स्वदेशी खेल
दुबई में हुआ इंडियन रोल बॉल लीग का भव्य अंतरराष्ट्रीय शुभारंभ
मदन लाल और रोनाल्ड बुचर की मौजूदगी में भारत का अनोखा खेल पहुँचा अंतरराष्ट्रीय मंच

दुबई में इंडियन रोल बॉल लीग के वैश्विक शुभारंभ ने नई ऊर्जा और उत्साह का संचार किया (फोटो साभार: द ट्रिब्यून)
दुबई के प्रतिष्ठित इंडिया क्लब में इंडियन रोल बॉल लीग का भव्य वैश्विक शुभारंभ हुआ। यह आयोजन खेल जगत की दिग्गज हस्तियों, क्रिकेट आइकॉन और खेल प्रेमियों की मौजूदगी में भारत के इस अनोखे खेल की अंतरराष्ट्रीय यात्रा की शुरुआत का गवाह बना।
इंग्लैंड के पहले अश्वेत क्रिकेटर और पूर्व बीबीसी कमेंटेटर रोनाल्ड बुचर इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहे। वहीं, भारत की 1983 विश्व कप विजेता टीम के सदस्य और पूर्व क्रिकेटर मदन लाल विशेष अतिथि बने। यूएई के कई क्रिकेट सितारों की भागीदारी ने दुबई की खेल राजधानी के रूप में बढ़ती प्रतिष्ठा को और मजबूत किया।
मदन लाल ने कहा, “भारत ने हमेशा दुनिया को नए खेल और नए खिलाड़ी दिए हैं। रोल बॉल उन्हीं में से एक है – यह युवाओं के लिए रोमांच और फिटनेस का शानदार संगम है। मुझे यक़ीन है कि इंडियन रोल बॉल लीग अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ी पहचान बनाएगी।”
रोनाल्ड बुचर ने भी अपनी खुशी साझा करते हुए कहा, “रोल बॉल एक ऐसा खेल है जिसमें ऊर्जा, कौशल और मनोरंजन तीनों शामिल हैं। इसे दुबई जैसे वैश्विक शहर से लॉन्च होते देखना बेहद खास है। मुझे विश्वास है कि यह खेल आने वाले समय में लाखों युवाओं को प्रेरित करेगा।”
लीग के संस्थापक सचिन जोशी ने अपने विज़न पर जोर देते हुए कहा, “यह लीग खेलों की दुनिया में तहलका मचाने वाली है। रोल बॉल दुनिया का दूसरा सबसे तेज़ खेल है और इस लीग के ज़रिए हम इसे वैश्विक मंच पर ऊर्जा और रोमांच के साथ पेश कर रहे हैं।”
कार्यक्रम में एक विशेष पल तब आया जब सुधीर कुमार गौतम, जिन्हें सचिन तेंदुलकर का सबसे बड़ा प्रशंसक माना जाता है, को मदन लाल ने स्मृति-चिह्न भेंट कर सम्मानित किया। पूरा हॉल तालियों और उत्साह से गूंज उठा।
साल 2003 में पुणे में जन्मा रोल बॉल स्केटिंग, बास्केटबॉल और हैंडबॉल का रोमांचक मिश्रण है। आज यह 50 से अधिक देशों में खेला जा रहा है और इसे भारत के स्कूल गेम्स फेडरेशन (SGFI) और युवा मामले एवं खेल मंत्रालय का समर्थन प्राप्त है।
दुबई लॉन्च केवल एक लीग की शुरुआत नहीं थी, बल्कि यह भारत और यूएई के बीच खेलों के माध्यम से मजबूत रिश्ते बनाने, नई पीढ़ी को प्रेरित करने और भारत के इस अनोखे खेल को वैश्विक पहचान दिलाने का एक महत्वपूर्ण कदम था।