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WPL Auction: हिमाचल में रेणुका ठाकुर के घर जश्न, पिता के निधन के बाद बेटी ने पूरा किया सपना
रेणुका ठाकुर ने अपने गांव के जिस मैदान में क्रिकेट की शुरुआत की, आज वहां के छोटे-छोटे बच्चे भी अपनी रेणुका दीदी की तरह बनना चाहते हैं
महिला प्रीमियर लीग के पहले सीजन की नीलामी सोमवार को मुंबई में हुई। इस दौरान हिमाचल की तेज गेंदबाज रेणुका ठाकुर को रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर ने डेढ़ करोड़ रुपए में खरीदा है। डब्लूपीएल की नीलामी में जैसे ही हिमाचल की रेणुका ठाकुर के नाम पर डेढ़ करोड़ की बड़ी बोली हुई, पूरा परिवार एकदम से चहक उठा।
रेणुका ठाकुर की माता सुनीता ठाकुर का कहना है की हिमाचल की तेज गेंदबाज रेणुका ठाकुर के पिता का सपना था कि उनके बच्चे भारतीय टीम के लिए क्रिकेट खेलें। वह तो रहे नहीं, लेकिन बेटी ने अपने पिता का सपना पूरा किया। आज वह जो नाम कमा रही हैं, हम सबको उस पर गर्व है।
हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले में रोहड़ू ब्लॉक के छोटे से पारसा गांव की बेटी रेणुका ठाकुर का चयन महिला प्रीमियर लीग की रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर टीम में हुआ है। टीम की नीलामी में रेणुका को डेढ़ करोड़ मिले हैं। उनकी इस उपलब्धि पर पूरा गांव खुश है। मिठाई बांटकर गांव के लोग अपनी बेटी के अच्छे खेल के लिए शुभकामनाएं दे रहे हैं।
रेणुका ठाकुर की माता सुनीता ठाकुर ने दैनिक भास्कर से बातचीत में बताया कि वह 3 साल की ही थी, जब पिता केहर सिंह का निधन हो गया। वह क्रिकेट के बड़े शौकीन थे और सचिन तेंदुलकर व विनोद कांबली के बड़े फैन थे। सुनीता बताती हैं कि बेटी के पिता ने क्रिकेट के प्रति अपनी दीवानगी के चलते ही अपने बेटे का नाम विनोद कांबली रख दिया। साथ ही जेठ के बेटे का नाम सचिन तेंदुलकर।
रुंधे गले से सुनीता ने कहा कि वह और पूरा परिवार खुश है कि रेणुका ने आज यह उपलब्धि हासिल की। हमें बहुत गर्व हो रहा है, हम चाहते हैं कि वह और नाम कमाए। अपने पति के निधन के बाद सुनीता ने कड़ी मेहनत करके बच्चों का लालन-पालन किया। उन्होंने बताया कि बहुत संघर्ष करके और यहां-वहां से पैसे लेकर बच्चों को यहां तक पहुंचाया।
रेणुका ठाकुर बचपन में जिस चेतन के साथ क्रिकेट खेला करती थी, उन्होंने कहा कि वह हमेशा बॉलिंग करना पसंद करती थी। चेतन के मुताबिक आज बहुत अच्छा लगा कि रेणुका को उनका स्थान मिल गया। हम सब लोग उनके अच्छे भविष्य की कामना करते हैं। रेणुका ठाकुर की चाची और पंचायत की प्रधान रही कमलेश कहती हैं कि वह बचपन से लड़कों के साथ ही खेला करती थी। इसी ग्राउंड में वह पली-बड़ी और आज जिस जगह पहुंची, उनके पूरे गांव के लिए गर्व की बात है।
रेणुका ठाकुर ने अपने गांव के जिस मैदान में क्रिकेट की शुरुआत की, आज वहां के छोटे-छोटे बच्चे भी अपनी रेणुका दीदी की तरह बनना चाहते हैं। वह भी उनकी तरह बनकर अपने गांव का नाम रोशन करना चाहता है।