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टेबल टेनिस

Commonwealth Games 2022: इंजीनियरिंग से लेकर टेबल टेनिस तक जाने कैसा रहा महान टेबल टेनिस खिलाड़ी अचंता शरत की कामयाबी का सफर

उनके पिता श्रीनिवास राव और चाचा मुरलीधर राव भी टेबल टेनिस खिलाड़ी रह चुके हैं

Achanta Sharath Kamal
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अचंता शरत कमल

By

Pratyaksha Asthana

Updated: 28 July 2022 7:09 AM GMT

नौ बार सीनियर नेशनल चैंपियन बनने वाले भारत के शीर्ष टेबल टेनिस खिलाड़ी अचंता शरत कमल एक बार फिर राष्ट्रमंडल खेलों में शानदार प्रदर्शन को तैयार हैं।

चार साल की उम्र में टेबल टेनिस खेल में कदम रखने वाले शरत के खून में ही टेबल टेनिस बसा था। उनके पिता श्रीनिवास राव और चाचा मुरलीधर राव भी टेबल टेनिस खिलाड़ी रह चुके हैं। जिस वजह से 15 साल की उम्र में उन्होंने अपनी जिन्दगी का सबसे अहम फैसला लिया, और टेबल टेनिस खेलना शुरू कर दिया।

अपने इंजीनियरिंग की पढ़ाई को छोड़कर उन्होंने टेबल टेनिस में अपना करियर बनाने का फैसला किया और उनकी जिंदगी हमेशा के लिए बदल गई। चेन्नई में जन्मे शरत कमल का जन्म 12 जुलाई 1982 में हुआ था।

2002 के राष्ट्रमंडल खेलों के लिए 16 सदस्यीय संभावित टीम में शामिल होने के बाद उनका जीवन ही बदल गया। तब से लेकर अब तक शरत लगातार शानदार प्रदर्शन करते आए हैं।

बता दें 2019 में शरत ने करियर की सर्वश्रेष्ठ रैंकिंग 30 हासिल की और अगले वर्ष यानी की 2020 में अपना दूसरा अंतरराष्ट्रीय खिताब ओमान ओपन अपने नाम किया। उन्होंने 2004 में एथेंस, 2008 में बीजिंग और 2016 में रियो ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया है। साथ ही उन्होंने 2006 कतर में हुए एशियाई खेलों में भी देश का प्रतिनिधित्व किया हैं।

शरत की उपलब्धियों की ओर ध्यान दे तो-

राष्ट्रमंडल खेल 2018, गोल्ड कोस्ट - स्वर्ण पदक (पुरुष टीम)

राष्ट्रमंडल खेल 2018, गोल्ड कोस्ट - रजत पदक (पुरुष युगल)

राष्ट्रमंडल खेल 2018, गोल्ड कोस्ट - कांस्य पदक (पुरुष एकल)

राष्ट्रमंडल खेल 2014, ग्लासगो - रजत पदक (पुरुष युगल)

राष्ट्रमंडल खेल 2010, दिल्ली - स्वर्ण पदक (पुरुष युगल)

राष्ट्रमंडल खेल 2010, दिल्ली - कांस्य पदक (पुरुष टीम)

राष्ट्रमंडल खेल 2010, दिल्ली - कांस्य पदक (पुरुष एकल)

राष्ट्रमंडल खेल 2006, मेलबोर्न - स्वर्ण पदक (पुरुष टीम)

राष्ट्रमंडल खेल 2006, मेलबोर्न - स्वर्ण पदक (पुरुष एकल)

इसके अलावा अचंता शरत कमल को 2004 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया और 2019 में उन्हें भारत का चौथा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म श्री भी मिला हैं।

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