दुनियाभर के आयोजकों के लिए प्रेरणास्रोत होगी ‘ग्लोबल चेस लीग’ - ग्रैंडमास्टर कोनेरू हम्पी

दो बार की एशियाई खेलों की स्वर्ण पदक विजेता हंपी ने 2002 में 15 साल की उम्र में ग्रैंडमास्टर का खिताब हासिल कर दुनिया को चौंका दिया

Update: 2023-05-29 14:15 GMT

कोनेरू हम्पी

दुनिया का पहला लीग-स्टाइल चेस टूर्नामेंट- ग्लोबल चेस लीग का पहला संस्करण 21, 2023 से 2 जुलाई, 2023 के बीच शुरू होने वाला है। इस टूर्नामेंट में खेलने वाले शतरंज सितारों में ग्रैंडमास्टर कोनेरू हंपी भी हैं। हंपी ग्रैंडमास्टर बनने वाली सबसे कम उम्र की महिला शतरंज खिलाड़ी हैं।

2003 की अर्जुन अवार्डी और चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान- पद्म श्री से नवाजी जा चुकीं हंपी को 2021 में बीबीसी द्वारा इंडियन स्पोर्ट्सवुमन ऑफ द ईयर चुना गया था। हम्पी 2019 फिडे रैपिड शतरंज चैंपियनशिप में अपनी जीत के लिए जानी जाती हैं और जीसीएल में खेलकर एक बार फिर से अपनी पहचान बनाने की कोशिश करेंगी।

हंपी ने कहा, "पुरुषों, महिलाओं और जूनियर खिलाड़ियों की मिक्स्ड टीमों के साथ लीग का आयोजन करना काफी दिलचस्प है। इसके अलावा, टेक महिंद्रा जैसे कॉरपोरेट का निश्चित रूप से शतरंज की दुनिया में बड़ा प्रभाव पड़ेगा। हमारे लिए इसमें हिस्सा लेना एक बड़े कारणों में से एक है। यह लीग दुनिया भर के आयोजकों के लिए प्रेरणा का स्रोत होगी।”

टेक महिंद्रा और फिडे के ज्वाइंट वेंचर जीसीएल में रैपिड शतरंज फॉर्मेट में डबल राउंड-रॉबिन फॉर्मेट में छह टीमें हिस्सा लेंगी और ये सभी एक दूसरे के खिलाफ कम से कम 10 मैचों में मुकाबला करेंगी।

हंपी ने कहा, "ऐसा पहली बार हो रहा है कि कोई भारतीय कॉरपोरेट शतरंज लीग आयोजित करने के लिए आगे आ रहा है। शतरंज अब बदल रहा है, और आयोजक अधिक दर्शकों को आकर्षित करने के लिए इसे और शानदार बनाने की कोशिश कर रहे हैं। हम मजेदार तरीके से छोटे टाइम फॉर्मेट का आनंद लेते हैं, जो दर्शकों के लिए भी अधिक मनोरंजक होगा।”

2020 में विश्व रैपिड शतरंज चैंपियनशिप जीतने वाली हंपी ने अपने करियर की शुरुआत तब की थी जब वह छह साल की थीं। पिता ने इस खेल से उनका साक्षात्कार कराया था। 36 वर्षीय हंपी ने अपना पहला पदक 1997 में अंडर -10 वर्ग में राष्ट्रीय शतरंज चैंपियन बनीं और इस तरह अपना पहला पदक जीता। दो बार की एशियाई खेलों की स्वर्ण पदक विजेता हंपी ने 2002 में 15 साल की उम्र में ग्रैंडमास्टर का खिताब हासिल कर दुनिया को चौंका दिया। ग्रैंडमास्टर खिताब हासिल करने वाली वह उस समय सबसे कम आयु की खिलाड़ी थीं।

204 की वर्तमान विश्व रैंकिंग और 2586 की क्लासिकल एलो रेटिंग के साथ आंध्र प्रदेश की इस स्टार खिलाड़ी को भारत के शीर्ष खिलाड़ियों में से एक माना जाता है।

हम्पी ने कहा, "मैंने छह साल की उम्र में चेस की शुरुआत की थी। एक खिलाड़ी के रूप में, मैं इस बात की गवाही दे सकती हूं कि शतरंज भारत में लगातार विकसित हो रहा है। हमारे पास अब देश से बहुत सारे ग्रैंडमास्टर हैं और हम इस समय शतरंज में सबसे तेजी से बढ़ने वाले देश हैं।"

शतरंज में सफल होने के लिए क्या जरूरी है, इस बारे में जानकारी देते हुए हंपी ने कहा, "शतरंज में काफी अभ्यास और शारीरिक फिटनेस की जरूरत होती है। अच्छा परफॉर्म करने के लिए आपको सहनशक्ति की जरूरत होती है। इसमें काफी समय लगता है। इसमें अच्छा करने के लिए पढ़ने की जरूरत होती है। शतरंज में ट्रेनिंग का दौर कभी न खत्म होने वाली प्रक्रिया है।"

कोनेरू हंपी एक पांच साल के बच्चे की मां भी है और जब वह टूर्नामेंट में नहीं खेल रही होती हैं तब वह अपना समय अपने परिवार के साथ फिल्म देखने और वीकेंड में रात के खाने के लिए बाहर जाने में बिताती है।

हंपी ने कहा, "मेरे पास घर पर करने के लिए बहुत सी चीजें होती हैं। मेरी पांच साल की बेटी है, जो मुझे व्यस्त रखती है। मुझे फिल्में देखना भी पसंद है। मुझे कॉमेडी फिल्में देखने में मजा आता है और हमारी क्षेत्रीय फिल्म सीताराम हाल ही में मेरी पसंदीदा फिल्मों में से एक रही है। मैं वीकेंड में दोस्तों और परिवार के साथ रेस्तरां जाना पसंद करती हूं। आमतौर पर, मैं टूर्नामेंट के अलावा यात्रा नहीं करती हूं क्योंकि मेरा कार्यक्रम काफी व्यस्त होता है।"

हंपी का मानना है कि दुनिया भर में खेलों में महिलाएं तेजी से आगे आई हैं। उनका कार्यक्रम व्यस्त हो गया है लेकिन महिला एथलीटों के लिए मां बनने के बाद भी अपने खेल को जारी रखने की बहुत गुंजाइश है। उन्होंने कहा, "कई मांएं हैं जो अब अपने खेल करियर में सफल हो रही हैं। मुझे यह देखकर गर्व होता है कि मैं दोनों को मैनेज करने में सक्षम हूं।"

साथ ही, हंपी शतरंज के खेल में महिला खिलाड़ियों के लिए समान विकास, अवसर और उनकी संख्या में वृद्धि देखना चाहती हैं। हंपी ने अपनी बात समाप्त करते हुए कहा, "पुरुषों ने इस खेल में जितनी तरक्की की है और जितनी संख्या में वे आगे आए हैं, उसकी तुलना में भारत में महिला शतरंज खिलाड़ियों की वृद्धि काफी कम है। पुरुषों के सर्किट में बहुत सारे युवा हैं, लेकिन महिला शतरंज में कुछ ही हैं। हमारे पास काफी जनसंख्या और प्रतिभा है, इस लिहाज से हमारे पास बहुत कम महिला शतरंज खिलाड़ी हैं।"

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