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कुश्ती

Wrestlers Protest: पहलवानों ने कहा, बृजभूषण की गिरफ्तारी नहीं होने तक विरोध प्रदर्शन खत्म नहीं करेंगे

पहलवानों ने आरोप लगाया कि डब्ल्यूएफआई प्रमुख अब बाहुबल का सहारा ले रहे हैं और धमकी तथा रिश्वत देकर ‘पीड़ितों’ को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं

Wrestlers Protest: पहलवानों ने कहा, बृजभूषण की गिरफ्तारी नहीं होने तक विरोध प्रदर्शन खत्म नहीं करेंगे
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Bikash Chand Katoch

Updated: 25 April 2023 4:58 PM GMT

भारत के शीर्ष पहलवानों ने कई राजनेताओं और किसान संगठनों के समर्थन के बीच मंगलवार को बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ अपना विरोध प्रदर्शन तेज कर दिया और कहा कि यौन उत्पीड़न के आरोपों का सामना कर रहे भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के अध्यक्ष की गिरफ्तारी नहीं होने तक वे धरना स्थल से नहीं जाएंगे।

विनेश फोगाट, साक्षी मलिक और बजरंग पूनिया सहित पहलवानों ने आरोप लगाया कि डब्ल्यूएफआई प्रमुख अब बाहुबल का सहारा ले रहे हैं और धमकी तथा रिश्वत देकर ‘पीड़ितों’ को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। विनेश ने दावा किया कि दिल्ली पुलिस ने बृजभूषण को पीड़ितों के नाम लीक किए हैं जो हरियाणा कुश्ती संघ के महासचिव राकेश और कोच महाबीर प्रसाद बिश्नोई का इस्तेमाल उन महिला पहलवानों के परिवारों को डराने-धमकाने के लिए कर रहे हैं जिन्होंने डब्ल्यूएफआई प्रमुख के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है।

विनेश ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘बृजभूषण अब शिकायतकर्ताओं के नाम जानते हैं। दिल्ली पुलिस ने उन्हें नाम लीक कर दिए हैं। वे धमकियां दे रहे हैं। वे पीड़ितों को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं और इसलिए प्राथमिकी दर्ज करने में देरी हो रही है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमने सोचा था कि खेल मंत्रालय हमें न्याय देगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। लेकिन हमें न्यायपालिका पर भरोसा है। अगर उच्चतम न्यायालय इस मामले से जुड़ी हर चीज को अपने अधीन ले लेता है तो हमें यकीन है कि कोई खेल नहीं खेला जाएगा, तभी हम धरना स्थल छोड़ेंगे।’’

विनेश ने कहा, ‘‘अगर सिर्फ एक प्राथमिकी दर्ज की जाती है तो हम यहां से नहीं जाएंगे। उसे सलाखों के पीछे डालना होगा। अगर वह बाहर रहेगा तो हम सुरक्षित नहीं रहेंगे। अगर वह खुले में घूम रहा है तो हम ट्रेनिंग कैसे करेंगे।’’ अगर पुलिस प्राथमिकी दर्ज करती है और जांच शुरू करती है तो क्या वे संतुष्ट होंगे? विनेश ने कहा, ‘‘लोगों के खिलाफ सैकड़ों और हजारों प्राथमिकी दर्ज हैं लेकिन यह न्याय का सवाल है। जब हमें यकीन हो जाएगा कि हमें बहकाया नहीं जाएगा तो हम विरोध खत्म कर देंगे, नहीं तो हम यहां डटे हुए हैं।’’

इस बीच हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा सहित कई राजनेताओं तथा खाप नेताओं ने मंगलवार को प्रदर्शन कर रहे पहलवानों से मिलकर उनके प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया।

चूंकि मामला और आरोप यौन उत्पीड़न से जुड़े हुए हैं, जो कि इसे काफी संवेदनशील और संगीन बनाते हैं। वहीं इंडियन पीनल कोड भी ऐसे आरोंपो पर सख्त रुख ही रखता है इसे इस एक लाइन से समझा जा सकता है कि, अगर पुलिस के सामने महिलाओं के खिलाफ अपराध का खुलासा करने वाली कोई शिकायत (मसलन यौन उत्पीड़न) आती है तो उसे दर्ज करना अनिवार्य है। अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो यह एक दंडनीय अपराध भी है। ऐसे में महिला पहलवानों, जिनमें एक नाबालिग भी है, उनकी शिकायतों के आधार पर केस दर्ज में इतनी देरी करने की कोई वजह नहीं दिखती। खासतौर पर कोई कानूनी अड़चन तो बिल्कुल नहीं है, फिर भी अब तक प्राथमिकी दर्ज नहीं हो पाई है।

इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने शरण के खिलाफ यौन शोषण के आरोपों पर प्राथमिकी दर्ज न किए जाने का आरोप लगाने वाली सात महिला पहलवानों की याचिका पर दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किए तथा कहा कि ये ‘‘गंभीर आरोप’’ हैं जिन पर विचार करने की आवश्यकता है।

प्राथमिकी दर्ज करने में दिल्ली पुलिस ने जब देरी की तो पहलवान इसकी मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट गए। मंगलवार को सुनवाई के दौरान, पहलवानों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने तर्क दिया, "सर्वोच्च न्यायालय के दिशानिर्देशों के अनुसार, पुलिस कर्मियों को भी ऐसे अपराधों में मामला दर्ज नहीं करने के लिए दंडित किया जाता है" दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी करते हुए मुख्य न्यायाधीश ने कहा, "यौन उत्पीड़न के संबंध में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले पहलवानों की याचिका में गंभीर आरोप लगाए गए हैं"

अभी तक दिल्ली पुलिस की ओर से इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक, दिल्ली पुलिस ने खेल मंत्रालय से निगरानी समिति की रिपोर्ट मांगी है। अधिकारियों का कहना है कि रिपोर्ट के निष्कर्षों के आधार पर, "उचित कार्रवाई की जाएगी।"

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