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दिल्ली हाईकोर्ट ने सीओए को सौंपी भारतीय ओलंपिक संघ की बागडोर, खेल सलाहकार के रूप में अभिनव बिंद्रा और दो अन्य खिलाड़ी होंगे शामिल

पीठ ने आइओए की कमान सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति अनिल आर दवे की अध्यक्षता में पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त डॉ. एस.वाई. कुरैशी, और विदेश मंत्रालय के पूर्व सचिव विकास स्वरूप को सौंपी हैं।

दिल्ली हाईकोर्ट ने सीओए को सौंपी भारतीय ओलंपिक संघ की बागडोर, खेल सलाहकार के रूप में अभिनव बिंद्रा और दो अन्य खिलाड़ी होंगे शामिल
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Pratyaksha Asthana

Published: 17 Aug 2022 9:25 AM GMT

भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) के मामलों को संभालने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को प्रशासकों की तीन सदस्यीय समिति (सीओए) के गठन के निर्देश दिया। न्यायमूर्ति नज्मी वजीरी व न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि यदि कोई खेल महासंघ कानून का पालन नहीं करता है, तो उसे सरकार से कोई मान्यता प्राप्त नहीं होगी और उसे दिए जाने वाले लाभ और सुविधाएं तुरंत बंद हो जाएंगी।

पीठ ने कहा कि एक वैध निकाय खिलाड़ियों के कारण प्रतिनिधित्व करता है, जो भारतीय खेलों का असली चैंपियन होता है। निष्पक्षता और वैधता को सभी सार्वजनिक मामलों में शामिल करने की आवश्यकता होती है। खेल के नियमों का पालन ना करने वाली अडियल संस्थाएं अन्यायपूर्ण तरीके से जारी रहकर सरकार की उदारता और संरक्षण का आनंद लेती है, जिसे समाप्त किया जाना चाहिए।

अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ बनाम राहुल मेहरा के मामले में सुप्रीम कोर्ट के 18 मई 2022 के आदेश पर भरोसा करते हुए पीठ ने आइओए की कमान सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति अनिल आर दवे की अध्यक्षता में पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त डॉ. एस.वाई. कुरैशी, और विदेश मंत्रालय के पूर्व सचिव विकास स्वरूप को सौंपी हैं।

खास बात है कि इसमें खेल सलाहकार के तौर पर ओलिंपिक स्वर्ण पदक विजेता अभिनव बिंद्रा, ओलिंपियन अंजु बाबी जार्ज और ओलिंपियन बोंबायला देवी लैशराम को शामिल किया गया हैं।

बता दें राहुल मेहरा ने याचिका में आइओए और एनएसएफ द्वारा खेल संहिता और इसके बारे में न्यायिक निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन करने की मांग की थी। साथ ही अनुपालन नहीं करने वाले एनएसएफ को निलंबित या वापस लेने के साथ ही उन्हें दिए जाने वाले लाभों को तब तक बंद करने की का निर्देश देने की मांग की थी जब तक कि आइओए या एनएसएफ का गठन और प्रशासन खेल संहिता के अनुरूप नहीं हो जाता।

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