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भारत के दिग्गज हाॅकी बलबीर सिंह की यादगार चीजें हुई गुम, परिजन जुटे चीजों को ढूंढने में

भारत के दिग्गज हाॅकी खिलाड़ी बलबीर सिंह ने मई 2022 में दुनिया को अलविदा कह दिया था

Balbir Singh Sr
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बलबीर सिंह

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Amit Rajput

Published: 25 July 2022 1:11 PM GMT

भारत के दिग्गज हाॅकी खिलाड़ी बलबीर सिंह ने मई 2022 में दुनिया को अलविदा कह दिया था। वें भारत की तीन बार ओलंपिक चैंपियन भारतीय टीम के सदस्य थे। उन्होंने भारतीय हाॅकी टीम को कई मैच जिताने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। लेकिन मैदान से संन्यास लेने के बाद बलबीर सिंह को अपनी यादगार चीजों को ढूंढने में काफी करनी पड़ी थी। लेकिन फिर भी खिलाड़ी को अपनी यादगार चीजें नहीं मिली थी। अब उन चीजों को ढूंढने के लिए उनके परिजन संघर्ष कर रहे थे।

बलवीर सिंह भारत के दिग्गज खिलाड़ियों में से एक थे। भारत की खेल संस्थान साई ने भारत के सभी हाॅकी खिलाड़ियों से जुड़ा संग्रहालय बनाने का प्रस्ताव रखा था। जिसको लेकर इस दिग्गज खिलाड़ी ने अपनी यादगार चीजों को साई को भेंट की थी। लेकिन वह संग्रहालय कभी बना ही नहीं और भारत के दिग्गज बलबीर सिंह की सभी चीजें एकदम से गुम हो गई। जिसमें ओलिंपिक ब्लेजर, पदक और दुर्लभ तस्वीरें शामिल हैं। अब इन चीजों को ढूंढने के लिए उनके नाती कबीर सिंह काफी संघर्ष कर रहे हैं।

उन्होंने हाल ही में कहा कि वह अपने नुकसान के दर्द की तुलना परिवार के किसी करीबी सदस्य के निधन से करते थे। उन्होंने बलबीर सिंह को याद करते हुए कहा कि किस तरह पिछले 10 साल में परिवार ने इस दिग्गज हाकी खिलाड़ी की खोई हुई चीजों को हासिल करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी। परिवार का कहना है कि उन्हें चीजों के गायब होने का पता उस समय चला जब अंतरराष्ट्रीय ओलिंपिक समिति (आइओसी) के ओलिंपिक संग्रहालय ने मेलबर्न खेलों के ब्लेजर को आधिकारिक 2012 लंदन ओलिंपिक प्रदर्शनी का हिस्सा बनाना चाहा।

कबीर ने कहा, 'उस समय हमने उस ब्लेजर को लेने के लिए साई से संपर्क किया क्योंकि नानाजी (बलबीर सीनियर) के पास लंदन में ओलिंपिक पदक के अलावा कुछ भी नहीं था, लेकिन साई के अधिकारियों ने कहा कि उन्हें इन चीजों के बारे में पता नहीं है।' उन्होंने आगे कहा कि ये चीजें हमारी राष्ट्रीय खेल विरासत का हिस्सा थीं।

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के वकीलों के एक समूह ने नई दिल्ली में साई कार्यालय और पटियाला में राष्ट्रीय खेल संस्थान (एनआइएस) में कई आरटीआई (सूचना का आधिकार याचिका) दायर की जिसमें रहस्योद्घाटन हुआ कि इन केंद्रों को वास्तव में बलबीर सिंह सीनियर से ये चीजें मिली थी। कबीर ने कहा, 'हमारे पास अखबारों की मूल खबरें भी हैं जिनमें 1985 में ये चीजें सौंपने की तस्वीर भी छपी है। अगर हमारे पास ये नहीं होती तो वे इस बात से इनकार करते रहते कि हमारे देश के खेल इतिहास के इस खजाने को कभी उन्हें दिया गया था।'

कबीर ने कहा कि इस दिग्गज हाकी खिलाड़ी के निधन के बाद विभिन्न अधिकारियों ने आश्वासन दिया गया था कि मामले की गहन जांच की जाएगी। अंतत: एनआइएस ने पटियाला के सिविल लाइंस पुलिस थाने में तीन साल पहले प्राथमिकी दर्ज कराई। इसके बाद विशेष जांच टीम (एसआइटी) का भी गठन किया गया, लेकिन अब तक इस मामले में कोई प्रगति नहीं हुई। कबीर ने कहा कि परिवार ने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान से मुलाकात का आग्रह किया जिससे कि समयबद्ध जांच कराने का प्रयास किया जा सके। बलबीर सिंह सीनियर की बेटी सुशबीर कौर ने कहा, 'मुझे यकीन है कि पेशेवर पुलिस अगर उचित जांच करेगी तो इस मामले को सुलझाने में मदद मिलेगी। अगर ऐसा नहीं होगा तो हम न्यायपालिका का दरवाजा खटखटाएंगे।'

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