हॉकी
हॉकी इंडिया ने युवा प्रतिभाओं की पहचान करने और उन्हें प्रशिक्षित करने के लिए ग्रास रूट डेवलपमेंट प्रोग्राम शुरू किया
हॉकी इंडिया की इस नई पहल का उद्देश्य स्पेशलाइज्ड पोजीशन विकसित करने और बेंच डेप्थ को मजबूत करने के साथ-साथ कोचिंग और मैच ऑफिशियल को भी मजबूती प्रदान करना है
हॉकी इंडिया ने मंगलवार को अपने महत्वाकांक्षी नए ग्रास रूट डेवलपमेंट प्रोग्राम की घोषणा की। इस नए प्रोग्राम का लक्ष्य युवा प्रतिभाओं का पता लगाने के साथ-साथ पुरुषों और महिलाओं की राष्ट्रीय सीनियर और जूनियर टीमों की बेंच स्ट्रेंथ में मजबूती लाना है। इस पहल के तहत, हॉकी इंडिया सब-जूनियर (अंडर-16) और जूनियर (अंडर-19) स्तरों पर जोनल चैंपियनशिप का आयोजन करेगा। इस प्रोग्राम का उद्देश्य प्रत्येक जोन - उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम से सबसे प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को खोजना और उन्हें प्रशिक्षित करना है।
इस प्रोग्राम के तहत इंटर-जोनल टूर्नामेंट 19 मार्च 2023 को शुरू होंगे, जिसमें 30 राज्य टीमों के भाग लेने की उम्मीद है।
हॉकी इंडिया के अध्यक्ष पद्म श्री डॉ. दिलीप टिर्की ने जोनल चैंपियनशिप की शुरुआत के संभावित प्रभाव के बारे में बात करते हुए कहा, “जोनल चैंपियनशिप युवा एथलीटों को हॉकी इंडिया नेशनल चैंपियनशिप की तरह की मैचों से जुड़े हालात का अनुभव प्रदान करेगी। जोनल चैंपियनशिप में चुने गए एथलीटों को राष्ट्रीय चैंपियनशिप में भाग लेने की आवश्यकता होगी, जिससे उन्हें अपने हॉकी कौशल को और विकसित करने का अवसर मिलेगा।”
हॉकी इंडिया के महासचिव श्री भोला नाथ सिंह ने कहा कि प्रतिभाशाली एथलीटों की पहचान को प्रोत्साहित करने के लिए प्रत्येक जोन में चयन समितियां बनाई जाएंगी। श्री भोला नाथ सिंह ने कहा, “प्रत्येक जोन का अपना सेलेक्शन पैनल होगा। सिलेक्शन पैनल में कम से कम तीन सदस्य होंगे। जोनल टीमों के चयनकर्ता और कोच सभी खिलाड़ियों के आगे के विकास को लेकर निगरानी रखने और इस बार में हमें अपडेट देते रहेंगे।”
इसके अलावा श्री टिर्की ने कहा कि हॉकी इंडिया के अधिकारी गोलकीपर और ड्रैग फ्लिकर जैसे स्पेशलाइज्ड पोजीशन के लिए खिलाड़ियों को विकसित करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। टिर्की ने कहा, “हम हॉकी को सम्पूर्ण रूप (holistic way) से विकसित करना चाहते हैं। हम गोलकीपर और ड्रैग फ्लिकर जैसे विशेष स्थानों पर खेलने वाले खिलाड़ियों को विकसित करना चाहते हैं। दस पुरुष और महिला गोलकीपर्स और ड्रैग फ्लिकर्स के एक समूह को शुरू में चुना जाएगा और उन्हें भारतीय तथा विदेशी कोचों की देखरेख में प्रशिक्षित किया जाएगा। ग्रास रूट डेवलपमेंट कमेटी खिलाड़ियों के प्रशिक्षण के लिए स्थानों की पहचान करेगी और हॉकी इंडिया के सहयोग से विशेष कोचिंग शिविर आयोजित करने के लिए पर्याप्त सुविधाएं प्रदान की जाएगी।
