पैरा खेल
नेत्रहीन, 16 वर्षीय माधी राठवा भाला फेंक में राष्ट्रीय चैंपियन बनीं
माधी वड़ोदरा के एक नेत्रहीन बालिका विद्यालय के छात्रावास में आठवीं कक्षा में पढ़ती है
आदिवासी व पिछड़े क्षेत्र में जन्मी नेत्रहीन 16 वर्षीय माधी राठवा भाला फेंक में नेशनल चैंपियन बनी। गरीब परिवार की माधी वड़ोदरा के एक नेत्रहीन बालिका विद्यालय के छात्रावास में आठवीं कक्षा में पढ़ती है।
गुजरात के आदिवासी पिछड़ा क्षेत्र छोटाउदेपुर जिले के औद गांव में जन्मी दृष्टिहीन लड़की माधी राठवा राष्ट्रीय एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भाला फेंक में स्वर्ण पदक जीतकर राष्ट्रीय चैंपियन बन गई है। खास बात यह है कि माधी राठवा ने पहली बार भालाफेक प्रतियोगिता में भाग लिया है और शहर स्तर से लेकर राज्य स्तर तक के प्रतियोगियों को मात देकर राष्ट्रीय स्तर तक पहुंची है।
माधी राठवा ने दिल्ली के गायगराज स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में आयोजित राष्ट्रीय एथलेटिक्स चैंपियनशिप फॉर द ब्लाइंड में देश भर के 25 अन्य प्रतियोगियों को हराकर भाला फेंक में स्वर्ण पदक जीता। इतना ही नहीं माधी राठवा ने लंबी कूद में भी भाग लिया और उसमें भी कांस्य पदक जीता।
माधी राठवा अपने पिता और दादी के साथ रहती हैं क्योंकि उनकी मां ने उन्हें कम उम्र में ही छोड़ दिया था। माधी के पिता खेती बाड़ी का काम करते हैं।