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राष्ट्रीय खेल

National Games 2022: 'मेरा भी समय आएगा' अब अंतरराष्ट्रीय मंच पर चमकना चाहते हैं भाला फेंक में स्वर्ण जीतने वाले मनु डीपी

मनु ने कहा, "नए सीजन में लक्ष्य 85 मीटर से अधिक का है।"

Manu DP Javelin
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 मनु डीपी

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The Bridge Desk

Updated: 5 Oct 2022 9:09 AM GMT

मनु डीपी ने आईआईटी गांधीनगर मैदान पर 36वें राष्ट्रीय खेलों में 80.74 मीटर के थ्रो के साथ भाला फेंक का स्वर्ण पदक जीता। 22 वर्षीय खिलाड़ी ने स्वीकार किया कि यह उनके सर्वश्रेष्ठ प्रयासों में से एक नहीं था और उन्होंने जोर देकर कहा कि उनका सबसे पहला लक्ष्य 85 मीटर की दूरी पार करनी है।

मनु ने कहा, "यह मेरा सबसे अच्छा प्रयास नहीं था। प्रशिक्षण के दौरान मुझे लगातार 80+ थ्रो मिलते हैं। पिछले साल की तुलना में बहुत बड़ा सुधार है। राष्ट्रीय खेलों के लिए शरीर भरा हुआ था (प्रोटीन और पूरक आहार का अधिक सेवन) और साथ ही यहां का मौसम चुनौतियां पेश कर रहा था।"

मनु ने आगे कहा, "नए सीजन में लक्ष्य 85 मीटर से अधिक का है। मैंने राष्ट्रमंडल खेलों में 82.28 मीटर से पहले, अंतरराज्यीय इवेंट्स में 84.35 मीटर तक फेंका है।"

मनु के फेवरेट एथलीट नीरज चोपड़ा हैं और वह किसी भी मुकाबले से पहले चोपड़ा और अन्य रिकॉर्ड धारकों के वीडियो देखना नहीं भूलते हैं।

मनु, जो नीरज चोपड़ा के बहुत बड़े प्रशंसक हैं, ने स्वीकार किया कि उन्हें एशिया के भाला फेंकने वालों की इलीट ब्रिगेड में शामिल होने से पहले एक लंबा रास्ता तय करना था, जिसमें पाकिस्तान के अरशद नदीम भी शामिल हैं।

नदीम ने हाल ही में 90 मीटर के जादुई निशान को छुआ था और ऐसा करने वाले वह दूसरे एशियाई और दुनिया के 23वें नंबर के थ्रोअर बने हैं। पाकिस्तानी थ्रोअर ने बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स में यह मील का पत्थर हासिल किया, जहां उन्होंने 90.18 मीटर के गेम्स रिकॉर्ड के साथ स्वर्ण पदक जीता।

भारत, हालांकि, चोपड़ा की अनुपस्थिति में खाली हाथ लौट आया, जो कमर की चोट के कारण बाहर हो गए थे। इवेंट में दो भारतीय थ्रोअर मनु और रोहित यादव क्रमशः 82.28 मीटर और 82.22 मीटर के सर्वश्रेष्ठ प्रयासों के साथ पांचवें और छठे स्थान पर रहे थे।

22 वर्षीय मनु मानते हैं कि बर्मिंघम में उन्होंने रिकार्ड बनाने के लिए हिस्सा नहीं लिया था। वह अपनी पहली अंतरराष्ट्रीय इवेंट में अपना सर्वश्रेष्ठ देने के एक साधारण विचार के साथ बर्मिंघम गए थे।

मनु ने कहा, "यह (सीडब्ल्यूजी) मेरा पहला बड़ा अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट था। यह सीखने का महान अवसर था। पाकिस्तान के अरशद नदीम ने जो हासिल किया, उसके करीब मेरा प्रयास कहीं नहीं टिकता। मैं कोई रिकॉर्ड को बनाने नहीं गया था। योजना सरल थी। मैं अपना सर्वश्रेष्ठ देना चाहता था क्योंकि मैं जानता हूं कि अपना भी समय आएगा।"

सर्विसेज के अपने कोच काशीनाथ नाइक की अनुपस्थिति में खुद ही अभ्यास कर रहे मनु ने माना कि बर्मिंघम में उनके लिए हालात बहुत अनापेक्षित था। सलाह के लिए वह केवल 2010 राष्ट्रमंडल खेलों के कांस्य पदक विजेता को वीडियो कॉल कर सकते थे, जो आर्मी इंस्टीट्यूट ऑफ स्पोर्ट्स (एएसआई) में तैनात थे।

मनु ने कहा, "सीडब्ल्यूजी में मुझे सबसे ज्यादा याद आया मेरे कोच आए। अभ्यास के दौरान मेरा मार्गदर्शन करने वाला कोई नहीं था। मैं अपनी रणनीतियों पर चर्चा करने के लिए अपने कोच के साथ केवल एक वीडियो कॉल कर सकता था। मेरे लिए कोच नाइक सर की सलाह ही अंतिम शब्द हैं।"

मनु ने आगे कहा, "इसके अलावा, राष्ट्रमंडल खेलों में नीरज भाई की अनुपस्थिति हमारे लिए एक बड़ा झटका थी। अरशद ने अभ्यास के दौरान मुझसे बात की थी। उन्होंने मुझे अपना सर्वश्रेष्ठ देने की सलाह दी थी।"

कर्नाटक के इस एथलीट ने आगे कहा, "नीरज भाई ने मुझे राष्ट्रमंडल खेलों से पहले मैसेज भी किया और मुझे श्रेष्ठ प्रदर्शन करने की सलाह दी। वह सभी जूनियर थ्रोअर्स के लिए सबसे बड़ी प्रेरणा रहे हैं। नीरज भाई भारत से हैं, यह सोचक अच्छा लगता है। उन्होंने बहुत कुछ हासिल किया है। उनके कारनामे हमें हर प्रयास में अपना सर्वश्रेष्ठ देने की चुनौती देते हैं।"

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