टोक्यो 2020
ओलंपिक में व्यक्तिगत पदक जीत चुके सभी भारतीय खिलाड़ी
साल 2020 खेलों के लिहाज से महत्वपूर्ण रहने वाला है क्योंकि इस साल ओलंपिक खेलों का आयोजन होना है। निश्चित ही ओलंपिक खिलाड़ियों की सबसे कड़ी प्रतिस्पर्धाओं में से एक होता है। यहाँ दुनिया भर के तमाम खिलाड़ी अपनी प्रतिभा का प्रमाण देते हैं और पदक हासिल करते हैं।
किसी भी खिलाड़ी के लिए प्रतियोगिता जीतना खास लम्हा होता है। लेकिन अगर पदक ओलंपिक खेलों में जीता गया हो तो इसका कद और बढ़ जाता है। भारत ने 1920 में पहली बार आधिकारिक तौर पर ओलिंपिक खेलों में हिस्सा लिया था। इस लिहाज से भारत इस साल अपने ओलिंपिक अभियान के 100 साल पूरे कर रहा है। भारत ने लगभग सौ साल लम्बे ओलंपिक इतिहास में गिनती के ही पदक जीते हैं। अगर टीम पदक को छोड़ दें तो भारत ने व्यक्तिगत स्पर्धाओं में कुल अब तक 15 पदक हासिल किये हैं। आज हम बात करेंगे उन खिलाड़ियों की जिन्होंने व्यक्तिगत स्पर्धाओं में भारत के लिए पदक जीते हैं।
केडी जाधव 1952 हेलसिंकी ओलंपिक
किसी भी क्षेत्र में जो सर्वप्रथम है वह उल्लेखनीय है, इसीलिए केडी जाधव का उल्लेख भारत के ओलंपिक विजेताओं में सबसे पहले किया जाता है। देश की आजादी के अगले ही साल 1948 लंदन ओलम्पिक खेलों में केडी जाधव ने कुश्ती में भारत का प्रतिनिधित्व किया। छोटे कद के बड़े पहलवान 'केडी जाधव' उन्होंने अपने पहले ओलंपिक खेलों में भले ही पदक न जीता हो लेकिन अपने प्रदर्शन से प्रभावित किया। अगले ओलंपिक में केडी जाधव ने कुश्ती में इतिहास रचते हुए कांस्य पदक जीता। केडी जाधव ने हेलसिंकी ओलंपिक में कुश्ती में 52 किलोग्राम वर्ग में भारत को कांस्य पदक दिलवाया।
लिएंडर पेस अटलांटा ओलंपिक 1996
केडी जाधव के ओलम्पिक पदक के बाद भारत को 44 साल बाद अपना दूसरा व्यक्तिगत पदक हासिल हुआ, जब लिएंडर पेस ने साल 1996 में आयोजित हुए अटलांटा ओलंपिक में लॉन टेनिस में कांस्य पदक जीता। पेस ने रिचे रेनबर्ग, निकोलस पिरेरिया, थोमस और डिगो फुरलान को हरकार सेमीफाइनल का टिकट हासिल किया। खिताबी मुकाबले से एक कदम दूर सेमीफाइनल में पेस का मुकाबला अमेरिका के आंद्रे अगासी से हुआ जहां उन्हें शिकस्त झेलनी पड़ी। अगासी से हारकर लिएंडर पेस का अगला कांस्य पदक का मुकाबला ब्राजीली खिलाड़ी फरनेंडो मेलीजेनी से होना तय हुआ। दूसरी तरफ फरनेंडो अपने सेमीफाइनल में सरजेई से पहले ही हार चुके थे। निर्णायक मैच में युवा पेस ने 3-6, 6-2, 6-4 से यह मुकाबला जीतकर भारत को 1980 के बाद एकबार फिर मैडल की लिस्ट में ला दिया। ओलंपिक में पदक जीतना हर खिलाड़ी का सपना होता है और पेस ने अपना यह सपना सच किया।
(कर्णम मल्लेश्वरी, साल-2000, सिडनी ओलंपिक)
