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कुश्ती

भारतीय कुश्ती संघ ने लिया अहम फैसला, अब पहलवान बिना मंजूरी के अपने मन से नहीं कर पाएंगे किसी कंपनी के साथ अनुबंध

अब कोई भी पहलवान फेडरेशन की मंजूरी के बिना अनुबंध नहीं कर सकेंगे, और यदि कोई पहलवान ऐसा करते हुए पाया गया तो फेडरेशन अनुशासनहीनता मानते हुए संबंधित पहलवान पर उचित कार्रवाई करेगा।

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बजरंग पूनिया

By

Pratyaksha Asthana

Updated: 26 Aug 2022 4:28 PM GMT

भारतीय कुश्ती संघ ने देश में पहलवानों पर कड़ा फैसला लिया हैं। कुश्ती संघ ने पहलवानों पर अपनी मर्जी से अनुबंध करने पर प्रतिबंध लगाने का अहम फैसला लिया है। जिसके बाद कोई भी पहलवान फेडरेशन की मंजूरी के बिना अनुबंध नहीं कर सकेंगे। और यदि कोई पहलवान ऐसा करते हुए पाया गया तो फेडरेशन अनुशासनहीनता मानते हुए संबंधित पहलवान पर उचित कार्रवाई करेगा।

दरअसल, बड़े खेलों जैसे ओलिंपिक, विश्व चैंपियनशिप व राष्ट्रमंडल खेलों में चुने गए तथा पदक जीतने वाले खिलाड़ियों के साथ कंपनियां अनुबंध कर लेती है। जिसके बाद कंपनी खिलाड़ी की गतिविधियों व कार्यक्रमों को अपनी मर्जी से संचालित करती है। ऐसे में कई बार फेडरेशन को भी दरकिनार कर दिया जाता है।

जबकि फेडरेशन खिलाड़ियों को ओलिंपिक, विश्व चैंपियनशिप और राष्ट्रमंडल में भेजने के लिए तैयारियों पर लाखों रुपये खर्च करता है, उनको नेशनल कैंप, नकद पुरस्कार व अन्य सुविधाएं फेडरेशन की ओर से दी जाती है। इन सबके बावजूद पहलवान अपनी मर्जी से कंपनियों के साथ अनुबंध कर लेते है, जहां कंपनियां फिर पहलवान को अपने तरीके से चलाती है, जिससे कई बार उनके खेल पर भी असर पड़ता है।

ऐसे कई मामले सामने आए है जब कंपनी की दखलंदाजी की वजह से कई बार खिलाड़ियों के खेल पर भी असर पड़ता है और वह खेल पर ध्यान नहीं दे पाते हैं।

जिस कारण फेडरेशन ने अब पहलवानों पर सख्ती दिखाई हैं मर्जी से अनुबंध करने पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया है। हालाकि पहलवान किसी भी कंपनी के लिए विज्ञापन कर सकते हैं, इसमें किसी प्रकार का प्रतिबंध नहीं है।

आपको बता दें भारतीय कुश्ती संघ पहलवानों पर खर्च करने के लिए स्पांसरशिप लेता है, जो फेडरेशन को लाखों-करोड़ों रुपये की राशि देते हैं। लेकिन जब फेडरेशन के पहलवान देश के लिए पदक जीतते हैं, तो फेडरेशन के स्पांसर की अनेदखी करते हुए अन्य कंपनियों के साथ अनुबंध कर लेते हैं। ऐसे में स्पांसर धीरे-धीरे फेडरेशन से हाथ पीछे खींचना शुरू कर देते हैं।

इस मामले को बताते हुए भारतीय कुश्ती संघ के सहायक सचिव विनोद तोमर ने कहा कि देश में कई ऐसे स्पांसर हैं, जो फेडरेशन को आर्थिक मदद करते हैं। फेडरेशन इन्हीं स्पांसर के कारण पहलवानों की ट्रेनिंग, नकद पुरस्कार व अन्य सुविधाओं पर खर्च करती है। लेकिन पहलवान ओलिंपिक व राष्ट्रमंडल में पदक जीतने के बाद अन्य कंपनियों के साथ अनुबंध कर लेते हैं, जिससे उनका खेल भी प्रभावित होता है और फेडरेशन को मदद करने वाले स्पांसर भी नाराज होते हैं। इन सब कारणों को देखते हुए यह निर्णय लिया है।

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