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हॉकी

Commonwealth Games 2022: पदक हासिल करने को तैयार गोलकीपर पीआर श्रीजेश ने कहा,पोडियम पर होगा भारत

श्रीजेश के मुताबिक़, गोलकीपर पुरानी शराब की तरह होते है जो समय के साथ और बेहतर होते जाते हैं।

PR Sreejesh Hockey
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पीआर श्रीजेश

By

Pratyaksha Asthana

Updated: 28 July 2022 7:12 AM GMT

टोक्यो ओलिंपिक में शानदार प्रदर्शन कर पदक हासिल करने वाली भारतीय पुरुष हॉकी टीम की नज़रे अब राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण जीतने पर हैं। भारतीय हॉकी टीम के अनुभवी गोलकीपर पीआर श्रीजेश का कहना है कि वह आगामी राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण जीतने की पूरी कोशिश करेंगे।

श्रीजेश ने अपने करियर की तुलना केरल में बनने वाले लोकप्रिय व्यंजन 'अवियल (13 सब्जियों के मिश्रण से बनने वाला)' से करते हुए कहा कि उन्होंने काफी उतार-चढ़ाव देखे हैं। 34 वर्षीय श्रीजेश अपने करियर के आखिरी चरण में कुछ और उपलब्धियां हासिल करना चाहते हैं, इसमें दो साल बाद पेरिस ओलंपिक का पदक उनका सबसे बड़ा सपना है। फिलहाल उनका पूरा ध्यान अपने तीसरे और आखिरी राष्ट्रमंडल खेलों पर हैं।

उन्होंने कहा,"लंदन ओलंपिक में निराशाजनक अभियान से लेकर टोक्यो में कांस्य पदक जीतने के बीच, मैंने 2018 में टीम का नेतृत्व भी किया।एसीएल (एंटीरियर क्रूसिएट लिगामेंट) चोट के कारण मेरा करियर लगभग खत्म हो गया था। केरल में एक प्रसिद्ध व्यंजन है जिसे हम 'अवियल' कहते है। यह 13 सब्जियों के मिश्रण से बनता है और मैं अपने करियर की तुलना 'अवियल' से कर सकता हूं।"

श्रीजेश ने कहा,"जिंदगी हमेशा एक जैसी नहीं होती। यह उतार-चढ़ाव से भरी होती है। मैंने कुछ बहुत अच्छे और कुछ बहुत बुरे मैच खेले हैं, मेरे करियर की शुरुआत अच्छी नहीं रही लेकिन धीरे-धीरे मैं ऊपर चढ़ते हुए भारत का शीर्ष गोलकीपर बनने में सफल रहा।''

2014 एशियाई खेलों में टीम को स्वर्ण दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाला यह खिलाड़ी अब अपने लिए छोटे लक्ष्य बना रहा है. उन्होंने कहा,'' युवा खिलाड़ी के तौर पर मैं चार साल की योजना बनाता था। अब मैं अपने लिए छोटे लक्ष्य बनाता हूं।"

पेरिस ओलंपिक में खेलने की संभावना पर श्रीजेश बोले,"भविष्य की ओर देखें तो मेरे लिए पेरिस संभव है। मैं एफिल टॉवर देख सकता हूं लेकिन यह आसान नहीं होने वाला है। मुझे विश्वास है कि ये छोटे-छोटे लक्ष्य मुझे वहां तक पहुंचने में मदद करेंगे।'' उन्होंने कहा,"एक और राष्ट्रमंडल खेलों में खेलना मुश्किल होगा क्योंकि मुझे नहीं लगता कि तब तक मेरी फिटनेस साथ देगी लेकिन आप मुझे एक कोच के तौर पर वहां देख सकते है।"

श्रीजेश के मुताबिक़, गोलकीपर पुरानी शराब की तरह होते है जो समय के साथ और बेहतर होते जाते हैं। उन्होंने कहा,"करियर की शुरुआत में मैं ज्यादा गोल नहीं रोक पाता था लेकिन टीम में दूसरे गोलकीपर के रूप में मुझे काफी अनुभव मिला। मैंने देवेश चौहान, एड्रियन डिसूजा और भरत छेत्री की देखरेख में काफी कुछ सीखा।"

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