बीसवी सदी में भारत की ओर से कोई भी महिला खिलाड़ी पदक हासिल नहीं कर सकी। फिर 21वीं सदी का उत्तरार्द्ध हुआ और साल 2000 में ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में ओलंपिक खेलों का आयोजन हुआ। नई सदी में महिलाओं में भारत के लिए ओलंपिक में सबसे पहला पदक कर्णम मल्लेश्वरी ने जीता। उन्होंने भारोत्तोलन में 69 किग्रा भारवर्ग में कांस्य पदक हासिल किया और पहली भारतीय महिला ओलंपिक पदक विजेता होने का गर्व हासिल किया।
(राजयवर्द्धन सिंह राठौड़, साल-2004, एथेंस ओलंपिक)
भारतीय निशानेबाज राजयवर्द्धन सिंह राठौड़ ने निशानेबाजी में एक नये युग की कहानी लिखी और साल 2004 में एथेंस ओलंपिक में रजत पदक जीता। वह ओलंपिक पदक जीतने वाले पहले निशानेबाज बने। उन्होंने डबल ट्रैप स्पर्धा में रजत पदक जीता। वह स्वर्ण पदक से तो चूक गये लेकिन उन्होंने जो हासिल किया वह उपलब्धि में शुमार हो गया। इससे पहले राठौर 2002 के कॉमनवेल्थ गेम्स में भी गोल्ड मेडल जीत चुके थे।
(अभिनव बिंद्रा, साल 2008, बीजिंग ओलंपिक)
अभिनव बिंद्रा भारत के लिए जो किया अब तक किसी भी खिलाड़ी ने नहीं किया है। उन्होंने बीजिंग ओलंपिक में स्वर्ण पदक हासिल किया और पूरे देश को पदक का जश्न मनाने का शानदार मौका दिया। 1947 में आजादी मिलने के बाद भारत ने पांच गोल्ड मेडल जीते और सभी हॉकी में ही जीते। इसके बाद भी भारत ने ओलंपिक में कुछ उपलब्धियां हासिल जरुर की, लेकिन बिंद्रा की उपलब्धि उन सभी में विशेष रही। बिंद्रा ने 10 मीटर एयर राइफल शूटिंग स्पर्धा में गोल्ड पर निशाना साधा था।
(सुशील कुमार, साल-2008 बीजिंग ओलंपिक, साल 2012 लंदन ओलंपिक)
भारतीय दिग्गज पहलवान सुशील कुमार ने 2008 बीजिंग ओलम्पिक में कांस्य पदक और 2012 लंदन ओलम्पिक में रजत पदक जीता। उन्होंने जब 2008 में कांस्य पदक जीता तो वह केडी जाधव के बाद ओलंपिक पदक जीतने वाला दूसरे पहलवान बने। सुशील भारत की ओर से दो ओलंपिक पदक जीतने वाले इकलौते खिलाड़ी हैं। उन्होंने दोनों पदक 66 किग्रा वर्ग में अपने नाम किया।
(विजेंदर सिंह, साल-2008, बीजिंग ओलंपिक)
चीन के बीजिंग में आयोजित हुए ओलंपिक में विजेंदर सिंह मुक्के के नये महारथी बनकर उभरे। उन्होंने कांस्य पदक जीता। वह ओलंपिक पदक जीतने वाले पहले भारतीय मुक्केबाज बने। विजेंदर ने 75 किग्रा वर्ग में पदक हासिल किया।
(विजय कुमार, साल-2012, लंदन ओलंपिक)
विजय कुमार ने लंदन ओलंपिक में रजत पदक जीता। वह ओलंपिक पदक जीतने वाले तीसरे भारतीय निशानेबाज बने। सेना के निशानेबाज विजय कुमार ने निशोनबाजी प्रतियोगिता के पुरुषों की 25 मीटर रैपिड फायर पिस्टल स्पर्धा में रजत पदक जीता।
(एमसी मैरीकॉम, साल-2012, लंदन ओलंपिक)
