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जूडो
आंखों की रोशनी न होने के बावजूद नहीं मानी हार, सरिता करेंगी कॉमनवेल्थ में भारत का प्रतिनिधित्व
सरिता चौरे का नाम आज से पहले शायद आपने नहीं सुना होगा पर आज उनके बारे में जानने के बाद यह नाम भूल नहीं पाएंगे| नेत्रहीन होने के बावजूद सरिता ने एक ऐसा कारनामा कर दिखाया है जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते| इंदौर में माता जीजाबाई शासीकीय कॉलेज में बीऐ कर रही सरिता का बचपन से ही सपना रहा है कि वह जूडो में अपना भविष्य बनाएं और आज वो सपना पूरा हो रहा है| सरिता को जैसे ही पता लगा की होशंगाबाद तहसील में एक ऐसा समाजसेवी संसथान है जो नेत्रहीन बच्चों को जूडो सिखाता है तो उन्होंने एक पल की भी देरी न करते हुए वहां दाखिला ले लिया और आज वह भारत का प्रतिनिधित्व कॉमनवेल्थ जूडो चैम्पियनशिप में करेंगी|| उन्होंने पहले तो अपना जलवा राज्य स्तर के खेलों में दिखाया और धीरे-धीरे नाम कमा कर राष्ट्रीय स्तर पर पहुंची जिसमे उन्होंने रजत पदक जीत कर भारतीय टीम में अपनी जगह सुनिक्षित कर ली| उनकी बड़ी बहन ज्योति और छोटी बहन पूजा भी जन्म से नेत्रहीन हैं और इनके पिता की आर्थिक स्तिथि ठीक न होने के बावजूद उन्होंने अपनी तीनों बेटियों को खुद से दूर इंदौर में पढ़ने के लिए भेजा| इनके पिता बनजारकला में ही मज़दूरी करते हैं| कितनी कमाल की बात है कि जिस देश में कुछ लोग बेटियों को धुत्कारते हैं और बोझ समझते हैं, उसी समाज के कुछ लोग ऐसे भी हैं जो इन सारी बातों की फ़िक्र किये बिना, लड़कों या लड़कियों में कोई फर्क नहीं करते, और इनको आगे बढ़ाने के लिए, कुछ कर दिखने लिए अपनी पूरी जी जान लगा देते हैं| सरिता के जैसे हर एक इंसान को हिम्मत कर आगे आना चाहिए और अपनी कमी को कमज़ोरी नहीं समझना चाहिए|
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