Begin typing your search above and press return to search.

कुश्ती

Wrestlers Protest: हरिद्वार से वापस लौटे पहलवान, नरेश टिकैत ने मेडल गंगा में बहाने से रोका, 5 दिन का समय मांगा

आंदोलनरत पहलवानों ने भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत के अनुरोध के बाद पदक विसर्जन कार्यक्रम पांच दिनों के लिए स्थगित कर दिया

Wrestlers Protest: हरिद्वार से वापस लौटे पहलवान, नरेश टिकैत ने मेडल गंगा में बहाने से रोका, 5 दिन का समय मांगा
X
By

Bikash Chand Katoch

Updated: 31 May 2023 8:02 AM GMT

गंगा में अपने ओलंपिक और विश्व पदक विसर्जित करने उत्तराखंड के हरिद्वार पहुंचे आंदोलनरत पहलवानों ने मंगलवार शाम भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत के अनुरोध के बाद पदक विसर्जन कार्यक्रम पांच दिनों के लिए स्थगित कर दिया। टिकैत ने पहलवानों से पांच दिन का समय मांगा, जिसके बाद पहलवानों ने विसर्जन स्थगित करने की घोषणा की।

पहलवान जैसे अपने पदक गंगा नदी में बहाने को तैयार हुए वैसे ही ‘हर की पौड़ी’ पर काफी भीड़ इकट्ठा हो गयी। साक्षी, विनेश और उनकी चचेरी बहन संगीता सुबकती दिखायी दीं और उनके पति उन्हें सांत्वना देने की कोशिश कर रहे थे। उनके समर्थकों ने उनके चारों ओर घेरा बनाया हुआ था।

पहलवान ‘हर की पौड़ी’ पहुंचकर करीब 20 मिनट तक चुपचाप खड़े रहे। फिर वे गंगा नदी के किनारे अपने पदक हाथ में लेकर बैठ गये। बजरंग 40 मिनट बाद वहां पहुंचे। विनेश के पति सोमबीर राठी के पास एशियाई खेलो में विनेश के जीते पदक थे। साक्षी के हाथ में रियो ओलंपिक का कांस्य पदक था।

इस पूरे मामले ने 1960 की एक घटना की यादें ताजा कर दी जब महान मुक्केबाज मुहम्मद अली ने अमेरिका में नस्लीय पक्षपात के खिलाफ अपना ओलंपिक स्वर्ण पदक ओहियो नदी में फेंक दिया था।

खाप और राजनेताओं के अनुरोध के बाद करीब पौने दो घंटे यहां बिताने के बाद पहलवान वापिस लौट आये। किसान नेता शाम सिंह मलिक और नरेश टिकैत ने मामले को सुलझाने के लिये पहलवानों से पांच दिन का समय मांगा है। पहलवान जितेंदर किन्हा ने कहा, ‘‘खाप नेताओं ने हमारे सामने अपनी पगड़ी रख दी और कहा कि उम्मीद मत छोड़ो। पगड़ी की लाज रखो और लौट चलो। हमने इंतजार करने का फैसला किया है।’’

हर की पौड़ी पर खाप और किसान नेताओं ने समर्थकों की मानव श्रृंखला तोड़ी और पहलवानों तक पहुंचे । गंगा दशहरे के मौके पर यहां पहुंचे हजारों श्रृद्धालु हैरत से यह सब देखते रहे। पहलवानों ने मीडिया से कोई बात नहीं की। कई अन्य खाप नेताओं और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने भी पहलवानों का समर्थन किया लेकिन उनसे संयम बरतने की अपील की

वहीं खेल मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि ट्रॉफियां और पदक देश के हैं। सूत्र ने कहा, ‘‘ये पदक उनके अकेले के नहीं बल्कि देश के हैं क्योंकि वे तिरंगे तले खेलते हैं। ये पदक सिर्फ उनके प्रयासों का नतीजा नहीं है बल्कि इसके पीछे कोचों और सहयोगी स्टाफ की भी मेहनत है।’’

उन्होंने आगे कहा, ‘‘पिछले पांच साल में कुश्ती पर 150 करोड़ रूपये से अधिक खर्च किये गए हैं ताकि पहलवानों को सर्वश्रेष्ठ सुविधायें मिल सके। उन्हें विदेश भेजा गया, अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में भाग लेने का मौका दिया। यह पैसा देश के करदाताओं का है।’’

महिला पहलवानों के यौन शोषण को लेकर सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ आंदोलन कर रहे पहलवानों ने अपने मेडल हरिद्वार स्थित हर की पौड़ी पर गंगा में बहाने का एलान किया था। योजना के तहत बजरंग पूनिया, विनेश फोगाट और साक्षी मलिक अपने-अपने पदक गंगा में प्रवाहित करने हरिद्वार पहुंचे और मालवीय घाट के पास बैठ गए। पहलवानों ने कहा कि मेडल उनकी जान और आत्मा हैं। इनके गंगा में बह जाने के बाद उनके जीने का भी कोई मतलब रह नहीं जाएगा इसलिए वे इंडिया गेट पर आमरण अनशन पर बैठ जाएंगे।

पहलवानों ने कहा - हम अंदर से ऐसा महसूस कर रहे हैं कि इस देश में हमारा कुछ बचा नहीं है। हमें वे पल याद आ रहे हैं जब हमने ओलंपिक, विश्व चैंपियनशिप में मेडल जीते थे। अब लग रहा है कि क्यों जीते थे। इन पदकों को हम गंगा में बहा रहे हैं क्योंकि वह गंगा मां हैं। ये पदक सारे देश के लिए ही पवित्र हैं और पवित्र मेडल को रखने की सही जगह पवित्र मां गंगा ही हो सकती हैं।

यहां से सभी पहलवान खिलाड़ी हर की पौड़ी पहुंचे। इसी दौरान भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता नरेश टिकैत अपने समर्थकों के साथ यहां आ गये और खिलाड़यिों की मान मनौव्वल शुरू हुई। लगभग एक घंटे की बातचीत के बाद सरकार से 5 दिन के भीतर समस्या को सुलझाने के वादे के साथ खिलाड़यिों ने पदक विसर्जित करने की योजना स्थगित कर दी।

दिल्ली पुलिस द्वारा 28 मई को हिरासत में लिए गए और जंतर-मंतर में धरना स्थल से हटाए गए देश के शीर्ष पहलवानों ने मंगलवार को कहा कि वे कड़ी मेहनत से जीते अपने पदक गंगा नदी में बहा देंगे और इंडिया गेट पर ‘आमरण अनशन’ पर बैठेंगे। इस बीच दिल्ली पुलिस ने मंगलवार को कहा कि वे इंडिया गेट पर पहलवानों को प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं देंगे क्योंकि यह राष्ट्रीय स्मारक है, प्रदर्शन करने की जगह नहीं।

Next Story
Share it