राष्ट्रीय खेल
National Games 2022: एशियन चैंपियनशिप से पहले बूस्ट हासिल करने को नेशनल गेम्स में खिताब जीतना चाहती हैं सिमरनजीत
30 अक्टूबर से जॉर्डन में एशियन चैंपियनशिप होना है और इससे सिमरनजीत को जीत के रास्ते पर वापसी करने का मौका मिलेगा
60 किलोग्राम भारवर्ग में मुक्केबाजी की नई सनसनी जैसमीन लंबोरिया से मिलने वाली चुनौती से वर्ल्ड चैंपियनशिप की कांस्य पदक विजेता सिमरनजीत कौर बाथ पूरी तरह से अवगत हैं। पंजाब की मुक्केबाज ने पिछले महीने एशियन चैंपियन के लिए हुए ट्रायल में राष्ट्रमंडल खेलों में कांस्य जीतने वाली हरियाणा की मुक्केबाज को परास्त किया था और अब वह नेशनल गेम्स में भी इसे दोहराने की कोशिश करेंगी।
जुलाई में कजाकिस्तान में हुए एलोर्डा कप के क्वार्टर फाइनल मुकाबले में सिमरनजीत को हार मिली थी, लेकिन उन्होंने ट्रायल में 21 साल की जैसमीन को मात दी थी। इस बात की पूरी उम्मीद दिख रही है कि 36वें नेशनल गेम्स के टाइटल मुकाबले के लिए फिर से दोनों मुक्केबाजों की भिड़ंत हो।
एशियन चैंपियनशिप ट्रायल के लिए मुकाबले को याद दिलाते हुए सिमरनजीत ने कहा, "यह बढ़िया है कि इतनी अच्छी प्रतिस्पर्धा है और जाहिर तौर पर हार से आपको दुख होता है। हालांकि, आपको हार स्वीकार करके अपनी गलतियों से सीखना होता है। पहले जैसमीन के खिलाफ करीबी हार या जीत होती थी, लेकिन इस बार एशियन चैंपियनशिप के लिए मैं चाहती थी कि अच्छा प्रदर्शन करूं और एकतरफा जीत हासिल करूं।"
30 अक्टूबर से जॉर्डन के अम्मान में कॉन्टिनेंटल चैंपियनशिप होना है और इससे सिमरनजीत को जीत के रास्ते पर वापसी करने का मौका मिलेगा। टोक्यो ओलंपिक में वह प्री-क्वार्टर फाइनल स्टेज में ही हारकर बाहर हो गई थीं।
सिमरनजीत ने कहा, "वापसी करना हमेशा अच्छा लगता है और अब मेरा मुख्य लक्ष्य एशियन चैंपियनशिप में गोल्ड जीतने का है। सीजन काफी व्यस्त रहने वाला है और इससे मेरा आत्मविश्वास काफी अधिक बढ़ेगा। इस साल हमें ओलंपिक क्वालीफायर्स और एशियन गेम्स खेलने हैं। एशियन चैंपियनशिप में अच्छा प्रदर्शन करके मैं टोक्यो ओलंपिक की निराशा को भुला सकती हूं।"
टोक्यो ओलंपिक के बाद की बात करें तो सिमरनजीत के लिए चीजें आसान नहीं रही हैं। हालांकि, जिस मुक्केबाज ने असफलता को भुलाकर वापसी करने का जज्बा दिखाया है उसे नजरअंदाज करना आसान नहीं है।
उन्होंने कहा, "कोरोना के कारण ओलंपिक में देरी हुई थी। मुझे लगा था कि यह अच्छा होगा, लेकिन मेरे लिए यह बुरा साबित हुआ क्योंकि मैं दो बार कोरोना से संक्रमित हुई और इसके कारण मेरे प्रदर्शन में लगातार गिरावट आई। यह मेरे लिए एक सीख थी। शायद मानसिक तौर पर मैं पूरी तरह तैयार नहीं थी। हमें मानसिक और शारीरिक तौर पर फिट रहना होता है। यदि हम इसमें से किसी में भी हल्का सा डगमगाते हैं तो हमारा खेल भी नीचे जाता है। मैं फिलहाल दोनों का ध्यान रख रही हूं। मैं टॉप लेवल पर अच्छा प्रदर्शन करने के लिए खुद को शारीरिक तौर पर फिट रख रही हूं। मानसिक तौर पर फिट रहने पर भी लगातार फोकस जारी है।"
सिमरनजीत ने आगे कहा, "किसी मैच से पहले मैं मन में सोचती हूं कि इस मैच में मुझे क्या करना है। मैं रिलैक्स रहने के लिए संगीत भी सुनती हूं। कुछ मौके होते हैं जब खुद पर संदेह होता है। सोचती हूं कि यदि मैं हार गई तो क्या होगा, लेकिन मैं अपने दिमाग में ऐसी चीजें नहीं लाना चाहती हूं। मैं ऐसी चीजों को अपने दिमाग से बाहर निकाल देती हूं और मेरा फोकस परिणाम की चिंता किए बिना अपने प्रदर्शन पर रहता है।"
ओलंपिक के एक साल बाद चीजें काफी बदली है और 27 साल की मुक्केबाज के सामने भिवानी से जैसमीन के रूप में एक नई चुनौती है। 60 किलोग्राम भारवर्ग में जैसमीन अपनी दावेदारी तेजी से पेश कर रही हैं। एशियन चैंपियन में दो बार पदक जीत चुकी सिमरनजीत बड़ी जीत के साथ आगे रहना चाहती हैं।
उन्होंने कहा, "खेल में उतार-चढ़ाव लगा रहता है, लेकिन बुरे दौर में मानसिक तौर पर मजबूत रहना काफी जरूरी होता है। मैंने खुद को मानसिक तौर पर संभाला और खुद से लगातार कहती रही कि यह अंत नहीं है। मुझे लगा था कि मैं वापसी कर सकती हूं। मैंने ट्रेनिंग करना बंद नहीं किया और लगातार कड़ी मेहनत करती रहा ताकि आत्मविश्वास हासिल कर सकूं। अंततः मैंने एशियन चैंपियनशिप का टिकट हासिल किया। मेरे लिए परिणाम पर समय खराब करने से ज्यादा अहम है कि मैं अच्छी मुक्केबाजी करूं।"