जिन्हें हम भूल गए
गूल नासिकवाला: भारतीय महिला टेबल टेनिस का ऐसा बड़ा नाम जहां तक आज तक कोई नहीं पहुंच पाया
आज भारत में खिलाड़ियों को रातों रात शोहरत मिल जाती है, फ़र्श से अर्श तक आज खिलाड़ी अपने एक अच्छे प्रदर्शन के दम पर पहुंच जाते हैं। लेकिन क्या कभी हमने अपने पुराने हीरो को याद रखा है ? क्या भारतीय फ़ैंस या भारतीय मीडिया ने कभी उन सितारों के बारे में सोचा है जिन्होंने कभी भारत को खेल की दुनिया में न सिर्फ़ पहचान दिलाई थी बल्कि कुछ ऐसे रिकॉर्ड्स भी बना डाले थे, जहां आजतक कोई और नहीं पहुंच पाया है। उन्हीं में से एक नाम है गूल नासिकवाला का, जो शायद आपमें से कई बार तो पहली बार सुन या पढ़ रहे होंगे। इसमें ग़लती आपकी नहीं बल्कि हमारी यानी मीडिया की है जो अपने हीरो को भूल गया है, और उनके कीर्तिमानों और उपलब्धियों को किसी लाइब्रेरी में धूल फांकने के लिए छोड़ आया है।
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गूल नासिकवाला एक ऐसा ही नाम है, जिन्होंने टेबल टेनिस में उस समय भारत का नाम रोशन कराया था जब इस खेल में चाइना, जापान, दक्षिण कोरिया जैसे दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों का बोलबाला था। भारत में टेबल टेनिस की शुरुआत 1920 से हुई थी, तब हम इंग्लिश झंडे के तले खेला करते थे। इस दौरान वैसे तो भारत के पास कई स्टार पैडलर्स थे जिनमें उत्तम चंद्रना और वी सिवारमण जैसे खिलाड़ी भी शामिल हैं। लेकिन गूल नासिकवाला कुछ अलग थीं, ये एक ऐसा नाम है जिसने 1952 में हुए पहले एशियन टेबल टेनिस चैंपियनशिप में वह कर दिखाया था जो किसी भी खिलाड़ी का सपना होता है। गूल ने सिंगापुर में हुई उस एशियन चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल की हैट्रिक लगा डाली थी।
गूल ने 1952 एशियन टेबल टेनिस चैंपियनशिप का विमेंस सिंगल्स का ख़िताब, विमेंस डबल्स का ख़िताब और मिक्सड डबल्स का ख़िताब अपने नाम करते हुए दुनिया को बता दिया था कि, अभी अभी आज़ाद हुआ देश टेबल टेनिस पर अपने वर्चस्व के लिए तैयार है। इस अंतर्राष्ट्रीय मंच पर तहलका मचाने से पहले गूल नासिकवाला ने 1945 और 1946 लगातार दो सालों तक राष्ट्रीय चैंपियन रहीं थी, ये ख़िताब उन्होंने तब के बॉम्बे और कलकत्ता में जीता था।
नासिकवाला की ये प्रतिभा उनकी बेटी में भी थी, और गूल की साहबज़ादी भी भारतीय टेबल टेनिस की एक बेहतरीन खिलाड़ियों में शुमार थीं। गूल नासिकवाला का करियर लंबा नहीं चल पाया, लेकिन जितने दिनों तक इस पैडलर ने टेबल के कोर्ट पर हाथ घुमाया, तब तब भारत का झंडा भी लहराया। गूल नासिकवाला के बारे में ये भी कहा जाता है कि वह एक बेहतरीन पैडलर के साथ साथ बेहद सामाजिक और मिलनसार भी थीं।
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साथ ही साथ गूल नासिकवाला को जब भी समय मिलता था वह अपनी प्रतिभा को जूनियर पैडलर्स के साथ भी साझा करती थीं और उनका मार्ग दर्शन किया करतीं थीं। भारत के मशहूर पैडलर तापन बोस भी गूल नासिकवाला के शागिर्द रह चुके हैं।
गूल नासिकवाला की प्रतिभा का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 1952 से आज तक 67 साल यानी क़रीब 7 दशक बीतने को आए हैं। लेकिन एशियन टेबल टेनिस चैंपियनशिप में न तो किसी महिला ने विमेंस सिंगल्स का ख़िताब आज तक अपने नाम किया है और न ही एक ही एशियन चैंपियनशिप में तीन गोल्ड अपने नाम किया है। द ब्रिज की पूरी टीम की तरफ़ से इस रियल हीरो को उनके लाजवाब उपलब्धि के लिए तहे दिल से बधाई और हम चाहेंगे कि आज के युवा पैडलर और खेल प्रेमी भी गूल नासिकवाला का नाम अब अपने लभों पर याद कर लें, यही इस प्रतिभा की धनी के लिए सबसे बड़ा तोहफ़ा होगा जिन्हें हम भूल गए हैं।