इस प्रोग्राम का उद्देश्य अंडर-16 वर्ष की आयु से खिलाड़ियों के विकास को ट्रैक करना और पूरे करियर के दौरान उनकी प्रगति की निगरानी करना है। यह पहल हॉकी इंडिया को प्रत्येक खिलाड़ी के मौजूदा स्किल सेट की पहचान करने और उनके स्किल को निखारने और चमकाने पर ध्यान केंद्रित करने में सक्षम करेगी। श्री टिर्की ने आगे कहा, “जूनियर और सब-जूनियर टीमों में खिलाड़ियों का विकास भी एक फोकस है, क्योंकि हर कोई भारतीय राष्ट्रीय टीम के लिए नहीं खेल सकता है। जोनल चैंपियनशिप खिलाड़ियों को अपनी जोनल टीम के लिए खेलने को लेकर गर्व महसूस करने और अपने रिज्यूमे को समृद्ध करने का मौका देगी।”
हॉकी इंडिया के अधिकारी भी यू17 और यू19 भारतीय टीमें तैयार करने और उन्हें घरेलू तथा विदेशी एक्सपोजर के लिए भेजने पर विचार कर रहे हैं। इससे खिलाड़ियों को अनुभव हासिल करने और अधिक फैंस को आकर्षित करने में मदद मिलेगी, जिससे अधिक से अधिक युवाओं की इस खेल में रुचि पैदा होगी। नतीजतन, मुख्य जूनियर और सीनियर भारतीय टीमों की भविष्य की बेंच स्ट्रेंथ मजबूत होने की उम्मीद है। श्री टिर्की ने जोर देकर कहा, "खिलाड़ियों के विकास की कड़ाई से जांच की जाएगी क्योंकि वे विकास के विभिन्न चरणों से गुजरते हैं, और हॉकी इंडिया के अधिकारी एक भी प्रतिभा को खोने के लिए तैयार नहीं हैं।" अंत में, यू-23 नेशनल डेवलपमेंट टीम को भी भारतीय टीम के लिए एक फीडर के रूप में कार्य करने के लिए इकोसिस्टम में एकीकृत (integrate) किया जाएगा।
अपने इस विजन को अमली जामा पहनाने के लिए हॉकी इंडिया ने आगे दो महत्वपूर्ण घटकों (components) की पहचान की। इंटर-जोनल चैम्पियनशिप के लिए एक विशेष कोच का पैनल बनाया जा रहा है, जिसमें न्यूनतम एफआईएच स्तर 1 प्रमाणपत्र रखने वाले कोच शामिल होंगे। यह पैनल न केवल चैंपियनशिप में भाग लेने वाली टीमों को प्रशिक्षित करेगा बल्कि उनके साथी घरेलू कोचों का विकास भी सुनिश्चित करेगा। कोच और खिलाड़ियों के साथ-साथ मैच अधिकारी भी भारत में हॉकी की सफलता के लिए महत्वपूर्ण हैं। हॉकी इंडिया के महासचिव भोला नाथ सिंह ने कहा, "मैच अधिकारी उतने ही महत्वपूर्ण हैं, जितने कि कोच और खिलाड़ी हैं। हमारे पास पहले से ही देश भर के होनहार तकनीकी अधिकारियों की एक सूची है। ये मजबूत मैच अधिकारी पैनल बना सकते हैं, हमारे लिए ग्रासरूट स्तर पर टूर्नामेंटों का संचालन करने में सक्षम होंगे।”
कुल मिलाकर, नया ग्रास रूट डेवलपमेंट प्रोग्राम भारत में हॉकी के विकास के लिए शुभ संकेत है। इस पहल का उद्देश्य युवा प्रतिभाओं की पहचान करना और उन्हें प्रशिक्षित करना है। साथ ही इसका एक मुख्य लक्ष्य स्पेशलाइज्ड पोजीशन पर खेलने वाले खिलाड़ी भी तैयार करना है। इनके लिए कम उम्र से ही खिलाड़ियों की प्रगति को ट्रैक किया जाएगा। जूनियर और सब-जूनियर टीमों में खिलाड़ियों के विकास पर जोर देने के साथ, प्रोग्राम इच्छुक भावी खिलाड़ियों को आगे बढ़ाने और खेल में उनकी अधिक रुचि पैदा करने में मदद करेगा।