नीरज चोपड़ा से प्रेरित है निशानेबाज अर्जुन बबूता, एक ही कॉलेज से पढ़े है दोनो खिलाड़ी
आईएसएसएफ विश्व कप में स्वर्ण पदक अपने नाम करने वाले युवा निशानेबाज अर्जुन बबूता विश्व चैंपियनशिप में शानदार प्रदर्शन करके ओलिम्पिक कोटा हासिल करना चाहते हैं।
भारतीय भाला फेंक चैंपियन और ओलिम्पिक में स्वर्ण पदक हासिल करने वाले नीरज चोपड़ा सिर्फ देश के युवाओं के ही नही बल्कि अन्य खिलाड़ियों के लिए भी प्रेरणास्त्रोत बन गए हैं।
आईएसएसएफ विश्व कप में स्वर्ण पदक अपने नाम करने वाले युवा निशानेबाज अर्जुन बबूता भी नीरज चोपड़ा से प्रेरित है और विश्व चैंपियनशिप में शानदार प्रदर्शन करके ओलिम्पिक कोटा हासिल करना चाहते हैं।
अर्जुन ने कहा कि,"नीरज चोपड़ा और मैं चंडीगढ़ में एक ही कॉलेज में पढ़े हैं, वह हालांकि मेरे से एक साल सीनियर थे। लेकिन उन्होंने 2021 में ओलंपिक खेलों में जो उपलब्धि हासिल की वह मेरे जैसे खिलाडिय़ों के लिए बहुत बड़ी प्रेरणा हैं।"
उन्होंने कहा कि खेल युवा खिलाड़ियों को रोजाना कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। लेकिन नीरज के एतिहासिक प्रदर्शन ने मेरे सहित युवा खिलाड़ियों की पूरी पीढ़ी को प्रेरित किया है जिनमें शीर्ष स्तर पर भारत के लिए पदक जीतने की भूख पहले से अधिक हैं।
फिलहाल अर्जुन के जीवन का सबसे बड़ा लक्ष्य पेरिस ओलिम्पिक खेलों में पदक जीतना हैं। जिसपर उन्होंने कहा, अभी मेरा मुख्य लक्ष्य विश्व चैम्पियनशिप में शीर्ष प्रदर्शन करना ओर पेरिस ओलिम्पिक के लिए क्वालीफाई करना है, मैं 19 साल का था जब मैं 2019 में टोक्यो ओलिम्पिक की क्वालीफाइंग स्पर्धा में चूक गया। इसकी पीड़ा और दर्द कष्टकारी थी लेकिन मैंने अभ्यास करके सुनिश्चित किया कि मैं विश्व कप में पदक जीतूं।
पंजाब के निशानेबाज अर्जुन ने कहा कि वह 2008 बीजिंग ओलिम्पिक में अभिनव बिंद्रा के एतिहासिक स्वर्ण पदक की कहानी सुनते हुए बड़े हुए। अर्जुन ने कहा कि उनकी उपलब्धियों ने मुझे एक निशानेबाज के रूप में ढाला। उनके जैसे शानदार व्यक्तित्व ने 2018 में भारतीय खेलों को बदल दिया, जीवन और खेल के बारे में मुझे इतनी सारी चीजें सिखाई।
बता दे बिंद्रा ओलिम्पिक खेलों में व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय थे।
गौरतलब है की शुरुआती वर्षों में अर्जुन को लेफ्टिनेंट कर्नल जीएस ढिल्लों (सेवानिवृत्त) ने ट्रेनिंग दी। ढिल्लों 1995 में बिंद्रा को भी निशानेबाजी के गुर सिखा चुके हैं। अर्जुन का कहना है कि,"ढिल्लों सर की सीख ने मुझे वहां पहुंचाया जहां में अभी हूं। उन्होंने लंबे समय पहले मुझे कहा था कि अगर मैं लगातार अच्छा प्रदर्शन करता हूं तो अगला अभिनव बिंद्रा बन सकता हूं। उन्होंने मुझे अपने निशानेबाजी उपकरण तोहफे में भी दिए।"
मुख्य विदेशी राइफल कोच के रूप में थॉमस फार्निक के होने पर अर्जुन ने कहा, आस्ट्रिया के दिग्गज थॉमस फार्निक को मुख्य विदेशी राइफल कोच के रूप में बिलकुल सही समय पर भारतीय टीम के साथ जोड़ा गया है।
साथ ही उन्होंने कहा कि थॉमस सर का मौजूदा विश्व कप में मेरे प्रदर्शन में काफी सकारात्मक असर रहा। खेल के लिए उनका प्यार, मार्गदर्शन के रूप में उनकी भूमिका शानदार है।