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कुश्ती

विश्व चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीतकर भी ओलम्पिक भारवर्ग से हार गए रेसलर राहुल अवारे

विश्व चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीतकर भी ओलम्पिक भारवर्ग से हार गए रेसलर राहुल अवारे
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Ankit Pasbola

Published: 26 Nov 2019 12:39 PM GMT

कजाकिस्तान के नूर-सुल्तान में खेली गई विश्व रेसलिंग चैंपियनशिप में भारतीय पहलवानों ने शानदार प्रदर्शन किया। भारत ने इस प्रतिष्ठित चैम्पियनशिप में एक रजत और चार कांस्य पदक के साथ कुल पांच पदक जीते और अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन किया। भारत की ओर से दीपक पूनिया ने पुरुषों के 86 किग्रा भारवर्ग में रजत पदक जीता जबकि बजरंग पूनिया, राहुल अवारे, विनेश फोगाट और रवि कुमार दहिया ने अपने-अपने भारवर्ग में कांस्य पदक जीता।

यूँ तो विश्व चैंपियनशिप जैसे बड़ी प्रतियोगिता में पदक विजेता खिलाड़ी ओलम्पिक कोटा हासिल कर लेता है, लेकिन राहुल अवारे दुर्भाग्यशाली रहे। पुरुषों के 61 किग्रा भारवर्ग में राहुल अवारे ने कांस्य पदक जीता, जो कि गैर ओलम्पिक वर्ग के अंतर्गत आता है। सरल शब्दों में 61 किग्रा भारवर्ग ओलम्पिक में कोई वैध वर्ग ही नहीं है। इसलिए पदक जीतकर भी राहुल ओलम्पिक कोटा हासिल नहीं कर सके।

भारतीय पहलवान टोक्यो ओलम्पिक में जीतेंगे पदक-गीता फोगाट

जीत कर भी ओलम्पिक भारवर्ग से हार गये राहुल :

राहुल अवारे

राहुल वास्तव में 61 किग्रा भारवर्ग के रेसलर नहीं हैं लेकिन कुछ कारणो से वह विश्व चैम्पियनशिप में इस भारवर्ग में खेलने उतरे और कांस्य पदक जीता। राहुल का इरादा विश्व चैम्पियनशिप के बाद वजन घटाकर 57 किग्रा भारवर्ग से ओलम्पिक कोटा हासिल करना था, लेकिन इस भारवर्ग में पहली बार खेल रहे रवि कुमार दहिया ने अप्रत्याशित प्रदर्शन के बूते कांस्य पदक जीतकर अपनी सीट पक्की कर ली। दूसरी तरफ 65 किग्रा भारवर्ग में भारत के स्टार रेसलर बजरंग पूनिया ने भी कांसा जीतकर टोक्यो ओलम्पिक का टिकट हासिल कर लिया है। ऐसे में उनके टोक्यो ओलम्पिक में जाने के सभी रास्ते भी बंद हो गये हैं।

गर्म मिजाज राहुल के अंदर के पहलवान को उनके पापा ने पहचान लिया :

राहुल अवारे छोटी सी उम्र से ही गर्म मिजाज के थे और बात-बात पर लड़ाई कर देते थे। उनके पापा ने उनके अंदर छिपे हुए पहलवान को पहचान लिया। राहुल के पापा बालासाहेब ने 'टाइम्स ऑफ इंडिया' को बताया, "कुश्ती में राहुल की यात्रा उनके गर्म-स्वभाव के साथ शुरू हुई। जब वह स्कूल में था तो राहुल बहुत झगड़ा करता था। रोज कोई ना कोई गांव का व्यक्ति उसकी शिकायतें लेकर मेरे पास आता। तब मैंने उसके भीतर के पहलवान को पहचान लिया। उनके गर्म मिजाज वाले स्वभाव ने उन्हें एक अच्छा पहलवान बनने में मदद की।"

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