शतरंज
अखिल भारतीय शतरंज महासंघ में हुई बड़ी उथल-पुथल, दिल्ली हाईकोर्ट ने सचिव के चुनाव पर लगाई रोक
भरत सिंह चौहान शतरंज ओलंपियाड टूर्नामेंट निदेशक हैं
इस साल जुलाई में चेन्नई में 44वां अंतरराष्ट्रीय शतरंज ओलंपियाड होना वाला है। पहली बार भारत में शंतरज ओलंपियाड में होने जा रहा है। लेकिन इस ओलंपियाड के पहले भारतीय शतरंज महासंघ में बड़ी उथल पुथल हो गई है। जहां दिल्ली हाईकोर्ट ने अखिल भारतीय शतरंज महासंघ के सचिव के रूप में भरत सिंह चौहान के चुनाव पर अगली सुनवाई तक रोक लगा दी। वह एआईसीएफ सचिव के रूप में कार्य नहीं कर सकते हैं।
इस मामले पर भरत सिंह चौहान ने कहा कि मुझे हटाया नहीं गया है। मेरे चुनाव पर अगली सुनवाई तक रोक लगा दी गई है। मैं मामले को अंतिम रूप दिए जाने तक सचिव के तौर पर काम नहीं कर सकता। वही आदेश के खिलाफ अपील करने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, 'जब तक मुझे आदेश नहीं मिल जाता, तब तक कुछ नहीं कह सकते।'
आपको बता दें कि भरत सिंह चौहान ओलंपियाड टूर्नामेंट निदेशक हैं। हालांकि एक विचार से दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश का चौहान पर ओलंपियाड टूर्नामेंट निदेशक के रूप में कार्य करने पर कोई प्रभाव नहीं पड़ सकता है। एआईसीएफ के एक पूर्व अधिकारी के मुताबिक टूर्नामेंट निदेशक को शतरंज महासंघ का पदाधिकारी होना जरूरी नहीं है। एआईसीएफ पदाधिकारी पदों के लिए पिछले साल चुनाव हुए थे। डोंगरे के अनुसार, राष्ट्रीय खेल विकास संहिता के अनुसार कोई भी व्यक्ति अध्यक्ष/सचिव/कोषाध्यक्ष के पद पर लगातार दो बार से अधिक नहीं टिक सकता।
इसके अलावा, पुन: चुनाव के लिए, एक पदाधिकारी को केवल तभी निर्वाचित माना जाएगा, जब वह संबंधित राष्ट्रीय संघ के सदस्यों के कम से कम 2/3 बहुमत हासिल करता है। डोंगरे ने दलील दी कि चौहान पिछले करीब 17 साल से एआईसीएफ चला रहे हैं। डोंगरे ने युवा मामले और खेल मंत्रालय, खेल विभाग, एआईसीएफ और चौहान के खिलाफ मामला दर्ज कराया था। उनके मुताबिक, केंद्र सरकार ने चौहान के खिलाफ कार्रवाई करने की बजाय उन्हें बचाने की कोशिश की।