हॉकी
हाकी विश्व कप का 'सी3' कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में बना कोच हरेंद्र का गुरूमंत्र
अब इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर एयर इंडिया महाप्रबंधक (वाणिज्यिक) की भूमिका में एक बार फिर हरेंद्र ने पुरानी डायरी से वह पन्ना निकाला। चीन, जापान, इटली समेत दुनिया भर से भारतीयों के लौटने के बीच हवाई अड्डे पर एयर इंडिया टीम की कमान संभाल रहे पूर्व हॉकी कोच हरेंद्र ने भाषा से बातचीत में कहा कि नागर विमानन मंत्रालय में उच्च स्तरीय बैठक में एयर इंडिया की ओर से मैं गया था।
उसके बाद तय किया गया कि वुहान और उसके आसपास के इलाकों से भारतीयों को एयर इंडिया की उड़ान से लाया जाएगा। एयर इंडिया 31 जनवरी और एक फरवरी को वुहान से 637 भारतीयों और मालदीव के सात नागरिकों को भारत लाया । इसके बाद जापान के याकोहामा में डायमंड प्रिंसेस क्रूज में फंसे 119 भारतीयों और पांच विदेशी नागरिकों को एयर इंडिया की विशेष उड़ान से 27 फरवरी को लाया गया। हॉकी कोच के तौर पर रणनीति बनाने और उस पर अमल कराने का उनका अनुभव यहां काफी काम आया।
उन्होंने कहा कि मुझे कदम कदम पर हॉकी कोच के तौर पर अपने अनुभव का फायदा मिला। मैने जो सी 3 विश्व कप के लिए बनाया था, वह पन्ना मेरी पत्नी ने संभालकर रखा था। मैंने उसे निकाला और यहां अपनी टीम को दिया। उन्होंने कहा कि टीम में तालमेल और रणनीति पर अमल सबसे अहम था। मेरी टीम में महिलाओं समेत 45 लोग थे जिनमें से कोर टीम में छह से आठ लोग थे। यह टीम 72 घंटे लगातार टी थ्री पर डटी रही।
उन्होंने कहा कि वुहान की दोनों उड़ाने कठिन थी लेकिन मैं सभी यात्रियों और छात्रों की तारीफ करूंगा । वहां से लौटने के बाद अपने देश आने का इत्मीनान उनकी आंखों में देखा और मुझे लगा कि यह काम करना ही है । एक अनजाने डर के साथ विदेश से लौट रहे भारतीयों को ढांढस बंधाना और उनके सवालों का संयम के साथ जवाब देने में भी हरेंद्र का अनुभव कारगर साबित हुआ। आपरेशन कंधार के समय एयर इंडिया की टीम में हवाई अड्डे पर स्टैंडबाय रहे हरेंद्र ने कहा कि हॉकी कोच के तौर पर रही मेरी ऊर्जा बहुत काम आई । मुझे लगता है कि यह मानसिकता की बात है । अगर आप किसी भी रूप में देश के लिए कुछ कर रहे हैं तो अलग ही सुकून मिलता है और उसका कोई विकल्प नहीं है।