टेबल टेनिस
दीया और मानुष के बाद स्वस्तिका घोष ने खटखटाया दिल्ली कोर्ट का दरवाजा, चयन प्रक्रिया पर भी उठने लगे सवाल
उनके पिता और कोच संदीप घोष ने कहा कि उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट में एक 'रिट याचिका' दायर की है
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स्वस्तिका घोष
पिछले दिनों भारत की टेबल टेनिस खिलाड़ी दीया चितले राष्ट्रमंडल खेलों में चयनित न होने के बाद वे चयन के लिए कोर्ट के दरवाजे पर पहुंच गई थी। जिसके बाद उनका चयन टीम में हो गया था। अब एक बार फिर भारत की एक और टेबल टेनिस खिलाड़ी ने इस तरीके को अपनाया है और टीम में चयन न होने के कारण दिल्ली कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इस बार इस खिलाड़ी का नाम स्वस्तिका घोष है। जिन्होंने चयन के लिए राष्ट्रमंडल खेलों का दरवाजा खटखटाया है।
उनके पिता और कोच संदीप घोष ने कहा कि उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट में एक 'रिट याचिका' दायर की है और इसकी सुनवाई शुक्रवार को होगी। दिया चितले और मानुष शाह ने भी इस मामले में हाईकोर्ट के हस्तक्षेप की मांग की थी। चितले को अब अर्चना कामत की जगह टीम में शामिल कर लिया गया है, लेकिन चयनकर्ताओं ने मानुष को पुरुष टीम में शामिल नहीं किया जो भी मानंदड के हिसाब से शीर्ष चार में थे।
इस मामले के बाद देश में टेबल टेनिस के चयन पर सवाल उठने लगे हैं। वर्तमान में इस मामले को एक पूर्व खिलाड़ी ने चयन मापदंडों को लेकर सवाल खड़े किए है और कहा "चयन मानदंड खिलाड़ी के लिए एक मार्गदर्शक के रूप में कार्य करता है। मानदंडों के साथ, वह जानता है कि भारतीय टीम में आने के लिए क्या करने की जरूरत है। लेकिन कुछ खिलाड़ियों के साथ जो बाकी वर्ग से ऊपर की श्रेणी में आते हैं, मुझे लगता है उन्हें आराम मिल सकता है।"
आगे पूर्व खिलाड़ी ने कहा "मौजूदा मानदंडों के अनुसार, घरेलू आयोजनों को बहुत अधिक वेटेज दिया जाता है, जो समझ में आता है कि सभी खिलाड़ी नियमित रूप से अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में खेलने का जोखिम नहीं उठा सकते हैं। दूसरे, अंतरराष्ट्रीय मुकाबलों में प्रविष्टियों की संख्या पर भी प्रतिबंध है।"
बहरहाल अब आने वाला समय ही बताएगा कि क्या दिया की तरह स्वास्तिका भी कोर्ट के द्वारा भारतीय टीम में जगह बना पाती है।