भारत के लिए ओलंपिक में पदक जीतने वाली दूसरी महिला खिलाड़ी दिग्गज मुक्केबाज एमसी मैरीकॉम रही जिन्होंने साल 2012 में हुए लंदन ओलंपिक में कांस्य पदक हासिल किया। उन्हें सेमीफाइनल मुकाबले में से हार का सामना करना पड़ा। छह बार की विश्व चैम्पियन मैरीकॉम से पूरे देश को स्वर्ण पदक की उम्मीद थी लेकिन निर्णायक मुकाबले में उन्हें शिकस्त झेलनी पड़ी।
(साइना नेहवाल, साल-2012, लंदन ओलंपिक)
एक दौर था जब बैडमिंटन में चीनी खिलाड़ियों का वर्चस्व स्थापित था। उस दौर में साइना नेहवाल ने भारतीय बैडमिंटन के लिए एक नया रास्ता बनाया। उन्होंने चीनी शटलरों के दबदबे को कम किया और अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करवाई। भारतीय दिग्गज शटलर साइना ने ओलंपिक में कांस्य पदक हासिल किया। उन्हें सेमीफाइनल मैच में से हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद कांस्य पदक के लिए हुए मुकाबले में विपक्षी शटलर चोटिल हो गई और साइना को कांस्य पदक मिला।
(गगन नारंग, साल-2012, लंदन ओलंपिक)
गगन नारंग ने साल 2012 में लंदन में आयोजित हुए ओलंपिक खेलों में कांस्य पदक पर निशाना साधा। उन्होंने लंदन 2012 ओलंपिक में हुई पुरुषों की 10 मीटर एयर राइफल इवेंट में 701.1 अंकों के साथ कांस्य पदक हासिल किया। इस ओलंपिक में भारतीय निशानेबाजों ने शानदार प्रदर्शन किया।
(योगेश्वर दत्त, साल-2012, लंदन ओलंपिक)
सुशील कुमार के रास्ते पर अब तक एक ओर भारतीय पहलवान चल पड़ा था। योगेश्वर दत्त ने लंदन ओलंपिक में कांस्य पदक हासिल किया। यह ओलंपिक पदकों की संख्या के लिहाज से अब तक भारत के लिए सबसे सफल रहा। भारत ने लंदन ओलंपिक में कुल छह पदक हासिल किये।
(पीवी सिंधु, साल-2016, रियो ओलंपिक)
साइना के नक्शेकदमों में अब एक और भारतीय महिला शटलर निकल पड़ी थी और सपना देख चुकी थी ओलंपिक खेलों में भारत का नाम रोशन करने का। पुलैला गोपीचंद की एक और शिष्या पीवी सिंधु ने अपने प्रदर्शन से सबको प्रभावित किया। उन्होंने ओलंपिक के फाइनल में पहुंचकर देश के लिए रजत पदक पक्का किया। भारत को स्वर्ण पदक की आस थी, लेकिन जो चाहो और वो मिल जाये ऐसा नहीं होता। खिताबी मुकाबले में उन्हें स्पेनिश शटलर कैरोलिना मारिन से शिकस्त झेलनी पड़ी। फाइनल मैच काफी रोमांचल रहा था।
(साक्षी मलिक, साल-2016, रियो ओलंपिक)
पहलवानी का खेल मिट्टी से लेकर मैट तक जा पंहुचा लेकिन भारत की कहानी मिट्टी तक ही सीमित रही। लेकिन पिछले ओलंपिक खेलों में साक्षी मलिक ने अप्रत्याशित प्रदर्शन करते हुए कांस्य पदक जीत लिया। हरियाणा की साक्षी 58 किग्रा वर्ग को क्वार्टरफाइनल मैच में रूस की पहलवान के हाथों हार का सामना करना पड़ा। हालांकि, उन्हें रेपीचेज़ के जरिये एक मौका मिला जिसे भुनाने में साक्षी ने कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने कांस्य पदक जीता और ओलंपिक में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बनी।