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खेलो इंडिया

Khelo India Youth Games: हरियाणा की रिद्धी को सिखाने के लिए पहले उनके पिता ने सीखी थी तीरंदाजी

मनोज कुमार फोर की इस लगन का नतीजा है कि उनकी बेटी पांचवीं बार खेलो इंडिया की शोभा बढ़ाने जा रही है

Ridhi Phor archery
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तीरंदाज रिद्धि फोर 

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The Bridge Desk

Updated: 30 Jan 2023 10:39 AM GMT

पांचवीं बार खेलो इंडिया यूथ गेम्स में हिस्सा लेने जा रही हरियाणा के करनाल की तीरंदाज रिद्धी फोर की कहानी औरों से अलग है। आमतौर पर खिलाड़ी पहले अपनी पसंद के खेल को चुनता है और फिर गुरु की तलाश पूरी कर उसमें महारथ हासिल करता है लेकिन रिद्धी के पिता ने अपनी बेटी के लिए तीरंदाजी को चुनने के बाद पहले खुद तीरंदाजी सीखी और फिर बेटी के पहले गुरु और कोच बने।

आइस क्यूब का बिजनेस करने वाले मनोज कुमार फोर की इस लगन का नतीजा है कि उनकी 18 साल की बेटी पांचवीं बार खेलो इंडिया की शोभा बढ़ाने जा रही है। दो साल पहले रिद्धि को टॉप्स डेवलपमेंट प्लेयर की लिस्ट में जगह मिली थी। रिद्धी मानती हैं कि हर बीतते साल के साथ खेलो इंडिया यूथ गेम्स बेहतर हुआ है और यह युवा खिलाड़ियों के लिए एक बेहतरीन प्लेटफार्म बन चुका है।

रिद्धि ने 2018 में नई दिल्ली में आयोजित पहले खेलो इंडिया स्कूल गेम्स में हिस्सा लिया था, जहां उनका आठवां स्थान था। फिर पुणे में वह चौथे स्थान पर रही थीं। गुवाहाटी में रिद्धी ने कांस्य पदक जीता था और फिर पंचकूला में उन्हें स्वर्ण पदक मिला था। मध्य प्रदेश में पहली बार हो रहे खेलो इंडिया यूथ गेम्स रिद्धी के लिए अंतिम होंगे क्योंकि इसके बाद वह इसमें हिस्सा नहीं ले सकतीं।

2021 में ओलंपिक कैंप के दौरान टॉप्स सूची में आने वाली रिद्धी ने कहा, "मेरे पापा खुद तीरंदाजी कोच हैं। उन्होंने मुझे सिखाने के लिए पहले खुद तीरंदाजी सीखी है। वह अब करनाल में और कुरुक्षेत्र में अकादमी में कोचिंग देते हैं। मैं जहां से हूं, वहां आसपास कोई तीरंदाजी अकादमी या कोच नहीं है, लिहाजा मेरे पास ने गुरुग्राम से तीरंदाजी सीखी फिर मुझे वुडेन बो पर सिखाई। मैंने चार साल वुडेन चलाया है। फिर 2016 में मैंने रिकर्व स्टार्ट किया था। मेरे पापा का मानना था कि तीरंदाजी एक इंडिविडुअल स्पोर्ट है और इसमें दूसरे खेलों की तरह इंजुरी कम होती है।"

रिद्धी भारत की सीनियर नेशनल टीम के लिए भी खेल चुकी हैं। बीते साल वह फरवरी में फुकेट में आयोजित जूनियर एशिया कप में खेली थीं, जहां उन्हें दो सिल्वर मेडल (मिक्स्ड टीम और टीम) मिले थे। उसके बाद रिद्धी ने हरियाणा की ओर से मार्च 2022 में सीनियर नेशनल खेला था, जहां उनके नाम सोना आया था। इसके बाद वह एशियन गेम्स के लिए सोनीपत साई में ट्रायल्स में शरीक हुईं और टीम में चुनी भी गईं लेकिन कोरोना के कारण एशियन गेम्स टाल दिए गए।

अपने इंटरनेशनल एक्सपोजर के बारे में रिद्धि ने कहा, "विश्व कप के लिए ए और बी टीमें बनी थीं। मैं ए टीम में थी और तीन विश्व कप खेलीं। पहला विश्व कप तुर्की में हुआ था, जिसमें मेरा मिक्स्ड टीम में मेरे प्रेरणास्रोत तरुणदीप राय सर के साथ गोल्ड आया था। अगला विश्व कप मई में कोरिया में हुआ था, जहां मुझे टीम का ब्रांज मेडल मिला था। फिर जून में पेरिस विश्व कप में मेरा कोई मेडल नहीं था।"

साई सोनीपत सेंटर में दिन में 7-8 घंटे अभ्यास करने वाली रिद्धी ने कहा कि खेलो इंडिया यूथ गेम्स यूथ को मोटिवेशन देने वाला प्लेटफार्म है। रिद्धी ने कहा, "खेलो इंडिया में सब अंडर-18 बच्चे आते हैं। उनके इंटरनेशनल स्तर के वेन्यू पर कम्पटीशन मिलता है। अगर खेलो को आगे ले जाना है तो इस तरह के आयोजन होते रहने चाहिए और चूंकि मैं खेलो इंडिया को शुरुआत से देख रही हूं तो हर गुजरते साल के साथ इसमें सुधार हो रहा है। दिल्ली से मध्य प्रदेश तक खेलो इंडिया ने सकारात्मक सफर तय किया है।"

खेलो इंडिया यूथ गेम्स वेटरन होने के नाते आप युवा खिलाड़ियों को क्या संदेश देना चाहेंगी, इस पर रिद्दी ने कहा, "मैं तो बस यही कहूंगी कि अपना बेस्ट दो और नवर्स होने से बचें क्योंकि तीरंदाजी एक ऐसा खेल है, जहां शूटिंग के वक्त दिल की धड़कने तेज हो जाती हैं और तब निशाना गलत होने का अंदेशा रहता है। खेलो इंडिया एक बेहतरीन प्लेटफार्म है और इसका उपयोग हर हाल में अपने टैलेंट को दुनिया के सामने लाने के लिए किया जाना चाहिए।"

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