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पर्वतारोहण

नेपाल से सोलन पहुंची पर्वतारोही बलजीत कौर, कैसे दी मौत को मात, सुनें उनकी जुबानी

शनिवार को पर्वतारोही बलजीत कौर अपने गृह जिला सोलन पहुंची सोलन पहुंचने पर बलजीत कौर का भव्य स्वागत किया गया

नेपाल से सोलन पहुंची पर्वतारोही बलजीत कौर, कैसे दी मौत को मात, सुनें उनकी जुबानी
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Bikash Chand Katoch

Published: 30 April 2023 8:14 AM GMT

माउंटेन गर्ल बलजीत कौर हिमाचल प्रदेश की बेटी बलजीत कौर अन्नपूर्णा चोटी फतेह करके वापस अपने प्रदेश लौट आई हैं। शनिवार को पर्वतारोही बलजीत कौर अपने गृह जिला सोलन पहुंची सोलन पहुंचने पर बलजीत कौर का भव्य स्वागत किया गया और यहां उन्होंने अपने साथ हुए हादसे की कहानी भी सुनाई।

पर्वतारोही बलजीत कौर नेपाल स्थित दुनिया की सबसे खतरनाक चोटियों में से एक अन्नपूर्णा चोटी को फतेह कर वापस लौटी हैं। जब वे हादसे का शिकार हुई थीं तो उनके निधन की अफवाह भी पूरे देश और प्रदेश में फैल चुकी थी, लेकिन पहाड़ों की बेटी के हौसले के आगे मौत ने भी अपने घुटने टेक दिए। हिमाचल प्रदेश के जिला सोलन में पहुंचने पर बलजीत कौर का विभिन्न संस्थाओं द्वारा उनका स्वागत किया गया और उन्हें सम्मानित किया गया। इस दौरान पत्रकारों को संबोधित करते हुए बलजीत कौर ने कहा कि मैं पहाड़ों की बेटी हूं और पहाड़ों को तो नहीं छोड़ सकती, लेकिन अब कुछ समय वह अपनी माता पिता के साथ वो समय बिताना चाहती है, वे तीन-चार महीनों तक अपने परिवार को समय देगी, क्योंकि करीब 6 से 7 साल हो गए हैं वह अपने परिवार के साथ अच्छे से समय व्यतीत नहीं कर पाई हैं।

एजैंसी की मिस मैनेजमैंट की वजह से हादसे का शिकार बनी बलजीत

उन्होंने अन्नपूर्णा चोटी पर हुए हादसे के बारे में बताया कि कैसे एजैंसी की मिस मैनेजमैंट की वजह से हादसा हुआ। उन्होंने बताया कि वह बिना ऑक्सीजन के विश्व के सबसे मुश्किल अन्नपूर्णा पहाड़ को चढ़ रही थी। इसलिए एजैंसी ने उन्हें अनुभवी शेरपा का इंतजाम किया लेकिन एक विदेशी पर्वतारोही ने ज्यादा पैसे का उसे ऑफर दिया तो वह शुरू में ही साथ छोड़कर चला गया। फिर उन्हें एक और शेरपा दिया गया लेकिन वह उतना अनुभवी नहीं था। फिर भी वह उसके साथ पहाड़ चढ़ने को तैयार हो गई। वह शेरपा एक पोर्टर (ट्रेनी) को भी अपने साथ लेकर आया। बलजीत ने बताया कि जब 7374 मीटर (24193 फुट) की ऊंचाई पर स्थित माऊंट अन्नपूर्णा कैंप 4 से 15 अप्रैल को अन्नपूर्णा चोटी की ओर निकले तो शेरपा ने उसे और ट्रेनी को आगे चलने को कहा और खुद बाद में आने की बात कही। वह काफी आगे निकल चुके थे तो उसी समय एक और शेरपा हांफता हुआ आया और बोला कि उनके शेरपा ने उसे भेजा है। वह शेरपा पहले ही बहुत थका हुआ था क्योंकि एक दिन पहले ही वह अन्नपूर्णा अभियान से वापस लौटा था।

