः 2012 में वर्ल्ड सीरीज़ हॉकी टूर्नामेंट मे'रूकी ऑफ द ईयर' चुना गए।

इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा क्योंकि इस युवा खिलाड़ी ने 2014 में सीनियर टीम में पदार्पण किया था, और वह 2018 एशियाई खेलों में कांस्य जीतने वाली टीम का भी हिस्सा थे।

ललित उपाध्याय की अग्रिम पंक्ति में कहीं भी खेलने की क्षमता भारतीय हॉकी टीम के कोच ग्राहम रीड की आक्रमण शैली के लिए एक लाभदायक विशेषता है। टीम ने पिछले एक साल में अपनी मानसिक शक्ति में जबरदस्त वृद्धि की है और टीम में ललित उपाध्याय जैसे रत्नो के साथ, यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है।

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