Begin typing your search above and press return to search.

साइकलिंग

30 घंटे में लेह से मनाली का सफर तय करेंगे आदिल तेली

आदिल कश्मीर से कन्याकुमारी तक 3600 किमी का सफर आठ दिनो में तय कर गिनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकार्ड में अपना नाम दर्ज करा चुके हैं

adil teli cycling
X

आदिल तेली

By

Bikash Chand Katoch

Published: 10 Sep 2022 12:12 PM GMT

लेह से मनाली तक के सफर को साइकिल पर 30 घंटे में पूरा करने का लक्ष्य लिए आदिल तेली को पर्यटन एवं युवा सेवा मामले विभाग के सचिव सरमद हफीज ने झंडी दिखाकर रवाना किया।

मध्य कश्मीर में बडगाम जिले के निवासी आदिल इससे पहले कश्मीर से कन्याकुमारी तक 3600 किमी का सफर आठ दिनो में तय कर गिनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकार्ड में अपना नाम दर्ज करा चुके हैं। लेह से मनाली तक की दूूरी को 34 घंटे और 54 मिनट में साइकिल के जरिये पूरा करने का गिनीज विश्व रिकार्ड है। आदिल तेली इस रिकार्ड को भंग कर एक नया कीर्तिमान स्थापित करना चाहते हैं।

कश्मीर में प्रसिद्ध साइकलिस्ट आदिल तेली को रवाना लेह के लिए रवाना करने से पूर्व पर्यटन निदेशक कश्मीर की मौजूदगी में पत्रकारों से संक्षिप्त बातचीत में सरमद हफीज ने कहा कि आदिल लेह से मनाली तक साइकिल पर यात्रा करना चाहता है। यह यह दूरी 30 घंटे में पूरी करने का लक्ष्य लिए हुए है ताकि एक नया विश्व रिकार्ड बनाया जा सके। लेह-मनाली सर्कट को दुनिया के सबसे ऊंचे और दुर्गम क्षेत्रों में गिना जाता है। पर्यटन सचिव ने कहा कि आदिल तेली जैसे युवा देश भर के हजारों साइकलिस्टों के लिए एक प्रेरणा हैं।

उन्होंने कहा जम्मू कश्मीर में साइकिलिंग की खूब संभावना है। यहां माउंटेन बाइकिंग और साइकिलिंग का पूरा माहौल है। आदिल तेली के इस नए अभियान का जम्मू कश्मीर सरकार पूरा सहयोग व समर्थन करती है। उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार जम्मू कश्मीर मंं साइकलिंग और माउंटेन बाइकिंग के पुराने रास्तों के अलावा दक्षिण कश्मीर में वेरीनागर, अच्छाबल और सिंथन पास जैसे इलाकों को भी पर्यटन की दृष्टि से विकसित कर रही है।

युवा साइक्लिस्ट ने कहा, "गिनीज रिकार्ड में इतिहास रचने का यह मेरा दूसरा प्रयास होगा जिसमें लेह से मनाली तक 475 किलोमीटर की दूरी तय करनी होगी। यह ऊबड़-खाबड़ इलाका है जिसे पार करना रोमांच से भरा होगा। रास्ते में मुश्किल चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है लेकिन मैं इन चुनौतियों का सामना कर इतिहास रचने को तैयार हूं।"

उन्होंने कहा, "मैंने इस प्रतिस्पर्धा के लिये खुद को पहले ही तैयार कर लिया था। मैंने सफर की विषम परिस्थितियों को ध्यान में रख कर ऊंचाई वाले वातावरण के साथ तालमेल बिठाने के लिए लद्दाख में 45 दिन बिताए हैं। मैं लद्दाख के सबसे ऊंचे खारदुंगला दर्रे का भी सफर कर चुका हूं जो समुद्र तल से लगभग 5,359 मीटर की ऊंचाई पर है।"

Next Story
Share it