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खेल में महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न मामलों पर खिलाडिय़ों ने जताई नाराजगी
हाल ही में एक महिला साइकलिस्ट ने स्लोवेनिया में अपने साथ हुई भयानक घटना साझा की थी, जिसमें उन्होने आरोप लगाया था की दल के मुख्य कोच ने उनके साथ शारीरिक उत्पीड़न का प्रयास किया
भारतीय खेल जगत में आए दिन महिला खिलाड़ियों के उनके कोच द्वारा शारीरिक उत्पीड़न की घटनाओं ने गंभीर स्थिती पैदा कर दी है। ऐसी घटनाएं लड़कियों के माता-पिता को अपनी बेटियों को स्टेडियम न भेजने के लिए गहरी सोच में डाल सकती हैं। मौजूदा और पूर्व खिलाड़ियों की राय में अधिकारियों ने इस तरह के मुद्दों को समझदारी से निपटने को कहा है।
हाल ही में एक महिला साइकलिस्ट ने स्लोवेनिया में अपने साथ हुई भयानक घटना साझा की थी, जिसमें उन्होने आरोप लगाया था की दल के मुख्य कोच ने उनके साथ शारीरिक उत्पीड़न का प्रयास किया। इस साइकलिस्ट को भारतीय खेल प्राधिकरण ने उनके अनुरोध पर देश वापस बुला लिया और कोच को बर्खास्त कर दिया था। जिनके खिलाफ अभी जांच जारी है। कई भारतीय एथलीट इस घटना से अब तक वाकिफ नहीं हैं लेकिन जब उन्हें इसके बारे में बताया गया तो उन्होंने इसके खिलाफ़ अपना गुस्सा जाहिर किया।
देश की शीर्ष तीरंदाज दीपिका कुमारी ने अधिकारियों से महिला खिलाड़ियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का अनुरोध करते हुए सभी खिलाड़ियों से इस तरह की घटनाओं का बिना किसी डर के खुलासा करने को भी कहा।
तीरंदाज दीपिका ने कहा कि 'यह बहुत ही चौंकाने वाली घटना है। आपको ऐसे लोगों को निकाल देना चाहिए। खेल में हमारी संस्कृति काफी आज़ाद है जिसमें लड़कें और लड़कियां दोनों एक साथ अभ्यास करते हैं, एक छत के नीचे रहते हैं और सुरक्षित महसूस करते हैं।'
उन्होंने आगे कहा, 'इन दिनों माता-पिता अपनी बेटियों को खेल में भेजने में हिचकते हैं। अगर ऐसी घटनायें सामने आती रहीं तो वे अपनी बेटियों को खेलों में भेजना बंद कर देंगे। अब यह अधिकारियों पर है कि वे इन अपराधियों को खेल से दूर कर दें। सुरक्षा सबसे अहम है।'
आपको बता दें हाल ही में साई फैसला लिया था, जिससे राष्ट्रीय खेल महासंघों से महिला खिलाड़ीयों के दल में महिला कोच को शामिल करना अनिवार्य कर दिया है। इन घटनाओं पर प्रतिक्रिया देते हुए भारतीय निशानेबाज मनु भाकर ने कहा, यह चीज उनके खेल में पहले से ही मौजूद है। उन्होंने कहा, 'हमारे पास हमेशा एक महिला कोच या मैनेजर होती है जो हमारे साथ हर दौरों पर रहती हैं। इसलिये मुझे लगता है कि प्रत्येक खेल यही चीज अपना सकता है ताकि महिला खिलाड़ियों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।'
वहीं भारतीय टीम की पूर्व कप्तान और बीसीसीआई की शीर्ष परिषद की सदस्य शांता रंगास्वामी ने खेलों के चलाने के लिये ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को शामिल करने की वकालत की है। उन्होंने कहा, 'कर्नाटक क्रिकेट में, हमारे पास सभी आयु वर्ग के लिए महिला सहयोगी स्टाफ होता है। अगर ज्यादा महिलायें खेल में आयेंगी तो इससे माहौल ही सुरक्षित नहीं होगा बल्कि इससे उन्हें अपने कोचिंग करियर को संवारने में भी मदद मिलेगी।'
इन घटनाओं कई पुरूष खिलाड़ी और कोच और ने भी अपनी नाराजगी दर्ज करवाई। भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान और राष्ट्रीय पुरूष टीम के कोच सरदार सिंह ने कहा, 'इस तरह की घटनाएं 'भारतीय खेलों को बदनाम करती हैं'। उन्होंने आगे कहा कि साई ने जो कदम उठाया है, वह स्वागत करने योग्य है। इसे पहले ही लागू किया जाना चाहिए था।'
वहीं बैडमिंटन खिलाड़ी पारूपल्ली कश्यप ने कहा कि 'ऐसे व्यक्ति' के लिये कोई जगह नहीं होनी चाहिए। उन्होंने आगे कहा, 'अमेरिका जैसा देश भी इससे गुजर चुका है। महिला खिलाड़ी मानसिक रूप से मजबूत हैं, उन्हें तुरंत समस्या का समाधान निकालना चाहिए लेकिन कभी कभार वे शर्म महसूस करती हैं और किसी को नही पातीं। इन घटनाओं से महिला खिलाड़ी दबाव महसूस करती हैं।'