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टेनिस

सब कुछ प्लान के मुताबिक रहा तो 2020 ओलंपिक खेलूंगा- लिएंडर पेस

सब कुछ प्लान के मुताबिक रहा तो 2020 ओलंपिक खेलूंगा- लिएंडर पेस
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Lakshmi Kant Tiwari

Published: 10 Dec 2019 7:24 AM GMT

भारत में अगर टेनिस किसी ने नाम से जाना जाता है तो वह लिएंडर पेस हैं। 46 वर्षीय पेस 18 बार ग्रैंड स्लैम जीत चुके है। टेनिस की दुनिया में जिसने भी लिएंडर पेस को देखा बस देखता रह गया। जब जूनियर थे तो यूएस ओपन और जूनियर विंबलडन का खिताब जीता। विश्व में जूनियर में नंबर 1 टेनिस खिलाड़ी बने। 1996 में ओलिंपिक में ब्रॉन्ज मेडल, 18 ग्रैंड स्लैम, 44 डेविस कप के मुकाबले जीते। पिछले 30 साल में पेस ने भारत को वह सब कुछ दिया जो टेनिस में वो दे सकते थे। अपने करियर में पेस के उपर भी कई दबाव आए जब उनपर संन्यास लेने का दबाव बनाया गया। लेकिन पेस ने हर बार मजबूती से वापसी की और अपने प्रदर्शन से सबको झूठा साबित किया। पेस का टेनिस प्रेम ही है जब शीर्ष खिलाड़ियों ने पाकिस्तान जाकर डेविस कप खेलने से मना कर दिया तो पेस ने डोर अपने हाथ में थामी और भारत का नाम रोशन किया। द ब्रिज की टीम ने भारत के दिग्गज टेनिस खिलाड़ी लिएंडर पेस से खास बातचीत की।

द ब्रिज- 46 साल के उम्र में 44वां डेविस कप मैच जीतकर कैसा लग रहा है?

लिएंडर पेस: यहां तक पहुंचना आसान नहीं है। इसमें हर दिन एक अलग जज्बे के साथ मेहनत करनी पड़ती है और जब आप अपने देश के लिए खेलते हो तो हर मुश्किल चीज भी संभव दिखनी लग जाती है।

द ब्रिज- पाकिस्तान के खिलाफ खेलने का अनुभव कैसा रहा हूं क्योंकि कई खिलाड़ी पाकिस्तान जाकर नहीं खेलना चाहते थे और उसके बाद वेन्यू बदल दिया गया था?

लिएंडर पेस: 7 हफ्ते पहले जब भारतीय टेनिस संघ ने मुझे फोन करके पूछा था कि क्या आप डेविस कप टीम का हिस्सा बनने चाहते हो तो उसपर मेरा जवाब था हां। जब आप देश के खिलाफ खेलते हो तो सब कुछ पीछे चली जाती और देश आगे जाता है। मैं उन युवा खिलाड़ियों को बधाई देना चाहता हूं जो इस प्रतियोगिता में खेलने के लिए राजी हुए।

द ब्रिज- रियो ओलंपिक के बाद आपको कई प्रतियोगिता में भारतीय टीम में जगह नहीं दी गई और उसके बाद आपको मौका तब मिलता है जब कोई खिलाड़ी चोटिल या फिर किसी कारण नहीं खेल पाता है? आपको दुख लगता है कि इतने साल खेलने के बाद आपके साथ ऐसा बर्ताव होता है?

लिएंडर पेस: जिंदगी मेरे साथ कभी भी आसान नहीं रही। एक समय ऐसा होता तो जब मैं जिस होटल में रूकता था। उस होटल के बिल भरने के पैसे नहीं रहते थे। ठंड के मौसम में विदेश दौरे पर जानें के लिए साधान नहीं रहते थे लेकिन आपने वो कहावत तो सुनी है कि कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है। हर चीज की जिंदगी में अपनी किमत होती है। हर खिलाड़ी को कुछ ऐसे दौर से गुजरना पड़ता है।

लिएंडर पेस

द ब्रिज- टोक्यो ओलंपिक में खेलना का सपना अब भी आपके मन में कायम है?

लिएंडर पेस: ओलंपिक मेरे अंदर बसा हुआ है। टेनिस के इतिहास में मैं ऐसा खिलाड़ी हूं जिसने रिकॅार्ड तोड़ 7 ओलंपिक खेले हैं। हर खिलाड़ी का सपना होता है कि वो इस बड़े प्रतियोगिता में खेले और मेडल जीते। मैं इसे करने में एक बार कामयाब हो चुका हूं। अगर सब कुछ प्लान के हिसाब से चला तो टोक्यो ओलंपिक में भी मैं खेलता हुआ दिखूंगा।

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