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साइकलिंग

कोच आरके की बढ़ी मुसीबतें, नेशनल चैंपियन साइकलिस्ट ने भी लगाए गंभीर आरोप

देबोरा हेराल्ड ने आरके शर्मा पर थप्पड़ मारने और अनुचित व्यवहार करने का आरोप लगाया है

Deborah Herold
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देबोरा हेराल्ड 

By

Amit Rajput

Published: 16 Jun 2022 10:26 AM GMT

साइकलिस्ट कोच आरके शर्मा की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही है। पहले उन पर एक महिला साइकलिस्ट ने दुव्र्यवहार के आरोप लगाए थे। जिसके बाद मामले की बढ़ती गंभीरता को देखते हुए, भारतीय खेल प्राधिकरण ने कोच आरके शर्मा को बर्खास्त कर दिया है और उनके खिलाफ आरोपों की जांच की जा रही है। अब इस मामले के बाद अंडमान की महिला चैंपियन खिलाड़ी ने भी उन पर दुव्र्यवहार और मानसिक प्रताड़ना के आरोप लगाए हैं। अंडमान की नेशनल चैंपियन और अंतरराष्ट्रीय गोल्ड मेडलिस्ट देबोरा हेराल्ड ने आरके शर्मा पर थप्पड़ मारने और अनुचित व्यवहार करने का आरोप लगाया है।

वही एक अखबार से बात करते हुए महिला खिलाड़ी देबारो ने कहा "पहली घटना साल 2015 की है। जब कोच आरके शर्मा ने उन्हें थप्पड़ मारा था। मेरे हॉस्टल के रूम का एसी काम नहीं कर रहा था। इसलिए मैं अंडमान के एक लड़के के रूम में ऊपर चली गई। कोच को पता चला तो उन्होंने मेरे 2 थप्पड़ मारे। तब मैंने इसके बारे में ज्यादा नहीं सोचा था और न ही अब इसके बारे में ज्यादा सोचती हूं।"

उन्होंने मानसिक प्रताड़ना को लेकर हुई घटना को साझा करते हुए बताया ''सहायक कोच और मुख्य कोच ने हमें मानसिक रूप से परेशान किया। इससे मैं इतनी प्रभावित हुई कि मैं ठीक के खाना नहीं खा सकती थी। जिसके चलते मेरा वजन कम होने लगा। अगर मैं किसी भी महिला/पुरुष साइक्लिस्ट से बात करती तो मुझे खींच लिया जाता। अगर मैं भोजन कक्ष में किसी के बात करती तो मुझ पर चिल्लाया जाता था। कुछ दिन में ऐसी स्थिति हो गई जब मैंने अकेले खाना शुरू कर दिया।"

वही उन्होंने अपने टीम सेलेक्शन को लेकर कहा मुझे नेशनल टीम से इसलिए हटा दिया गया था, क्योंकि सहायक कोच गौतममणि देवी का मानना था कि मैं दूसरे महिला साइक्लिस्ट के साथ रिलेशनशिप में थी। हेराल्ड के मुताबिक, 'देवी ने मुझे ताना मारा और भद्दी टिप्पणी की। मुख्य कोच आरके शर्मा ने भी मुझे मानसिक रूप से परेशान करना शुरू कर दिया। देबोरा ने आरोप लगाया कि कोच ने प्रशिक्षण के दौरान असभ्य और निराशाजनक भाषा का इस्तेमाल किया। उनकी दोस्ती को लेकर व्यक्तिगत टिप्पणियां की।'

उन्होंने आगे कहा, 'हमने उनकी द्वारा कही गई किसी बात पर ध्यान नहीं दिया। हमने कुछ नहीं किया। आखिर वे कौन थे जो हमारे निजी जीवन को आंकने और उस पर टिप्पणी करते थे।' देबोरा के मुताबिक, 'सहायक कोच ने उनकी दोस्ती को गलत समझा। ऐसा कुछ नहीं था। वह भी अंडमान से थी इसलिए स्वाभाविक रूप से हम एक दूसरे के करीबी थे। मैं साथी साइक्लिस्ट के साथ अपने अनुभव साझा किए। एक साथ ट्रेनिंग ली और भारत के लिए पदक जीतने का सपना देखा। समय के साथ हमारी दोस्ती और गहरी होती चली गई। लेकिन सहायक कोच का मेरे बारे में सोचने का दृष्टिकोण अलग था।'

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