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कुश्ती

मां ने भैंस पालकर बेटी को बनाया इस काबिल कि आज बन गई है अंतर्राष्ट्रीय पहलवान, जानिए स्वर्ण पदक विजेता विनेश के संघर्ष की कहानी

पिता का साया सिर से उठने के बाद मां प्रेमलता ने भैंस पालकर और पिता की पेंशन से बेटी को आज अंतर्राष्ट्रीय पहलवान बनाया हैं।

मां ने भैंस पालकर बेटी को बनाया इस काबिल कि आज बन गई है अंतर्राष्ट्रीय पहलवान, जानिए स्वर्ण पदक विजेता विनेश के संघर्ष की कहानी
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Pratyaksha Asthana

Published: 10 Aug 2022 8:40 AM GMT

राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण हासिल करने वाली महिला पहलवान विनेश फोगाट ने इन खेलों में अपनी जीत की हैट्रिक लगाई हैं।

विनेश को इस काबिल बनाने के लिए उनकी मां ने बहुत कठिनाइयों को उठाते हुए बेटी को इस मुकाम तक पहुंचाया हैं।

छोटी उम्र में पिता को खोने के बाद विनेश और उनकी बड़ी बहन प्रियंका को उनके ताऊ द्रोणाचार्य अवार्डी महाबीर फोगाट ने अपनाया और अपने बेटियों गीता-बबिता के साथ अखाड़े में उतारा।

बचपन से ही विनेश का जीवन बहुत उतार चढ़ाव भरा रहा हैं। पिता का साया सिर से उठने के बाद मां प्रेमलता ने भैंस पालकर और पिता की पेंशन से बेटी को आज अंतर्राष्ट्रीय पहलवान बनाया हैं।

विनेश ने भी हर मुश्किल का बहादुरी ने सामना किया हैं, रियो ओलंपिक में भयंकर चोट लगने के बावजूद देश की बहादुर बेटी ने हार नहीं मानी और टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया। हालांकि चोट व मानसिक हालातों के चलते विनेश जीत दर्ज करने में सफल नहीं हुई, बावजूद इसके विनेश ने हिम्मत ने नही छोड़ी और लगातार कड़ी मेहनत करके राष्ट्रमंडल खेलों में अपने सोने की हैट्रिक लगाते हुए अपनी मां की कठिन तपस्या और ताऊ की मेहनत को व्यर्थ नहीं जाने दिया।

विनेश के पिता व महाबीर फोगाट के भाई राजपाल रोडवेज विभाग में ड्राइवर थे, जिनकी 2003 में मृत्यु हो गई थी, जिसके बाद महावीर फोगाट ने विनेश और उसकी बहन प्रियंका को अपनाया और पहलवानी की ट्रेनिंग दी। ताऊ के अभ्यास और चचेरी बहनें गीता बबिता से मिली प्रेरणा के चलते विनेश ने दर्जनों पदक अपने नाम किए हैं।

विनेश की मां प्रेमलता गीता-बबीता की मां दयाकौर की छोटी बहन हैं, मौसी की बेटियों के साथ ही विनेश ने ज्यादातर समय अखाड़े में ही बिताया है।

बेटी की कामयाबी पर मां प्रेमलता की आंखों में आंसू आ जाते हैं। विनेश पर गर्व जाहिर करते हुए मां कहती हैं कि बेटी को ताऊ महावीर फोगाट की हिम्मत ने बल दिया और गोल्ड जीतकर ताऊ व परिवार को ऊंचाइयों पर पहुंचाया है। विनेश के पिता की मौत होने के बाद एक बार तो वह टूट चुकी थी कि छोटे बच्चों का कैसे गुजारा कर पाऊंगी। ताऊ की हिम्मत के बाद भैंसें पालकर व पति की पैंशन से गुजारा चलाते हुए बेटी को कुश्ती में देश के लिए सोने की चिडिय़ा तैयार किया।

वहीं भाई हरविंद्र व सरपंच अमित कुमार ने बताया कि विनेश व हमने महाबीर फोगाट को ही अपना पिता माना और उनके दिखाए मार्ग पर चले। प्रेरणा लेते हुए विनेश ने अपने रिकार्ड को बढ़ाते हुए गोल्ड जीतकर मेडल की संख्या में इजाफा किया है।

उन्होंने कहा कि एक समय उनके पास खर्च के लिए पर्याप्त पैसे नहीं थे तो उनके पास जो गाड़ी थी, उसको बेचकर विनेश की प्रेक्टिस का खर्च चलाया। आज विनेश ने गोल्ड जीतकर देश का मान बढ़ाया है, विनेश अब 2024 के ओलंपिक में फिर से गोल्ड जीतकर दोहरी खुशी देगी।

बता दें विनेश की उपलब्धि पर सरकार द्वारा उन्हें अर्जुन व राजीव गांधी पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।

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