टेनिस
सुमित नागल ने ब्यूनस आयर्स एटीपी चैलेंजर जीतकर रचे कई इतिहास, लेकिन भारत में टेनिस के साथ हो रहे रवैये को लेकर जताया अफ़सोस
रविवार रात भारतीय टेनिस प्रेमियों के लिए शानदार रही जब युवा टेनिस स्टार सुमित नागल ने ब्यूनस आयर्स एटीपी चैलेंजर जीत कर इतिहास रच दिया। सुमित नागल ब्यूनस आयर्स एटीपी चैलेंजर जीतने वाले न सिर्फ़ पहले भारतीय बन गए बल्कि इससे पहले किसी एशियाई खिलाड़ी के नाम भी ये ख़िताब नहीं था।
रोजर फ़ेडरर को भी यूएस ओपन में एक सेट में दी थी सुमित नागल ने मात
नागल ने ख़िताबी मुक़ाबले में विश्व रैंकिंग में 166वें नंबर के खिलाड़ी फ़ाकुन्डो बग्निस को सीधे सेटों में 6-4, 6-2 से शिकस्त दी। सुमित नागल के करियर का ये सिर्फ़ दूसरा एटीपी ख़िताब है। हालांकि जीत के बाद नागल ने भारत में टेनिस के साथ हो रहे बर्ताव को लेकर निराशा ज़ाहिर की।
‘’मेरे लिए ये जीत बहुत ख़ास है, मैं लगातार अच्छा टेनिस खेल रहा हूं जिससे मेरा आत्मविश्वास बढ़ रहा है। चैलेंजर के फ़ाइनल में पहुंचना और वह भी अर्जेंटीना में आकर, ये अपने में ही ख़ास है। ये ख़िताब जीतने वाला मैं पहला भारतीय हूं, इस बात पर मुझे गर्व तो है लेकिन साथ ही साथ इस बात का अफ़सोस भी है कि यूएस ओपन में अच्छा करने के बाद भी सामने कुछ नहीं है। 22 साल की उम्र में रोजर फेडरर जैसे खिलाड़ी के ख़िलाफ़ एक सेट जीतने के बावजूद इसका कहीं कोई असर नहीं पड़ा। बहुत ख़राब लगता है कि इसके बाद भी कोई भी टेनिस में निवेष नहीं करना चाहता, मेरे पास अभी भी वही बजट है जो 2018 में था और तब मेरी रैंकिंग 350 थी। अभी मुझे सबसे ज़्यादा ज़रूरत है, बस मैं उम्मीद ही कर सकता हूं कि ये देश टेनिस को लेकर भी बड़ा सोचे ताकि और भी अच्छे खिलाड़ी आ सकें।‘’ : सुमित नागल, भारतीय टेनिस खिलाड़ी
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सुमित नागल की बातों में साफ़ तौर पर निराशा झलक रही है, फिर भी हमें उम्मीद है कि आने वाले समय में नागल और भारतीय टेनिस का भविष्य बेहतर हो सके। इस ख़िताबी जीत के बाद नागल टॉप 135 खिलाड़ियों में शामिल हो सकते हैं।