कोच कॉर्नर
EXCLUSIVE: भारतीय तीरंदाज़ी संघ तीरंदाज़ी को गड्ढे में डाल रहा है, खिलाड़ियों और खेल की परवाह नहीं - पूर्णिमा महतो
टोक्यो 2020 ओलंपिक के लिए भारतीय पुरुष ने तो तीरंदाज़ी में 3 ओलंपिक कोटा हासिल कर लिया है लेकिन अभी तक एक भी महिला तीरंदाज़ ने ओलंपिक के लिए क्वालिफ़ाई नहीं किया है। नवंबर में बैंकाक में होने वाली एशियाई चैंपियनशिप और एशियाई पैरा चैंपियनशिप में ओलिंपिक कोटे दांव पर लगे होंगे। पर सवाल अभी भी बरक़रार है कि कैसे भारतीय तीरंदाज़ यहां जाएंगे और क्या वह भारत के झंडे के तले खेलेंगे या फिर ओलंपिक के झंडे के अंदर ?
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दरअसल, विश्व तीरंदाजी ने भारतीय तीरंदाजी संघ (AAI) को अपने दिशानिर्देशों का पालन नहीं करने के लिए निलंबित कर दिया था और उन्हें एक समय सीमा दी थी तीन महीनों के अंदर इस आपसी विवाद को सुलझा लें, लेकिन अब तक इस पर स्थिति जस की तस बनी हुई है। द ब्रिज हिन्दी ने इसी मुद्दे पर भारतीय तीरंदाज़ी कोच और 2013 में द्रोणाचार्य अवार्ड से सम्मानित पूर्णिमा महतो से बात की, जो 2008 और 2012 ओलंपिक में भारतीय टीम की भी कोच थीं और दीपिका की भी कोच रह चुकी हैं। पूर्णिमा ने साफ़ अल्फ़ाज़ों में कहा कि भारतीय तीरंदाज़ी संघ का रवैया भारत में तीरंदाज़ी को बर्बाद करने वाला है।
''संघ को खिलाड़ियों से कोई लेना देना ही नहीं, पांच-छ:सालों से यही होता चला आ रहा है, खिलाडियों को इस तरह न तो कोई अच्छा कंपीटीशन मिलता है और न उनका खेल अच्छा हो पाता है। तीरंदाज़ी संघ ने तीरंदाज़ी को चौपट कर दिया है। जबकि भारतीय तीरंदाज़ों का प्रदर्शन भी अच्छा है लेकिन फिर भी फ़ेडरेशन ने सब बर्बाद कर रखा है।'' : पूर्णिमा महतो, तीरंदाज़ी कोच
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1998 कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत के लिए रजत पदक जीतने वाली पूर्णिमा यहीं नहीं रुकीं, उन्होंने ये भी कहा कि इसमें स्पोर्ट्स ऑथिरीटी ऑफ़ (SAI) इंडिया का रवैया भी अच्छा नहीं है।
''खिलाड़ियों के अलावा किसी को कोई असर नहीं पड़ रहा, हम जब SAI के पास जाते हैं तो वहां से जवाब मिलता है कि संघ के पास जाइए और संघ कुछ बोलता ही नहीं है। हालांकि मेरी शिकायत सिर्फ़ और सिर्फ़ भारतीय तीरंदाज़ी संघ से है, अगर इसका जल्द से जल्द समाधान नहीं किया गया तो फिर भारत से तीरंदाज़ी का भविष्य समझिए ख़त्म।'' पूर्णिमा महतो, तीरंदाज़ी कोच
टोक्यो 2020 के लिए खिलाड़ियों की प्रैक्टिस और उनके लगन की तारीफ़ करने के साथ साथ पूर्णिमा महतो ने भी कहा कि इस तरह खिलाड़ियों का मनोबल भी टूटता है, क्योंकि न तो प्लानिंग है और न ही कोई सोच।
''हम कोच को सोचिए तो क्या फ़र्क़ पड़ रहा है, हम बस प्रैक्टिस कराए जा रहे हैं लेकिन इसका होना क्या है नहीं पता। न कोई प्लानिंग है और न ही कोई सोच। और ओलंपिक आते ही संघ और SAI हल्ला करने लगेंगे कि पदक चाहिए पदक चाहिए, ऐसे कैसे मिलेगा पदक ?'' :पूर्णिमा महतो, तीरंदाज़ी कोच
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इन सबके साथ साथ खेलते रहने की बात भी पूर्णिमा महतो ने की और कहा कि खिलाड़ी किस झंडे के अंदर खेलेंगे पता नहीं, लेकिन खेलेंगे ज़रूर।
''हम अभी से ही ओलंपिक फ़्लैग के नीचे खेल रहे हैं, हमारे भारत में खेल संघों का नियम ही इतना ख़राब है कि क्या कहा जाए। बस कमेटी बनाते रहते हैं और खिलाड़ियों या खेल की कोई परवाह नहीं, इससे तीरंदाज़ी पूरी तरह गड्ढे में जा रहा है।'' : पूर्णिमा महतो, तीरंदाज़ी कोच