कुश्ती
सिर की चोट के लिए मैच के दौरान 'कठोर टेप' के इस्तेमाल से मेरा ध्यान भटका: बजरंग पूनिया
उन्होंने कहा, अमेरिक के रेसलर के खिलाफ रणनीति बनाने की जगह मैं और मेरी टीम टेप से निजात पाने में व्यस्त रहे
ओलंपिक पदक विजेता भारतीय पहलवान बजरंग पूनिया विश्व कुश्ती चैम्पियनशिप के क्वार्टर फाइनल में अमेरिका के जॉन माइकल दियाकोमिहालिस के खिलाफ मुकाबले के दौरान सिर की चोट के लिए चिकित्सकों के द्वार इस्तेमाल किये गये 'कठोर टेप' से नाराज है। बजरंग ने आरोप लगाया है कि विश्व चैम्पियनशिप में मौजूद डॉक्टर ने उनकी चोट पर कठोर टैप का इस्तेमाल किया जिससे वह मुकाबले पर पूरा ध्यान नहीं दे सके।
विश्व चैम्पियनशिप में अपना पहला खिताब जीतने की कोशिश में लगे बजरंग को बेलग्रेड में अपने शुरुआती मुकाबले के पहले ही मिनट में क्यूबा के एलेजांद्रो एनरिक व्लादेस टोबियर के खिलाफ सिर में चोट के कारण खून निकलने लगा था। वहां मौजूद चिकित्सकों ने उनकी चोट के ऊपर 'कठोर टेप' लगाया था, जिसका उपयोग वास्तव में घुटने और टखने को स्थिर करने के लिए किया जाता है। आमतौर पर टेनिस और बास्केटबॉल खिलाड़ी ऐसे टेप का इस्तेमाल करते हैं। यह टेप उनके बालों में फंस गया। पहला मुकाबला तो बजरंग ने जीत लिया लेकिन उन्हें अगले मैच की तैयारी के लिए समय नहीं मिला।
बजरंग ने इंटरव्यू में कहा, भगवान जाने उन्होंने ऐसा क्यों किया? मुझे इससे बहुत दिक्कत हुई क्योंकि टेप में मेरे सिर के बाल फंस गये थे। उन्होंने चोट पर रूई का लगाए बिना ही टेप चिपका दिया। टेप को सिर से हटाने के लिए मुझे एक जगह से अपने बाल भी काटने पड़े। इसे हटाने में 20 मिनट से ज्यादा मिनट। उन्होंने कहा, अमेरिक के रेसलर के खिलाफ रणनीति बनाने की जगह मैं और मेरी टीम टेप से निजात पाने में व्यस्त रहे। दो मुकाबलों के बीच मेरे पास 20-25 मिनट का समय था और यह सारा समय टेप हटाने में निकल गया।
बजरंग से उनके व्यक्तिगत फिजियो डॉ. आनंद दुबे ने कहा कि आदर्श रूप से डॉक्टरों को हलका चिपकने वाला टेप इस्तेमाल करना चाहिए था। उन्होंने कहा, कठोर टेप के कारण सिर में सूजन आ जाती है। इससे व्यक्ति के सिर में दर्द भी रहता है। आप जानते हैं कि पहलवान प्रतिद्वंद्वी के सिर पर अपना हाथ कैसे डालते हैं। इसलिए हमने इसे हटाने का फैसला किया और हलका चिपकने वाला टेप लगाया। बजरंग अमेरिका के खिलाड़ी से तकनीकी श्रेष्ठता से हारकर स्वर्ण पदक की दौड़ से बाहर हो गए थे। उन्होंने हालांकि बाद में रेपचेज दौर के जरिए कांस्य पदक जीता।
चार विश्व पदक जीतने वाले एकमात्र भारतीय पहलवान बजरंग ने कहा कि दियाकोमिहालिस से तकनीकी श्रेष्ठता से हारने की उन्हें उम्मीद नहीं थी। उन्होंने कहा, ''मैं 2019 में इस पहलवान से 10-9 से हार गया था। मैं यह नहीं कह रहा हूं कि मैं उसे आसानी से हरा देता, लेकिन मैं कम से कम एक करीबी मुकाबले की उम्मीद कर रहा था। पहले, सिर में चोट और फिर इस टेप के मुद्दे ने वास्तव में मुझे परेशान किया।''
उन्होंने आगे कहा, ''विश्व चैम्पियनशिप और ओलंपिक में प्रतिस्पर्धा लगभग एक समान है। यह 65 किग्रा में और मुश्किल है। आपने देखा होगा कि हाजी अलाइव (अजरबैजान) एक ओलंपिक पदक विजेता हैं, लेकिन बेलग्रेड से खाली हाथ लौटे हैं।'' हालांकि, बजरंग अपने प्रदर्शन से संतुष्ठ है। उन्होंने कहा, ''जब आप आक्रमण करते हैं, तो आपको कुछ अंक गंवाने के लिए तैयार होना चाहिए। अगर मैंने अंक गंवाए हैं तो उससे भी ज्यादा बनाए भी हैं। आप रक्षात्मक रह कर दूसरे खिलाड़ी को अंक लेने से रोक सकते हैं, लेकिन खुद अंक बनाने के लिए मैं आक्रामक खेल पर विश्वास करता हूं।''