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मणिपुर हिंसा: मीराबाई चानू समेत 11 एथलीटों ने लिखा सरकार को पत्र, पदक लौटाने की चेतावनी
इन लोगों का कहना है कि अगर स्थिति सामान्य नहीं हुई तो वे अपने अवॉर्ड और पदक लौटा देंगे
मणिपुर हिंसा को लेकर ओलंपिक पदक विजेता मीराबाई चानू समेत मणिपुर की 11 खेल हस्तियों ने गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर राज्य में जल्द शांति बहाल करने की मांग की है। इन लोगों का कहना है कि अगर स्थिति सामान्य नहीं हुई तो वे अपने अवॉर्ड और पदक लौटा देंगे।
बता दें कि गृह मंत्री अमित शाह को भेजे गए पत्र में दस्तखत करने वाले खिलाड़ियों में मीराबाई चानू, पूर्व भारतीय महिला फुटबॉल टीम की कप्तान बेम बेम देवी, मुक्केबाज एल सरिता देवी और पद्म पुरस्कार विजेता भारोत्तोलक कुंजारानी देवी शामिल हैं। अधिकांश एथलीट मेइती समुदाय के हैं। हालात की गंभीरता को भांपते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उच्चाधिकारियों के साथ बैठक की। शाह ने सख्त कार्रवाई की चेतावनी भी दी।
गृह मंत्री शाह को लिखे पत्र में एथलीटों ने 8 मांगें रखी हैं, जिनमें राष्ट्रीय राजमार्ग-2 को जल्द से जल्द खोलने की मांग प्रमुख है।
एथलीटों ने अपने पत्र में कहा, "पिछले कई हफ्तों से राष्ट्रीय राजमार्ग-2 (इम्फाल-दीमापुर) को कई स्थानों पर अवरुद्ध किया गया है, जिसके चलते मणिपुर में रोजमर्रा की जरूरत की चीजों की कीमतें बढ़ गई हैं, इसलिए हमारी मांग है कि जल्द से जल्द राष्ट्रीय राजमार्ग को खोला जाए।"
एथलीटों ने अपने पत्र में मांग की है कि केंद्र सरकार मणिपुर के कुकी उग्रवादी समूहों के साथ हुए संचालन निलंबन समझौते को रद्द किया जाए। उनकी मांग है कि मणिपुर की एकता और अखंडता की रक्षा हो और पृथक राज्य की मांग स्वीकार न की जाए। इसके अलावा एथलीटों ने मैतेई समुदाय के लोगों को मणिपुर की पहाड़ियों में बसने और राज्य से अवैध अप्रवासियों को उनके संबंधित देशों में निर्वासित करने की मांग की है।
गौरतलब है कि पिछले 27 दिनों से मणिपुर हिंसा के कारण सुर्खियों में है। गृह मंत्री ने शांति बहाल करने के केंद्र के प्रयासों के तहत मेइती और कुकी दोनों समुदायों के नेताओं, राजनीतिक दलों और अन्य लोगों के साथ बैठकें कीं। रिपोर्ट्स के अनुसार, 3 मई के बाद अब तक कम से कम 74 लोगों की मौत हो गई है। 35,000 से अधिक लोग विस्थापित हो चुके हैं। मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग को लेकर दंगा भड़क गया था।
मणिपुर के कई हिस्सों में कर्फ्यू लागू है, जबकि मोबाइल और ब्रॉडबैंड इंटरनेट सेवाओं को राज्य सरकार ने 3 मई से निलंबित रखा है। उसके बाद से कुकी प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रीय राजमार्ग-2 (इम्फाल-दीमापुर) को अवरुद्ध कर दिया है। सेना और अन्य केंद्रीय सुरक्षा बलों ने दंगों को नियंत्रित किया। हालांकि, तब से छिटपुट हिंसा के कारण हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं। पदक वापसी की चेतावनी के बीच पूर्वोत्तर की स्थिति अभी भी संवेदनशील बनी हुई है।