भारोत्तोलन
Commonwealth Games 2022: जंगल में लकड़ियां बीनने से लेकर देश के लिए पदक हासिल करने तक आसान नहीं था मीराबाई चानू का यह सफ़र
भारतीय स्टार एथलीट मीराबाई चानू पर लोगों की निगाहें टिकी हुई हैं। मीराबाई का नाम स्वर्ण पदक जीतने वाले दावेदारों में शुमार हैं।
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इंग्लैड के बर्मिंघम में आयोजित राष्ट्रमंडल खेलों के दूसरे दिन भारोत्तोलन में अपना कमाल दिखाने उतर रही टोक्यो ओलंपिक की रजत पदक विजेता और भारतीय स्टार एथलीट मीराबाई चानू पर लोगों की निगाहें टिकी हुई हैं। मीराबाई का नाम स्वर्ण पदक जीतने वाले दावेदारों में शुमार हैं।
अपनी मेहनत से कामयाबी हासिल करने वाली मीराबाई का सफ़र इतना भी आसान नहीं था।
मणिपुर की राजधानी इंफाल के नोंगपोक गांव से आने वाली मीराबाई का जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था। छह भाई बहनों में सबसे छोटी मीरा जलावन के लिए अपने भाई बहनों के साथ जंगल से लकड़ियां बीनने जाती थी। महज़ 12 साल की उम्र में वह लकड़ियों का भारी गट्ठर उठाकर घर ले जाया करती थी जो उनके बड़े भाई से भी नही उठाई जाती थी। मीराबाई से चार साल बड़े उनके भाई सैखोम सांतोम्बा राज्य स्तर के फुटबॉलर रह चुके हैं।
एक इंटरव्यू में सांतोम्बा ने बताया था कि,"एक दिन लकड़ी का जो भार उनसे नहीं उठ रहा था उसे मीराबाई ने आसानी से उठाकर जंगल से लगभग दो किलोमीटर दूर घर आसानी से लेकर आ गई। और तब वह महज 12 साल की थीं।"
स्टार खिलाड़ी मीरा को भारोत्तोलन की प्रेरणा तब मिली जब वह कक्षा 8 में पढ़ती थी। कक्षा 8 की किताब में उन्होंने वेटलिफ्टर कुंजारानी देवी के बारे में पढ़ा था, तभी से मीराबाई ने भारोत्तोलन को अपनी जिंदगी का लक्ष्य बना लिया, और वापस कभी पीछे मुड़कर नही देखा।
अभ्यास करने के लिए उन्हे अपने गांव से 25 किलोमीटर दूर अकादमी जाना पड़ता था, जिसके लिए वह रोज ट्रक ड्राइवर्स से लिफ्ट लेकर अपनी अकादमी पहुंचे पाती थी।
स्वभाव से बेहद शांत मीराबाई ने तब सुर्खिया बटोरी जब उन्होंने 2014 राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक हासिल कर देश का नाम रौशन किया। इसके अलावा मीराबाई विश्व चैंपियनशिप में भी पदक जीत चुकी हैं। उन्होंने 2017 में हुए विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक अपने नाम किया था।
वहीं 2018 में गोल्ड कोस्ट में हुए राष्ट्रमंडल खेलों में शानदार प्रदर्शन करते हुए देश के लिए स्वार्थ पदक जीता था। और इसके बाद उन्होंने 2021 में हुए टोक्यो ओलंपिक में रजत पदक जीतकर अपने नाम का डंका पूरी दुनिया में बजा दिया। मीराबाई को टोक्यो ओलंपिक में पदक जीतने पर मणिपुर के सीएम बिरेन सिंह ने एक करोड़ रुपये से सम्मानित भी किया था।
लगातार बेहतरीन प्रदर्शन को देखते हुए मीराबाई को साल 2018 में मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार और पद्मश्री से भी सम्मानित किया जा चुका हैं।