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हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद का जादू आज भी बरकरार, राष्ट्रीय खेल दिवस के अवसर पर जाने महान खिलाड़ी से जुड़े रोचक तथ्य

दरअसल, मेजर ध्यानचंद की जयंती को राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत के दिग्गज खिलाड़ी ध्यानचंद को हॉकी का जादूगर कहा जाता हैं।

हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद का जादू आज भी बरकरार, राष्ट्रीय खेल दिवस के अवसर पर जाने महान खिलाड़ी से जुड़े रोचक तथ्य
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Pratyaksha Asthana

Updated: 29 Aug 2022 5:39 PM GMT

हम अपने बड़ों से सुनते आए है कि खेल कूद हमारे जीवन का अहम हिस्सा हैं जिससे हमारा शरीर में फुर्ती और ऊर्जा हमेशा बनी रहती हैं। खेल जगत में भारतीय खिलाड़ियों ने नए आयाम स्थापित किए हैं। हॉकी और क्रिकेट से लेकर बैडमिंटन और कुश्ती में भारतीय खिलाड़ियों ने देश का मान बढ़ाया हैं।

आज खेल का दिन है यानी कि राष्ट्रीय खेल दिवस। लेकिन क्या आपको पता है कि हर साल 29 अगस्त को ही क्यों राष्ट्रीय खेल दिवस मनाया जाता है।

दरअसल, मेजर ध्यानचंद की जयंती को राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत के दिग्गज खिलाड़ी ध्यानचंद को हॉकी का जादूगर कहा जाता हैं। उनके टीम में रहते भारत ने हॉकी में तीन ओलंपिक स्वर्ण पदक (1928, 1932 और 1936) अपने नाम किए थे। उनका जादू दशकों बाद भी बरकरार है और वह आज भी भारत के सबसे बड़े खेल आइकन में से एक हैं। सरकार ने ध्यानचंद को 1956 में देश के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया था।

ध्यानचंद के जिन्दगी को बता करें तो महान खिलाड़ी का जन्म 29 अगस्त, 1905 को उत्तर प्रदेश के प्रयागराज हुआ था। ध्यानचंद 16 साल को उम्र में 1922 में एक सैनिक के रूप में भारतीय सेना में शामिल हुए। उनकी प्रेरणा सूबेदार मेजर तिवारी थी, जो खुद एक खेल प्रेमी थे। ध्यानचंद ने उन्हीं की देखरेख में हॉकी खेलना शुरू किया।

वह अपने खेल में इतने माहिर थे कि अगर कोई गेंद उनकी स्टिक पर चिपक जाती तो वह गोल मारकर ही दम लेते। एक बार मैच के दौरान उनकी स्टिक तोड़कर जांच की गई थी कि कहीं उसके अंदर कोई चुंबक या कुछ और चीज तो नहीं है।

बता दें मेजर ध्यानचंद 1936 के बर्लिन ओलंपिक खेलों में भारतीय हॉकी टीम के कप्तान बने थे। भारत ने यहां स्वर्ण पर कब्जा किया था। ध्यानचंद ने 1926 से 1948 तक अपने करियर में 400 से अधिक अंतरराष्ट्रीय गोल किए। वहीं, उन्होंने अपने पूरे करियर में लगभग एक हजार गोल दागे। ध्यानचंद को सम्मान देने के लिए भारत सरकार ने 2012 में उनके जन्मदिन को राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया था।

गौरतलब है कि हाल ही में सरकार ने खेल के क्षेत्र में दिया जाने वाला सबसे बड़े अवॉर्ड राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदलकर मेजर ध्यानचंद के नाम पर किया है।

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