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कोविड-19 महामारी से राष्ट्रील खेल पुरस्कारों की प्रक्रिया में देरी
कोविड-19 महामारी से निपटने के लिये लगे देशव्यापी लॉकडाउन से इस साल के राष्ट्रीय खेल पुरस्कारों को चुनने की प्रक्रिया में भी देरी हो गयी है और खेल मंत्रालय के अधिकारी ने बताया कि अगले महीने आवेदन आमंत्रित किये जायेंगे।
मंत्रालय आमतौर पर अप्रैल में पुरस्कारों के लिये नामांकन मांगता है जबकि इन्हें प्रदान करने का समारोह 29 अगस्त को महान हाकी खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद की जयंती के उपलक्ष्य में मनाये जाने वाले राष्ट्रीय खेल दिवस के मौके पर होता है लेकिन इस साल महामारी के चलते यह प्रक्रिया अभी तक शुरू नहीं हुई है जिससे पूरी दुनिया में दो लाख से ज्यादा और देश में 800 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी हैं।
खेल मंत्रालय के अधिकारी ने पीटीआई से कहा कि मौजूदा परिस्थितियों को देखते देरी लाजमी ही थी। अधिकारी ने कहा, ''मंत्रालय ने अभी तक राष्ट्रीय खेल पुरस्कार आवेदनों के लिये सर्कुलर जारी नहीं किया है। आम तौर पर यह प्रक्रिया अप्रैल के महीने तक पूरी हो जानी चाहिए लेकिन इस साल हालात ही इस तरह के हैं। '' उन्होंने कहा, ''लेकिन उम्मीद है कि सर्कुलर मई में जारी किया जायेगा। ''
कोविड-19 महामारी के चलते देश में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में सभी खेल गतिविधियां रूक गयी हैं। अधिकारी ने कहा, ''पिछले एक महीने से देश में सरकारी और राष्ट्रीय खेल महासंघ के कार्यालय घर से ही काम कर रहे हैं इसलिये देरी तो होनी ही थी। ''
राष्ट्रीय खेल पुरस्कारों में राजीव गांधी खेल रत्न, अर्जुन, द्रोणाचार्य और ध्यानचंद पुरस्कार शामिल हैं जिन्हें हर साल राष्ट्रपति भवन में देश के राष्ट्रपति द्वारा दिया जाता है।
राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार:
राजीव गांधी खेल रत्न भारत में दिया जाने वाला सबसे बड़ा खेल पुरस्कार है. इस पुरस्कार को भारत के भूतपूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नाम पर रखा गया है. इस पुरस्कार मे एक पदक, एक प्रशस्ति पत्र और साढ़े सात लाख रुपय पुरुस्कृत व्यक्ति को दिये जाते है. इस पुरस्कार की स्थापना वर्ष 1991-92 में की गयी थी.
अर्जुन पुरस्कार:
यह पुरस्कार लगातार चार वर्ष तक बेहतरीन प्रदर्शन के लिए दिया जाता है. इस पुरस्कार की स्थापना वर्ष 1961 में हुआ था. पुरस्कार के रूप में पाँच लाख रुपये की राशि, अर्जुन की कांस्य प्रतिमा और एक प्रशस्ति पत्र दिया जाता है.
द्रोणाचार्य पुरस्कार:
यह पुरस्कार खेल-कूद में जीवनभर आजीवन उपलब्धि के लिए वर्ष 2002 में शुरू किया गया सर्वोच्च पुरस्कार है. यह पुरस्कार महान भारतीय हॉकी खिलाड़ी ध्यानचंद के नाम पर है. यह पुरस्कार प्राप्त करने वालों को एक प्रतिमा, प्रमाणपत्र, पारंपरिक पोशाक और पाँच लाख रुपये नकद दिये जाते हैं. इस पुरस्कार से प्रत्येक वर्ष ज़्यादा से ज़्यादा तीन खिलाड़ियों को सम्मानित किया जाता है.