मैंने अभियान छोड़ने की बात कही, शेरपा नहीं माने

बलजीत ने कहा कि एक बार मैंने अभियान छोड़ने की बात भी कही लेकिन शेरपा नहीं माने कि ट्रेनी के लिए अभियान पूरा करना जरूरी है ताकि वह अगली बार शेरपा बन सके। इसके बावजूद वह अन्नपूर्णा चोटी को फतेह करने में कामयाब रहीं। हालांकि ऑक्सीजन की कमी व थकान होने की वजह से बेहोशी की स्थिति में थी। चलना मुश्किल हो रहा था। अन्नपूर्णा कैंप 4 भी काफी दूर था। ऐसे समय में शेरपा व ट्रेनी भी उसे वहां पर अकेले छोड़कर चले गए। हालांकि इसके लिए वह उन्हें जिम्मेदार नहीं मानती। बलजीत ने कहा कि उन्हें जाने के लिए मैंने ही कहा, वे वहां से न जाते तो उनकी जान जा सकती थी। 48 घंटे तक वह वहां पर अकेली रही और बेस कैंप तक पहुंचने के लिए लगातार प्रयास करती रही। बलजीत कौर जिला सोलन के ममलीग की रहने वाली हैं।

पहाड़ों ने चलना और गिरना सिखाया है

बलजीत कौर का मानना है कि आगे से किसी भी पर्वतारोही के साथ इस तरह का हादसा ना हो उसको लेकर मैनेजमेंट को ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि उन्हें उन्हें पहाड़ों ने चलना सिखाया है गिरना सिखाया है और उठना सिखाया है वे पहाड़ों को छोड़ नहीं सकती, लेकिन थोड़ा इंतजार करने के बाद वे पहाड़ों को फतह करने के लिए फिर निकलेगी।

बलजीत कौर के नाम दर्ज हैं ये रिकाॅर्ड

बलजीत कौर ने पर्वतारोही के रूप में 19 साल की उम्र में अपने करियर की शुरूआत की थी। सबसे पहले मनाली के देओ टिब्बा को फतह किया था। इसके बाद माऊंट पमोरी को फतह करने वाली पहली भारतीय महिला बनी। बलजीत कौर के नाम एक और विशेष रिकाॅर्ड है। वह पहली भारतीय पवर्तारोही हैं, जो महज 30 दिन के अंतराल में 8 हजार मीटर की ऊंचाई वाली 4 चोटियों को फतह करने में कामयाब रही थीं। इनमें अन्नपूर्णा, कंचनजंगा, एवरैस्ट, ल्होत्से और मकालु चोटी शामिल हैं। बलजीत कौर ने पिछले वर्ष माऊंट एवरैस्ट पर तिरंगा फहराने के एक दिन बाद ही माऊंट ल्होत्से को फतह किया था, जो दुनिया की सबसे ऊंची चोटी (8848.86 मीटर) है। बलजीत कौर ने 8000 मीटर की 2 चोटियों को 2 सप्ताह के अंदर फतह करने के लिए भी रिकार्ड दर्ज कर लिया है।

सरकारी नौकरी देने की मांग

पर्वतारोही बलजीत कौर ने बताया कि अगर मैनेजमेंट की तरफ से उनके साथ किसी अनुभव वाले शेरपा को भेजा जाता, तो उनके साथ यह हादसा नहीं होता. हालांकि, वे इस हादसे के लिए किसी को जिम्मेदार नहीं ठहराना चाहती. बलजीत कौर के वापस हिमाचल प्रदेश लौटने के बाद उन्हें सरकारी नौकरी देने की मांग भी जोरों से उठ रही है. हालांकि, इस बारे में बलजीत कौर का कहना है कि यदि सरकार ऐसा कर देती है, तो वे जरूर इसे स्वीकार करेंगी. लेकिन, फिलहाल उनके पास ऐसी कोई जानकारी नहीं है.

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