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क्या स्विमिंग फेडरेशन की लापरवाही से दांव पे लग रहा स्विमर्स का करियर?
सालों से चला आ रही बहस मानो थमने का नाम ही नहीं ले रही और सबसे ज़्यादा नुकसान इसमें खिलाड़ियों का ही हो रहा है। दरअसल यह बात हाल ही में समाप्त हुई नैशनल एक्वेटिक चैंपियनशिप में और उभर कर सामने आई।
राष्ट्रीय खेलों में कई रिकॉर्ड्स बनते हैं और टूटते भी हैं और कई बार खिलाड़ी अपना बेस्ट इन खेलों में ही देते हैं। पर स्विमिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया इन रिकार्ड्स को मानता ही नहीं है। यह राष्ट्रीय रिकार्ड्स तैराकों के फॉर्म को निर्धारित करता है और उभरते हुए खिलाड़ियों को भी सामने लाता है पर स्विमिंग फेडरेशन का इससे इत्तेफाक न रखना कहीं न कहीं इन खिलाड़ियों के हौसलों को डामा-डोल कर रहा है। स्विमिंग फेडरेशन इस पैमाने को मान्यता नहीं देती है। उनके हिसाब से यह सिर्फ टाइमिंग है और कुछ नहीं।
अब आप सजन प्रकाश को ही ले लीजिए। जहां उन्होंने 200 मीटर मेडले में 2:05:83 की टाइमिंग के साथ नेशनल रिकॉर्ड बनाया वहीं स्विमिंग फेडरेशन की रैंकिंग में इसका कोई ज़िक्र ही नही है। उनकी लिस्ट में बेस्ट परफॉरमेंस रेहान पोंचा की 2:05:89 के टाइमिंग के साथ दर्ज है।
इनके ही जैसी तमिलनाडु की ए वी जयावीणा ने 50 मीटर ब्रेस्टस्ट्रोक में 33.76 सेकंड्स का रिकॉर्ड बनाया पर SFI के लिस्ट में बेस्ट परफॉरमेंस में प्रियंका प्रियदर्शिनी का 34.29 सेकंड्स का रिकॉर्ड दर्ज है।
अब यह कब तक चलेगा। दोनों ही संस्थान एक समान मत से कोई निर्णय नहीं ले पा रहे हैं। ऐसे में इन खिलाड़ियों की क़िस्मत की डोर कब कहाँ खिंचेगी, वो यही लोग ही जाने। पर ये तो तय है कि इससे खिलाड़ियों और खेल के साथ खिलवाड़ हो रहा है।